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Maharashtra: एल्गार परिषद केस में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, आनंद तेलतुंबडे की जमानत याचिका मंजूर की

बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे की जमानत याचिका शुक्रवार को मंजूर कर ली।

04:53 PM Nov 18, 2022 IST | Desk Team

बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे की जमानत याचिका शुक्रवार को मंजूर कर ली।

बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबडे की जमानत याचिका शुक्रवार को मंजूर कर ली।अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया उनके खिलाफ मामला आतंकवादी संगठनों से उनके कथित संबंधों और उन्हें दिए जाने वाले समर्थन से जुड़ा है, जिसके लिए अधिकतम सजा 10 साल कारावास है।न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायूमर्ति एम एन जाधव की खंडपीठ ने कहा कि तेलतुंबडे पहले ही जेल में दो साल बिता चुके हैं।बहरहाल उच्च न्यायालय ने इस आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी, ताकि इस मामले की जांच कर रही एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) उच्चतम न्यायालय का रुख कर सके। इसका अर्थ है कि तेलतुंबडे तब तक जेल से बाहर नहीं जा सकेंगे।
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दो साल से अधिक समय जेल में काट चुके हैं तेलतुम्बडे 
तेलतुंबडे (73) अप्रैल 2020 से इस मामले में जेल में हैं। अदालत ने एक लाख रुपये के मुचलके पर उनकी जमानत मंजूर की। उनके वकील मिहिर देसाई ने अदालत से उन्हें नकद में जमानत राशि जमा कराने की अनुमति देने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।एनआईए ने इस आदेश पर एक सप्ताह की रोक लगाए जाने का आग्रह किया, ताकि वह इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील कर सके। पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और अपने आदेश पर एक सप्ताह की रोक लगा दी।पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया एनआईए ने तेलतुंबडे के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 38 (आतंकवादी संगठन के साथ जुड़ाव) और धारा 39 (आतंकवादी संगठन को समर्थन) के तहत अपराध तय किए हैं।अदालत ने कहा, ‘‘इन अपराधों में अधिकतम सजा 10 साल की कैद है और याचिकाकर्ता(तेलतुम्बडे) को पहले ही दो साल से अधिक समय जेल में काट चुके हैं।’’
नहीं दिया कोई भड़काऊ भाषण 
तेलतुंबडे इस समय नवी मुंबई की तलोजा जेल में हैं। एक विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने पिछले साल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।तेलतुंबडे ने अपनी याचिका में दावा किया था कि वह 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित हुए एल्गार परिषद के कार्यक्रम में मौजूद ही नहीं थे और न ही उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण दिया था।अभियोजन पक्ष का कहना है कि प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) द्वारा कथित तौर पर समर्थित इस कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके कारण बाद में पुणे के पास कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा हुई थी।तेलतुंबडे इस मामले में जमानत पाने वाले तीसरे आरोपी हैं। कवि वरवर राव को चिकित्सकीय जमानत पर रिहा किया गया है और वकील सुधा भारद्वाज नियमित जमानत पर जेल से बाहर हैं।
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