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कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद को लेकर बढ़ीं भाजपा की मुश्किलें, प्रस्ताव को लेकर शिंदे-फडणवीस आमने सामने

बालासाहेबची शिवसेना के नेताओं ने बताया है कि अभी इसे लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। हालांकि, सोमवार के लिए विधानमंडल के दोनों सदनों के एजेंडे में प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं है।

02:48 PM Dec 26, 2022 IST | Desk Team

बालासाहेबची शिवसेना के नेताओं ने बताया है कि अभी इसे लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। हालांकि, सोमवार के लिए विधानमंडल के दोनों सदनों के एजेंडे में प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं है।

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। इस बीच सत्तारूढ़ बालासाहेबची शिवसेना (BSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों में फूट की खबरें सामने आ रही हैं। एक तरफ बीएसएस राज्य में कर्नाटक में आने वाले क्षेत्र को लेकर प्रस्ताव लाने की घोषणा कर रहीं है। लेकिन भाजपा इस प्रस्ताव के समर्थन में नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों की अलग अलग राय है। 
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बता दें कि बीते कुछ दिन पहले बालासाहेबची शिवसेना के नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा था कि उनकी पार्टी कर्नाटक से सीमा विवाद को लेकर सोमवार को विधानसभा में प्रस्ताव लाएगी। हालांकि इस प्रस्ताव को लेकर भाजपा ने कुछ नहीं कहा। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा इस मुद्दे को भड़काना नहीं चाहती है। इसके पीछे की मुख्य बजह ये है कि वहां बीजेपी की ही सरकार है और अगले साल कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं। 
भाजपा के लिए मुश्किल फैसला 
बालासाहेबची शिवसेना के नेताओं ने बताया है कि अभी इसे लेकर कोई  नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है।  हालांकि, सोमवार के लिए विधानमंडल के दोनों सदनों के एजेंडे में प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं है। भाजपा इस प्रस्ताव के समर्थन में नहीं है। भाजपा फिलहाल किसी प्रकार का कोई जोखिम भरा फैसला नहीं लेना चाहती है। भाजपा का मानना है कि इस प्रस्ताव की बजह से अगले साल कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पद सकता है। इसलिए भाजपा इस प्रस्ताव के खिलाफ है। 
वहीँ शिंदे गुट के मुताबिक मुख्यमंत्री इस प्रस्ताव को लाने के पक्ष में हैं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी के लोग लगातार एकनाथ शिंदे को घेर रहे हैं। विपक्ष मुख्यमंत्री पर उनके कर्नाटक समकक्ष की तुलना में नरम रुख के लिए उन्हें दोषी ठहराया रहा है। 
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