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तेलंगाना में ग्राम पंचायत चुनावों में आरक्षण सीमा 50 फीसदी तय करने वाला अध्यादेश लाया गया

कानून में यह भी कहा गया था कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित सीटों और पदों की संख्या उस निकाय के कुल पदों की संख्या के 34 प्रतिशत से कम नहीं होगी। 

10:31 PM Dec 16, 2018 IST | Desk Team

कानून में यह भी कहा गया था कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित सीटों और पदों की संख्या उस निकाय के कुल पदों की संख्या के 34 प्रतिशत से कम नहीं होगी। 

तेलंगाना में ग्राम पंचायत चुनावों में आरक्षण सीमा 50 फीसदी तय करने वाला अध्यादेश लाया गया
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 तेलंगाना सरकार ने राज्य में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव का रास्ता साफ करने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय करने वाला अध्यादेश जारी किया। तेलंगाना पंचायती राज (संशोधन) अध्यादेश, 2018 पर राज्य के राज्यपाल ईएसएल नरसिंह ने शनिवार को हस्ताक्षर किये। अध्यादेश में शामिल नये अध्याय आठ-ए के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के फैसलों को ध्यान में रखते हुए, स्थानीय निकायों के संदर्भ में अजा, अजजा, ओबीसी वर्गों के लिए आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

 इसमें कहा गया कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित सीटों और पदों की गणना अजा, अजजा के संबंध में आरक्षण की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार होनी चाहिए कि संबंधित स्थानीय निकायों में अजा, अजजा और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित कुल सीटों, पदों की संख्या कुल उपलब्ध सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। हैदराबाद उच्च न्यायालय ने तेलंगाना सरकार को ग्राम पंचायत सदस्यों तथा ग्राम पंचायतों के सरपंच के पदों की चुनाव की प्रक्रिया 11 अक्टूबर से तीन महीनों के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया था।

इसके बाद राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत द्वारा तय 50 प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा से ऊपर जाकर कुल आरक्षण 67 प्रतिशत तक बढाने की अनुमति हेतु सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था लेकिन शीर्ष अदालत ने अनुरोध खारिज कर दिया थ। राज्य सरकार राज्य में पिछड़े वर्गों की जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से कुल आरक्षण प्रतिशत बढाना चाहती थी। इससे पहले, राज्य विधायिका द्वारा पारित तेलंगाना पंचायती राज कानून 2018 में स्थानीय निकायों की सीटों को अजा, अजजा को उनकी जनसंख्या के हिसाब से आरक्षित करने की व्यवस्था थी। इस कानून में यह भी कहा गया था कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित सीटों और पदों की संख्या उस निकाय के कुल पदों की संख्या के 34 प्रतिशत से कम नहीं होगी।

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