महाराष्ट्र : बीजेपी फिर खेलेगी बड़ा सियासी खेल, शिवसेना के जख्मों पर छिड़केगी नमक, अमित ठाकरे के जरिए आदित्य के कैरियर को चोट !
महाराष्ट्र में बीजेपी की सियासी गोटिया सत्ता परिवर्तन तक सीमित नही हैं। वह शिवसेना को ऐसी सियासी चोट देने की तैयारी कर रहे हैं, जिसके कारण शिवसेना का भविष्य सियासी उथल -पुथल का शिकार बनकर रह जाएगा।
01:57 PM Jul 14, 2022 IST | Desk Team
महाराष्ट्र में बीजेपी की सियासी गोटिया सत्ता परिवर्तन तक सीमित नही हैं। वह शिवसेना को ऐसी सियासी चोट देने की तैयारी कर रहे हैं, जिसके कारण शिवसेना का भविष्य सियासी उथल -पुथल का शिकार बनकर रह जाएगा। कम सीटें होने के बावजूद एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र की कुर्सी पर विराजमान के पीछे भाजपा का मकसद तो पूरा हो गया लेकिन अभी थोडी कोर कसर जो बची उसे वह पूरा करना चाहती हैं।
बताया जा रहा हैं की एकनाथ शिंदे कैबिनेट के विस्तार में राजठाकरे के लड़के अमित ठाकरे की धमाकेदार एंट्री के साथ कैबिनेट में जगह मिल सकती हैं। जिस कारण आदित्य ठाकरे के सियासी कैरियर की चोट भी जबरदस्त लगने के आसार दिख रही हैं। असल में राजनीतिक हल्कों में शिवसेना का सियासी वारिस राजठाकरे को ही बताया जाता हैं। इसी आधार पर भाजपा शिवसेना को परिवारिक चोट देकर उसके खिलाफ एक सामूहिक माहौल बनाना चाह रही हैं क्योंकि महाराष्ट्र को कोंकण क्षेत्र में शिवसेना का मजबूत आधार हैं। जंहा राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पहले से ही अपना विस्तार करने में लगी हुई हैं।
शिवसेना में सियासी पलायन जारी, भारी संख्या में सांसदो के शिंदे से मिलने की खबर !
बगावत के कारण ही महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अपनी कुर्सी गंवा बैठे हैं। लेकिन यह बगावत सत्ता परिवर्तन तक ही सीमित नही रही हैं उसके बाद बड़ी तेजी के साथ शिवसेना से क्षेत्रीय नेता पाला बदल रहे हैं। मुंबई ठाणे अमरावती व आदि जगह के पार्षद को एक- दो छोड़कर सारे शिंदे कैंप में शामिल हो गए।
अब बताया जा रहा हैं की शिवसेना के 15 सांसद शिंदे से मिले व जल्द ही अपना सियासी पृष्ठ बदल सकते हैं। शिंदे के ऊपर भाजपा ने विश्वास करके महाराष्ट्र की सत्ता ही सीमित नही रखा, बल्कि उनका भरपूर उपयोग भी कर रही हैं। क्योंकि मराठा शक्ति महाराष्ट्र के अंदर पूरी मिजोरिटी में हैं जिसका समर्थन हासिल करने के लिए एकनाथ शिंदे पर भाजपा अपना दांव खेल रही हैं।
अब शिवसेना के वारिस होने की लड़ाई चुनाव आयोग की दरवाजे तक पहुंच गई हैं। हालांकि, पार्टी का प्रमुख बनने के लिए अभी शिंदे को नाम, चुनाव चिन्ह, सांसद और बचे हुए विधायक, बीएमसी और दूसरे निगम, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, पदाधिकारियों, पार्टी से जुड़े मोर्चे जैसी चीजों पर नियंत्रण हासिल करना जरूरी है।
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