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महाकुम्भ : पूरे विश्व को दिखाया सनातन का सामर्थ्य

विश्व का सबसे बड़ा मेला महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ खत्म हो गया।

11:30 AM Feb 25, 2025 IST | Rohit Maheshwari

विश्व का सबसे बड़ा मेला महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ खत्म हो गया।

प्रयागराज की धरती पर पिछले 45 दिनों से चल रहा विश्व का सबसे बड़ा मेला महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ खत्म हो गया। अपनी भव्यता के चलते ही आस्था, धर्म, आध्यात्म व संस्कृति के विशाल संगम का महाकुम्भ पिछले लगभग दो महीने से देश और दुनिया में चर्चा का विषय बना रहा। इस महाकुम्भ में कई नये कीर्तिमान स्थापित हुये। उत्तर प्रदेश सरकार का अनुमान था कि कुम्भ में 40-45 करोड़ श्रद्धालु आएंगे लेकिन देश और दुनिया में बसे सनातनियों ने अपनी परम्पराओं के प्रति ऐसी अगाध आस्था और समर्पण का भाव प्रदर्शित किया कि अनुमान से कहीं अधिक श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे। भीड़ ने सारे रिकार्ड तोड़ दिये।

स्वयं प्रयागराज कुम्भ में भी श्रद्धालुओं की संख्या नित नये रिकार्ड बनाती रही। सही मायनों में संपूर्ण विश्व ने कुम्भ के माध्यम से सनातन धर्म, संस्कृति, सभ्यता, परंपराओं, विश्वास, आस्था और प्रेम का वो अद्भुत दृश्य देखा है जो शताब्दियों तक याद किया जाएगा। इस दिव्य भव्य और नव्य आयोजन के लिये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जितनी प्रशंसा की जाए वो उतनी ही कम है। प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका भी किसी से छिपी नहीं है। सनातन धर्म के विकास और उसमें नये प्राण फूंकने में पीएम मोदी बधाई के पात्र हैं। क्योंकि संगम तट पर आधुनिक व प्राचीन के अद्भुत संगम की आस्था और अध्यात्म एक पूरी दुनिया प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में अपनी थीम के ही अनुरूप भव्य-दिव्य व नव्य आकार लिया था। हालांकि प्रयागराज में वर्ष 2019 के कुंभ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में ही भव्य-दिव्य आयोजन हुआ था लेकिन वर्ष 2025 में एक बार फिर से महाकुंभ की यह दिव्य नगरी मोदी-योगी के कुशल मार्गदर्शन में एक नया इतिहास रचा जा चुका है।

इस बार के महाकुंभ 2025 के आयोजन के बजट पर एक नज़र डालें तो महाकुंभ के आयोजन के लिए करीब 7500 करोड़ रुपए का खर्च सामने आ रहा है। जबकि वर्ष 2019 में कुंभ मेले के लिए 4200 करोड़ रुपए का बजट था। हर कुंभ मेले की तरह ही इस बार भी महाकुंभ का देश की जीडीपी में एक बहुत ही बड़ा योगदान रहने की संभावना है। आर्थिक दृष्टिकोण से देखें तो कुम्भ मेले ने देश की जीडीपी में अहम योगदान दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में धार्मिक पर्यटन को यूपी की जीडीपी से जोड़ते हुए कहा कि इससे यूपी की जीडीपी को भी फायदा होगा। सीएम ने कहा कि मेरा अनुमान है महाकुंभ खत्म होने तक 60 करोड़ लोग संगम में डुबकी लगा चुके होंगे। अगर ऐसा हुआ तो हमारा मानना है कि अकेले प्रयागराज महाकुम्भ-2025 से ही उत्तर प्रदेश की जीडीपी में लगभग 3.25 से 3.50 लाख करोड़ की अतिरिक्त बढ़ाैतरी होने वाली है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ को भव्य, दिव्य और नव्य स्वरूप प्रदान करते हुए अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने का कार्य किया था। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पूरे महाकुंभ स्थल को एक जनपद का दर्जा दिया गया है और वहां पर जनपद स्तरीय अधिकारियों की पूरी टीम तैनात की गयी। एक जनपद की तरह ही जरूरी विभिन्न विभागों के कार्यालय सर्किट हाउस और पुलिस लाइन का निर्माण किया गया है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ आने की उम्मीद को देखते हुए इस बार कुंभ क्षेत्र का विस्तार 4000 हैक्टेयर में किया गया था, भारी भीड़ के मद्देनजर महाकुंभ की बसावट में बदलाव किया गया था। इस बार 25 सेक्टर में महाकुंभ नगरी को बसाया गया है। एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर जाने के लिए गंगा पर 30 पोंटून पुल बनाये गये थे। योगी सरकार ने स्वच्छ महाकुंभ के मद्देनजर इस बार 1.5 लाख शौचालय बनाये, मेला क्षेत्र में 25 हज़ार कूड़ेदान लगाए गए, 15 हज़ार स्वच्छता कर्मी तैनात किए, 160 अपशिष्ट प्रबंधन वाहनों का इंतजाम किया था।

