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मध्य प्रदेश : उज्जैन की क्षिप्रा में पानी अब साफ, मकर संक्रांति स्नान की तैयारी

सरकार की सख्ती और संवेदनशीलता के बाद आज क्षिप्रा नदी स्वच्छ, सुंदर व मनमोहक नजर आ रही है।’ क्षिप्रा में स्वच्छ पानी आने से नजारा ही बदल गया है।

08:02 PM Jan 13, 2019 IST | Desk Team

सरकार की सख्ती और संवेदनशीलता के बाद आज क्षिप्रा नदी स्वच्छ, सुंदर व मनमोहक नजर आ रही है।’ क्षिप्रा में स्वच्छ पानी आने से नजारा ही बदल गया है।

मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के कीचड़ में बदलने पर संभागायुक्त और जिलाधिकारी पर गाज गिरी थी। इसके बाद हालात बदल गए हैं। अब नदी में साफ पानी बह रहा है, जिससे मकर संक्रांति के मौके पर स्नान करने में श्रद्धालु पवित्रता का अनुभव करेंगे।

राज्य में भाजपा की सत्ता जाने के बाद धर्म और राष्ट्रवाद के मसले पर कांग्रेस को घेरने की विपक्ष की योजनाओं को मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी टीम विफल करने में लगी है। पहले ‘वंदे मातरम्’ पर अस्थायी रोक के चलते सरकार की किरकिरी हुई तो उसे नए स्वरूप में करने का ऐलान किया गया। उसके बाद उज्जैन की क्षिप्रा नदी में शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालुओं के कीचड़ युक्त पानी में स्नान का मामला सामने आया तो संभागायुक्त और जिलाधिकारी को ही हटा दिया गया।

मौजूदा सरकार धार्मिक मसलों पर काफी संभलकर चल रही है और इसका प्रमाण उज्जैन में देखा जा सकता है। सोमवार की शाम से मकर संक्रांति का मुहूर्त है जो मंगलवार को भी रहेगा। क्षिप्रा नदी में साफ पानी रहे, इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर कदम उठाए गए, बांध से पानी छोड़ा गया। रविवार को क्षिप्रा का नजारा ही बदल गया। बीते दो दिन संभागायुक्तअजीत कुमार और जिलाधिकारी शशांक मिश्रा तैनात रहे। उन्होंने नदी के हाल का जायजा लिया और नदी में पानी छुड़वाया।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष सैयद जाफर ने कहा, ‘बीते 15 वर्षो में क्षिप्रा इतनी अविरल, निर्मल व स्वच्छ कभी नजर नहीं आई, जितनी अब है। कमलनाथ सरकार की सख्ती और संवेदनशीलता के बाद आज क्षिप्रा नदी स्वच्छ, सुंदर व मनमोहक नजर आ रही है।’ क्षिप्रा में स्वच्छ पानी आने से नजारा ही बदल गया है।

पानी की अधिक गहराई का संदेश देने वाले सूचना पटल लगाए गए हैं, जगह-जगह सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। साथ ही श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो, इसका ध्यान रखा गया है। धर्म की सिर्फ बात कर बहलाने और सच में काम कर दिखाने में फर्क को लोग भी अब महसूस करने लगे हैं। यह धारणा भी बनने लगी है कि धर्म किसी की ‘बपौती’ नहीं है।

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