महाकुम्भः आनंद ही आनंद, फिर भाग-दौड़ क्यों...
महाकुम्भ 2025 जो 26 फरवरी तक है, जहां 40 करोड़ लोग स्नान करेंगे…
महाकुम्भ 2025 जो 26 फरवरी तक है, जहां 40 करोड़ लोग स्नान करेंगे। यह सिर्फ त्यौहार नहीं जो 144 सालाें बाद है। यह दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक केन्द्र भी है। यहां आनंद ही आनंद है। हर तरह के श्रद्धालु आ रहे हैं, जिसमें साधु-संत, राजनेता, एक्टर, उद्योगपति, साध्वियां, आम लोग जो विदेशों से भी आ रहे हैं। महाकुम्भ मेला अमरत्व का मेला 4 तरह का कुम्भ होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, नासिक में होता है। सामान्य कुम्भ हर तीन साल बाद यह गंगा, जमुना सरस्वती नदियों के संगम पर होता है। अर्ध कुम्भ 6 साल, कुम्भ 12 साल के बाद आता है। महाकुम्भ प्रयागराज में होता है जो 144 सालों बाद आता है। हर व्यक्ति के अन्दर भक्ति छिपी है, कईयों के अन्दर पुण्य कमाने का जज्बा होता है। कईयों का पाप धोने का होता है। कईयों को अपनी मनोकामना पूर्ण करनी होती है, कई मनोकामना मांगते हैं।
इसलिए प्रशासन ने उम्मीद से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की आशंका से बहुत अच्छे इंतजाम किए हुए थे परन्तु फिर भी मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मची, क्योंकि हर एक यही चाहता था कि उस दिन सबसे पहले संगम के स्थान पर स्नान करें, इसिलए कुछ भक्त रातभर संगम की रेती पर सो गए, पर हर व्यक्ति को पहले स्नान करना था, वो प्रशासन की न सुन रहे थे, न उनके निर्देश मान रहे थे, इसलिए भगदड़ मची। कई श्रद्धालु अपनी जान से हाथ धो बैठे। मन बहुत ही दुखी और विचलित हुआ।
महाकुम्भ में जाने का आनंद ही आनंद है, तो सभी श्रद्धालुओं को सिस्टम के अनुसार जाना चाहिए ताकि व्यवस्था न बिगड़े। अगर हमें घर में एक छोटा सा फंक्शन करना हो तो हमें तब भी व्यवस्था के लिए सिस्टम बैठाने पड़ते हैं। हर सदस्य अपनी जिम्मेदारी से काम लेता है, तब जाकर एक फंक्शन सही ढंग से होता है। यह तो महाकुम्भ है। 40 करोड़ लोग देश-विदेश के साधु-संत, साध्वियां, राजनेता, उद्योगपति, एक्टर और आम श्रद्धालु, इतने लोगों के लिए सुचारू व्यवस्था करना तब तक मुश्किल है जब तक सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी से, सतर्कता से, सुरक्षा से न चलें। सबसे आनंदमय है जब बाहर विदेशों से आकर लोग, साधु-संत, विदेशी साध्वियां, भारतीय साध्वियों की तरह वेशभूषा में मंत्र उच्चारण करती हैं। बड़ा गर्व महसूस होता है। आज विदेशों में सनातन धर्म की गूंज है। लोग इसे श्रद्धा से अपना रहे हैं। लोग शाकाहारी भी हो रहे हैं। भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। अभी दिल्ली में चुनाव का माहौल है। मुकाबला बड़ा जबरदस्त है, फिर भी महाकुम्भ का जोर बहुत है, बहुत भावना है आम जनता में। कोई हवाई जहाज से यात्रा कर रहा, कोई रेल से, कोई बस सेे, कोई अपनी कार से, अपनी बाइक से, कई लोग तो पैदल ही निकल पड़े हैं।
महाकुम्भ का आनंद ही आनंद है। कइयों का व्यापार भी चमक रहा है। चाहे वो हवाई जहाज के किराये को लेकर, चाहे होटल, ढाबों को लेकर या वहां हर तरह के आधुनिक टैंट लगे हैं। आम जनता के लिए और फाइव स्टार, सैविन स्टार भी लगे हैं। भक्ति के साथ-साथ ईश्वर वहां व्यापार भी दे रहे हैं। सो सबके लिए वहां आनंद ही आनंद है। वहां बड़े-बड़े राजनेता, उद्योगपति, एक्टर देखने को मिल रहे हैं। यही नहीं वहां कई लोग आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। हेमा मालिनी ने महाकुम्भ में आस्था की डुबकी लगाई। वाकई वहां परिवर्तन का आनंद है। वहां ऐसी-ऐसी साध्वियां, संत दिखाई दे रहे हैं जो बहुत ही पढ़े-लिखे, कई बड़े ओहदों को त्याग कर संत बने हैं। वहां अद्भुत भक्ति, शक्ति, अाध्यात्मिक वातावरण है। जब इतना आनंद है तो भगदड़ क्यों? सभी आराम से चलें, बच्चों, बूढ़ों का ध्यान रखें, जो वहां नहीं जा सकते उनके लिए लोटे या िकसी भी बर्तन में जल लाकर घर में स्नान करवाएं, उसमें भी आनंद का अहसास है।
सो अपनी श्रद्धा, हिम्मत के अनुसार ही जाएं। घर बैठे दर्शन और स्नान भी करें। जो जाए वो भी भाग्यवान, जो न जा सके वो भी भाग्यवान है। जो घर बैठे अपने मन को पवित्र करे, गंगा जल से स्नान करे, अपने घर के बड़े-बुजुर्गों के साथ बैठे, उनके साथ समय व्यतीत करे इससे बढ़कर कोई पूजा नहीं होगी। इससे बढ़कर भी कोई तीर्थ स्थान नहीं होगा। घर बैठे जरूरतमंदों को सहयोग करें और आनंद ही आनंद पाएं।