महाकुंभ को दिव्य व भव्य बनाने के लिए बड़े पैमाने पर मंदिर एवं घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया, 29 मंदिरों का सौंदर्यीकरण किया गया, 11 कॉरिडोर का विकास किया गया, 12 किमी अस्थायी घाट का निर्माण किया गया, 8 किमी रिवर फ्रंट सड़कें बनाई गयी थी। महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए सबसे बड़ा अस्थायी शहर बनाया गया था, 1.5 लाख टेंट लगाये गये थे, 69 हज़ार एलईडी लाइटिंग और सौर हाइब्रिड स्ट्रीट लाइटिंग लगायी गयी हैं। 400 किलोमीटर से अधिक की अस्थायी सड़कें और चेक-ओर्ड प्लेट शीट बनायी गयी थी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि सरकार को पहले से ही इस बात का अनुमान था कि इस बार महाकुम्भ भव्य ही होगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में महाकुंभ की इन विश्व स्तरीय अत्याधुनिक तैयारियों के दम पर ही विश्व ने देखा कि भारत कैसे विकास कर रहा है। कैसे हमारी जीडीपी बढ़ रही है। कैसे हम भीड़ का प्रबंधन करते हैं। कैसे हम स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। देखा जाए तो यह महाकुम्भ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था की सुदृढ़ता, इसके लौह कवच रूपी अदम्य साहस, अपराजेय संकल्प शक्ति, अखंड आत्मविश्वास, कभी न थकने वाली पुलिस-प्रशासनिक व्यवस्था के लिए किए गये अनुपम एवं विलक्षण प्रयास जिज्ञासु जनों के लिए शोधकार्य का विषय है।

हालांकि, कुछ विघ्न संतोषी, सनातन विरोधी और धार्मिक आस्था के प्रति अरुचि रखने वाले दोहरे चरित्र के लोग, किसी न किसी बहाने महाकुंभ मेले की सुदृढ़ व्यवस्था में छेद करने के लिए यत्र-तत्र प्रयासरत रहे लेकिन एक दुखद हादसे के बावजूद जनसैलाब रुका नहीं। बल्कि मौनी अमावस्या के बाद हुये हादसे के बाद अप्रत्याशित तौर पर श्रद्धालु पहले से ज्यादा संख्या में संगम की धरती पर पहुंचे। ऐसे धार्मिक आस्था के केन्द्र बिंदु योगी जी जिन्होंने संयोगवश केवल ठाना है। इसलिए वह हृदय विदारक घटना से सिर्फ द्रवित ही नहीं हुए, अपितु मन, वचन, कर्म से आहत होकर, अंदर से रो कर भी, बाहर से आने वाले महाकुम्भ की यात्रा को कैसे और अधिक सुदृढ़ बनाया जाए। दुखद हादसे के बाद श्रद्धालुओं का करोड़ों की संख्या में प्रयागराज पहुंचना यह दर्शाता है कि सनातन धर्म के प्रति आमजन की श्रद्धा और आस्था कितनी गहरी है।

वहीं उन्हें प्रदेश और केंद्र सरकार पर पूरा भरोसा था कि उन्हें कोई कष्ट या असुविधा नहीं होगी। इसलिये कश्मीर से कन्याकुमारी तक से श्रद्धालु संगम पहुंचने को आतुर दिखाई दिये। पूर्वोत्तर भारत के राज्यों की भागीदारी ने कुम्भ की शान में चार चांद लगाने का काम किया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक समागम के लिए आने वाले सहृदयी श्रद्धालुओं की मनवांछित आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, धार्मिक यात्राओं के प्रयोजन के लिए उत्तरप्रदेश सरकार ने अभूतपूर्व व्यवस्था की थी। यदि कहा जाए कि ऐसी उत्कृष्ट व्यवस्था जो इस महाकुंभ में प्रयागराज में योगी जी के नेतृत्व में की गई है वह कभी नहीं हुई थी।

इस बार महाकुंभ के महात्म्य एवं गरिमा को नई ऊर्जा एवं व्यवस्था की दृष्टि से ऐसी आभा, शोभा, महात्म्य एवं ऐश्वर्यवान व्यवस्था मिली है जो हमें राम-राज्य की उस स्मृति शेष व्यवस्था की याद दिलाती है जबकि हमारे राष्ट्र का भव्य गौरव, समृद्धि, ऐश्वर्य और समृद्धि सभी शिखर पर थे, जिसको ललचायी दृष्टि, ईर्ष्यालू स्वभाव से देखने वाले लुटेरे सब कुछ लूटने के लिए आकर्षित हुआ करते थे। असल में, महाकुम्भ अखंड सनातन गर्व, हिन्दू महापर्व का दिव्य-भव्य, मानवीय मूल्यों की एकता को आलोकित करने वाला, एक अविचल और अलौकिक अनुभूति लिए प्रधानमंत्री मोदी ओर मुख्यमंत्री योगी जी की प्रशासनिक दक्षता का एक ऐसा दिव्य कारनामा है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए वो उतनी कम ही दिखाई देती है। महाकुंभ जैसे सनातन और आध्यात्मिक आयोजन पर राजनीति करने से बचना चाहिए।

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