Top NewsIndiaWorld
Other States | Uttar Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

अदृश्य योगी का मायाजाल

यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है, इस देश में कोई अपना राजतंत्र स्थिर और सशक्त रखने के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लेता है तो कोई जीवन में सफलता के लिए। कोई अपने विरोधियों को चित्त करने के​ लिए अनुष्ठान कराता है

02:26 AM Feb 20, 2022 IST | Aditya Chopra

यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है, इस देश में कोई अपना राजतंत्र स्थिर और सशक्त रखने के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लेता है तो कोई जीवन में सफलता के लिए। कोई अपने विरोधियों को चित्त करने के​ लिए अनुष्ठान कराता है

लोकतंत्र की जड़ों में तंत्र, 
Advertisement
सियासत की जड़ों में मंत्र,
कार्पोरेट सैक्टर की बुनियाद में तंत्र,
नेशनल स्टॉक एम्सचेंज की दीवारों में तंत्र।’’
यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं है, इस देश में कोई अपना राजतंत्र स्थिर और सशक्त रखने के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लेता है तो कोई जीवन में सफलता के लिए। कोई अपने विरोधियों को चित्त करने के​ लिए अनुष्ठान कराता है तो कोई ​चुनावी सफलता के लिए। देश में कई ऐसे तथाकथित योगी हुए हैं जिनके बारे में यह प्रचारित था कि उन्हें कई सिद्धियां हासिल हैं। वह विश्व युद्ध तक को रोकने की क्षमता रखता है। वैभव पूर्ण शाही जीवन, महलों जैसा आश्रम, यात्रा के​ लिए विमान, सुन्दर चेहरों वाली व्योमबालाएं, लाखों रुपए के उपहार यानी एक महाराजा जैसा जीवन फिर भी ऐसे लोग योगी और ब्रह्मचारी कहलाए। इन सबका प्रधानमंत्री निवास पर बगैर रोक-टोक के सीधा प्रवेश। इनकी ख्याति तो राजपुटिन जैसी हो गई थी। राजपुटिन वह व्यक्ति था जो रूस के सम्राट जार का तांत्रिक सलाहकार था। यह सर्वविदित है कि ऐसे योगियों और ब्रह्मचारियों ने मंत्रियों को जो भी आदेश दिया, उसका पालन होता था। 
देश की प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण आजकल सुर्खियों में हैं। चित्रा रामकृष्ण और एक्सजेंच के समूह के संचालन अधिकारी आनंद सुब्रह्मण्यम के खिलाफ कर चोरी की जांच के तहत आयकर विभाग द्वारा की गई छापेमारी के बाद बहुत सी कहानियां सामने आ रही हैं। सेबी के आदेश के बाद यह कहानियां सामने आईं, जिसमें कहा गया था कि आनंद सुब्रह्मण्यम को एक्सचेंज के समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार के रूप में उनके पुनः पदनाम के लिए हिमालय में रहने वाले एक योगी द्वारा उनका नेतृत्व किया गया था।
सेबी के आदेश में कहा गया कि चित्रा रामकृष्ण ने योगी के साथ एक्सचेंज की वित्तीय और व्यावसायिक योजनाओं, लाभ परिदृश्य और वित्तीय परिणामों सहित कुछ आंतरिक गोपनीय जानकारी साझी की गईं और यहां तक कि एक्सचेंज के कर्मचारियों के प्रदर्शन मूल्यांकन पर उनसे सलाह-​मशविरा भी किया गया। यह हिमालय का योग कौन है, इसकी पहचान उजागर नहीं की गई। आखिर उस योगी के इशारे पर आनंद सुब्रह्मण्यम को करोड़ों के पैकेज पर क्यों नियुक्त किया गया। चित्रा रामकृष्ण 2013 में फोर्ब्स की वुमन लीडर ऑफ द ईयर भी चुनी गई थीं। 
सेबी की पूछताछ के दौरान भी उसने स्वीकार किया कि वह हिमालय के एक रहस्यमय योगी की सलाह पर अपने फैसले लेती थी। वह निराकार योगी है और योगी अपनी इच्छानुसार कभी भी प्रकट हो सकते हैं। 20 वर्ष पहले गंगा के तट पर तीर्थ के दौरान उसकी योगी से मुलाकात हुई थी। उसके पास केवल बाबा की ई-मेल आईडी है, जिस पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की जानकारियां बाबा को शेयर की जाती थीं। वर्ष 2015 में एक व्हिसल ब्लोअर ने बाजार नियामक सेबी से को-लोकेशन स्कैम की जानकारी दी थी। को-लोकेशन स्कैम का मतलब है कि गोपनीय जानकारियां सार्वजनिक होने से पहले कुछ व्यक्तिगत और कुछ ब्रोकर्स के साथ शेयर कर इस जानकारी को इक्विटी मार्केट में कमाई करने के लिए उपयोग किया जाता है। शिकायत में यह भी कहा गया था कि एक्सचेंज में सीनियर मैनेजमेंट लेबल पर जमकर धांधलेबाजी हो रही है। तब चित्रा रामकृष्ण का नाम आया था। सेबी ने हाल ही में जांच कर रिपोर्ट शेयर की थी। आज के दौर में यह बहुत अजीब लग सकता है कि एक शिक्षित और योग्य महिला कैसे एक बाबा के कहने पर फैसले लेती थी। इससे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की साख दांव पर लग गई है। निवेशक इसके​ लिए बोर्ड ऑफ डायरैक्टर्स को भी ​जिम्मेदार मान रहे हैं। सवाल खड़ा किया जा रहा है कि एक अदृश्य योगी भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज को चलाता रहा, वह भी कठपुतली मास्टर की तरह। गवर्नेस में इतनी बड़ी खामी हैरानी की बात है कि क्या कोई इन पर नजर नहीं रख रहा था। सेबी ने चित्रा रामकृष्ण पर धांधलियों के लिए तीन करोड़ का जुर्माना लगाया। पूर्व सीईओ रवि नारायण पर भी दो करोड़ का जुर्माना लगाया था। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या जुर्माना लगाना सिर्फ आई वॉश है। इस पूरे प्रकरण को नजरअंदाज क्यों किया गया। यह बाबा कौन है। यह पता लगाना तो जांच का विषय है। यह भी सच है कि ऐसे ही बाबाओं, योगियों और तांत्रिकों ने बड़ों-बड़ों को शीशे में उतार कर अपने खेल दिखाए हैं। 
ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री और आयरन लेडी के नाम से मशहूर मारग्रेट थैचर चन्द्रास्वामी से इतनी प्रभावित हुई थीं कि उनके पीछे-पीछे भागने लगी थीं। चन्द्रास्वामी को अंग्रेजी का एक अक्षर भी नहीं आता था तो उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि थैचर प्रधानमंत्री बनेंगी। अगर बात धीरेन्द्र ब्रह्मचारी की करें तो स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन में धीरेन्द्र ब्रह्मचारी राजनीति पर हावी हो गए थे। बड़े-बड़े मंत्री उनके यहां हाजरी लगाते थे। तांत्रिक चन्द्रास्वामी पर तो राजीव गांधी हत्याकांड में संदिग्ध भूमिका, लिट्टे को धन पहुंचाने और डी कम्पनी से सम्पर्क जैसे कई आरोप लगे। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव भी चन्द्रास्वामी पर काफी विश्वास रखते थे। अभी भी कई मंत्री और अफसरशाह बाबाओं के चक्कर में हैं। कह नहीं सकता कि इस देश को तंत्र-मंत्र से कब ​मुक्ति मिलेगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement
Next Article