Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

सेना में बड़ा फेरबदल

NULL

08:06 AM Sep 01, 2017 IST | Desk Team

NULL

70 वर्ष से भारतीय सेना ने सशक्त लोकतन्त्र के एक शानदार संस्थान के रूप में गौरव हासिल किया। अपनी स्थापना के बाद से ही इसने राष्ट्र के प्रति असंदिग्ध निष्ठा का प्रदर्शन किया है। चाहे पड़ोसी देश के हमले हों या अचानक बादल फटने का कहर और प्रकृति का प्रकोप या ऊंचे पर्वतों पर आया विनाशकारी भूकम्प हो, राष्ट्र को प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से बचाने में सेना हमेशा आगे रही है। ईमानदार, देशभक्त, मानवीय तथा बलिदान के लिए तत्पर इस तैनाती की कला ही भारतीय सेना को दुनिया में एक विशिष्ट सेना का दर्जा देती है। सेना के प्रति हमारे देश में बहुत व्यापक स्तर पर इतना विश्वास है कि उसे खण्डित करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। हमें अपनी सैन्य शक्ति पर गर्व है, जो देश की आवश्यकताओं के अनुसार सदैव तैयार रहती है, आवश्यकता होती है केवल आदेश की। सेना देश के सामने आने वाले सभी तरह के खतरों से निपटने के लिए तैयार है।

पिछले कुछ दशकों में दुनिया भर में सामरिक दृष्टि से युद्ध कौशल में क्रान्तिकारी बदलाव आया है। पारम्परिक युद्ध का स्थान छाया युद्ध, आतंकवाद और विध्वंस ने ले लिया है, जिसके चलते सैन्य कमाण्डरों को नए सिरे से अपनी रणनीतियां बनानी पड़ी हैं। भारतीय उपमहाद्वीप आतंकवाद का उद्गम बन गया है, जहां से आतंकवाद को अन्जाम दिया जा रहा है और उसे दुनियाभर में भेजा जा रहा है। पाकिस्तान और चीन मिलकर अपने एजेण्डे पर अमल करने का कुचक्र रचते रहते हैं। चीन से डोकलाम विवाद के बाद भारत को भी अपने युद्ध सिद्धान्तों पर फिर से विचार करने, सेना को सशक्त बनाने के लिए कदम उठाना जरूरी हो गया था। मोदी सरकार ने सेना की शैली में सबसे बड़ा फेरबदल किया है। आजादी के बाद यह सबसे बड़ा सुधार कार्यक्रम है। इस सुधार के तहत सेना के 57 हजार अफसरों, जेसीओ, जवानों की तैनाती होगी। सेना के जवानों को खत पहुंचाने वाला डाकिया अब नहीं दिखेगा। सेना के डाकघरों को बन्द किया जाएगा। सेवानिवृत्त लैफ्टिनेंट जनरल डी.बी. शेतकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था।

इस कमेटी ने सेना को नए जमाने की सेना बनाने की अहम सिफारिशें की थीं। शेतकर कमेटी ने 99 सिफारिशें दी थीं। मोदी सरकार ने विचार के बाद 65 सिफारिशों को मान लिया है। ये सभी सुधार 31 दिसम्बर 2019 तक लागू भी कर दिए जाएंगे। सेना के पास पूरे देश में 39 मिलिट्री फार्म हैं, जहां से जवानों को दूध की सप्लाई करने के लिए गाय पाली जाती हैं। इन गौशालाओं की देखभाल के लिए सैकड़ों जवान लगे हुए हैं और अधिकारी गौशाला की निगरानी करते हैं। अब यह गायें डेयरी को सौंपी जाएंगी और दूध बाजार से खरीदा जाएगा। यहां सेना के जवानों के लिए घर बनाए जाएंगे। सेना में ब्रिटिश शासनकाल से चली आ रही प्रणाली की पुनर्संरचना के काम जैसे सिगनल्स एवं इंजीनियङ्क्षरग कोर तथा आर्डिनेंस इकाइयों का पुनर्गठन, कुछ इकाइयों का विलय आदि बन्द कर दिया गया है। सेना में सुधार के लिए सिफारिशें माने जाने का कदम स्वागत योग्य है। इससे पहले भी कई समितियां बनीं और कितने ही सुझावों पर अमल किया गया, इस पर सवाल उठाए जा सकते हैं।

11 सदस्यों वाली शेतकर समिति ने 400 साल के युद्ध इतिहास से लिए अनुभव से ही यह रिपोर्ट बनाई है जिसमें देश का रक्षा विभाग भविष्य में आने वाली युद्ध परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हो सके। कारगिल युद्ध और चीन की घुसपैठ, पाक से हुए युद्धों पर भी विचार किया गया। पाक-चीन मिलकर भविष्य में क्या कर सकते हैं, ऐसे तमाम पहलुओं पर समिति ने विचार किया। आंतरिक सुरक्षा, नक्सलवाद, समुद्री किनारे की सुरक्षा पर भी ध्यान दिया गया। तकनीक, युद्ध के प्रकार, शस्त्रों की जरूरत पर भी विचार किया गया। जवानों की संख्या बढ़ाने की बजाय उनकी क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया ताकि सीमा पर जंग में सीधे हिस्सा लेने वाले सैनिकों और उन्हें लॉजिस्टिक्स की आपूर्ति एवं अन्य मदद मुहैया कराने वाले सैनिकों के बीच अनुपात में सुधार किया जा सके। इतनी बड़ी सेना में जवानों की सही तरीके से तैनाती और संसाधनों के भरपूर उपयोग से सेना की ताकत ही बढ़ेगी। इसका असर यह भी होगा कि सेना में विभिन्न कार्यों में लगे जवानों का बदली हुई परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ उपयोग हो सकेगा। भारत की धरा पर हो रहे आतंकी हमले राष्ट्र के स्वाभिमान, राष्ट्र की अस्मिता, राष्ट्र के शौर्य और राष्ट्र की विरासत को चुनौती है जिसे स्वीकार कर ईंट का जवाब पत्थर से देना ही होगा। बस यही एक अपेक्षा है कि हम सावधान होकर राष्ट्र का नेतृत्व और रक्षा करें।

Advertisement
Advertisement
Next Article