Mahalaxmi Vrat Katha: महालक्ष्मी व्रत के उद्यापन में जरूर करें इस कथा का पाठ, जानें संपूर्ण पूजा विधि
Mahalaxmi Vrat Katha: हिंदू धर्म में हर तीज-त्योहार का अपना अलग महत्व है। हर त्योहार को हिंदू धर्म काफी खास माना जाता है। हर त्योहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इतना ही नहीं हर त्योहार की अपनी अलग मान्यता होती है और अपनी अलग विशेषता होती है। सनातन धर्म में हर व्रत को भी पूरे नियमपूर्वक रखा जाता है। इन्हीं व्रतों में से एक है महालक्ष्मी व्रत। महालक्ष्मी व्रत का हिंदू धर्म में काफी बड़ा महत्व है। महालक्ष्मी व्रत व्रत पूरे 16 दिन चलता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्राद्ध पक्ष की अष्टमी तिथि बहुत खास होती है क्योंकि इस दिन 16 दिनों तक चलने वाले महालक्ष्मी व्रत का समापन होता है। महालक्ष्मी व्रत में हाथी पर बैठी देवी महालक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसी कारण इस व्रत को हाथी अष्टमी या हाथी पूजन के नाम से भी जाता जाता है। इस साल यह व्रत 31 अगस्त से शुरू हो चुका है जो 14 सितंबर तक चलने वाला है। 14 सितंबर को महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाएगा। यह व्रत इसलिए भी खास है क्योंकि यह व्रत पितृपक्ष के दौरान पड़ता है। आइए जानते हैं इस व्रत की कथा (Mahalaxmi Vrat Katha)और पूजा विधि।
Mahalaxmi Vrat Katha in hindi: जानें महालक्ष्मी व्रत की पूरी कथा
महालक्ष्मी व्रत की कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह ब्राह्मण भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और वह रोजाना भगवान विष्णु की सच्चे मन से और श्रद्धा पूजा करता था। गरीब ब्राह्मण की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। उस ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी को अपने घर में निवास करने की इच्छा जाहिर की।
भगवान विष्णु ने उसे बताया कि मंदिर के सामने एक स्त्री उपले थापने आती है। तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण दो. वही स्त्री लक्ष्मी जी हैं और उनके घर आने से तुम्हारा घर धन-धान्य से भर जाएगा। भगवान विष्णु की बात मानकर ब्राह्मण ने मंदिर के सामने बैठ गया। कुछ देर बाद मां लक्ष्मी उपले थापने आईं. उस ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी से अपने घर आने का निवेदन किया। लक्ष्मी जी समझ गईं कि यह सब विष्णु जी ने ही कहा है।
तब उन्होंने ब्राह्मण से कहा कि वह पूरे 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत करे। फिर 16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। गरीब ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी की बात मानकर 16 दिनों तक विधि-विधान से महालक्ष्मी व्रत किया। फिर 16वें दिन उसने चंद्रमा को अर्घ्य दिया और अपनी मनोकामना मांगी। महालक्ष्मी व्रत के कारण लक्ष्मी जी ने उसकी मनोकामना पूरी की और उसका घर धन-धान्य से भर दिया।
Mahalaxmi Vrat puja vidhi: जानें महालक्ष्मी व्रत की संपूर्ण पूजा विधि
1. महालक्ष्मी व्रत के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़ें पहनें
2. इसके बाद मां माता लक्ष्मी का ध्यान करते इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें और प्रार्थना करें यह व्रत उनके आशीर्वाद से बगैर किसी बाधा के पूर्ण हो
3. इसके बाद मां महालक्ष्मी की मूर्ति या फिर उनका चित्र घर के ईशान कोण में स्थापित करें
4. स्थापित करें करते समय चौकी या मेज पर पीले रंग का आसन बिछाएं और उसी पर वह मूर्ति को स्थापित करें
5. इसके बाद माता की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराएं
6. इसके बाद प्रतिमा पर रोली, चंदन, केसर, हल्दी आदि से तिलक करें
7. इसके बाद माता लक्ष्मी को फल-फूल, मिष्ठान, पान-सुपारी, इलायची, लौंग, नारियल आदि अर्पित करें
8. इसके बाद आरती करें और पूरे घर में प्रसाद का वितरण करें।
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