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इस महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद बना रहा अद्भुत संयोग, भूल से भी नहीं करें ये गलतियां

ज्योतिष शास्‍त्र में तीन रात्रि विशेष साधना के लिए बताई गई हैं। शरद पूर्णिमा को मोहरात्रि,दीपावली की कालरात्रि तथा महाशिवरात्रि को सिद्ध रात्रि इनका महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास

09:07 AM Feb 20, 2020 IST | Desk Team

ज्योतिष शास्‍त्र में तीन रात्रि विशेष साधना के लिए बताई गई हैं। शरद पूर्णिमा को मोहरात्रि,दीपावली की कालरात्रि तथा महाशिवरात्रि को सिद्ध रात्रि इनका महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास

ज्योतिष शास्‍त्र में तीन रात्रि विशेष साधना के लिए बताई गई हैं। शरद पूर्णिमा को मोहरात्रि,दीपावली की कालरात्रि तथा महाशिवरात्रि को सिद्ध रात्रि इनका महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं। 21 फरवरी शुक्रवार यानी कल महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। ज्योतिष के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग इस बार की महाशिवरात्रि पर संयोग बना है। 117 साल बाद फाल्गुन मास की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को एक अद्भुत संयोग महाश्विरात्रि पर बन रहा है। 
इस महाशिवरात्रि पर शनि स्वयं की मकर राशि में हैं वहीं शुक्र अपनी उच्च राशि मीन पर होंगे। यह एक दुर्लभ योग बन रहा है। भगवान शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना को इस योग में सबसे श्रेष्ठ कहा गया है। शिव पुराण और महामृत्युंजय मंत्र का जाप महाशिवरात्रि में करना चाहिए। कई नियम महाशिवरात्रि के लिए बताए गए हैं। अगर व्रत के दौरान आपने इन नियम का पालन नहीं किया तो भगवान शिव की कृपा आप पर नहीं होगी। चलिए आपको बताते हैं कि महाशिवरात्रि के व्रत में कौन से काम व्यक्ति को नहीं करने चाहिए।
ये है महाशिवरात्रि की पूजा का शुभ-मुहूर्त

21 फरवरी 2020 को शाम 5 बजकर 16 मिनट से महाशिवरात्रि शुरु होगी और 22 फरवरी शनिवार को शाम 7 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। मासिक शिवरात्रि का व्रत जो भक्त करना चाहते हैं तो वह इस महाशिवरात्रि से शुरु कर दें।
भूलकर भी ये 7 गलतियां शिव पूजा के दौरान न करें
1.शंख जल

शंखचूड़ नाम के एक असूर को भगवान शिव ने मारा था। उसी असुर का प्रतीक शंख को माना गया है जो भगवान विष्‍णु का भक्ता थ इसलिए शंख से विष्‍णु भगवान की पूजा होती है शिव की नहीं। 
2. पुष्प

केसर, दुपहरिका, मालती, चम्पा, कुंद,जूही आदि के पुष्प भोलेनाथ की पूजा में नहीं अर्पित करने चाहिए।
3.करताल

करताल भूल से भी भगवान शिव की पूजा के दौरान नहीं बजना चाहिए।
4. तुलसी पत्ता

तुलसी का जन्म जलंधर नाम के असुर की पत्नी वृंदा के अंश से हुआ था। उसी को पत्नी के रूप में भगवान विष्‍णु ने स्वीकार कर लिया। यही वजह है कि भगवान शिव की पूजा तुलसी से नहीं की जाती है।
5. तिल

मान्यता है कि भगवान विष्‍णु के मैल से तिल उत्पन्न हुआ है इसलिए भोलेनाथ को यह अर्पित नहीं किया जाता।
6. टूटे हुए चावल

मान्यता है कि अक्षत यानी साबुत चावल भगवान शिव को पूजा में अर्पित किए जाते हैं। टूूटे हुए चावल हो अपूर्ण और अशुद्ध बताया गया है इसलिए शिवजी को पूजा में यह नहीं चढ़ाते।
7. कुमकुम

कुमकुम को सौभाग्य का प्रतीक माना गया है लेकिन भोलेनाथ एक वैरागी हैं इसलिए उन्हें कुमकुम अर्पित नहीं किया जाता।
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