Malegaon Blast Case: 17 साल बाद आज आएगा फैसला, जानें कब हुआ था विस्फोट
Malegaon Blast Case: 2008 के मालेगांव में बम विस्फोट मामले में आज 17 साल के इंतजार के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत अपना फैसला सुनाएगी। बता दें कि अदालत ने बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि अप्रैल में सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज होने के कारण, फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अधिक समय की जरूरत है।
Malegaon Blast Case के आरोपी
कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने होगा और चेतावनी देते हुए कहा कि जो आरोपी उस दिन अनुपस्थित रहेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि इस मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व BJP सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय पर मुकदमा चल रहा है। साथ ही इन सभी लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
#WATCH | Mumbai, Maharashtra: On NIA Court to pronounce verdict in 2008 Malegaon bomb blast case, Advocate Shahid Nadeem Ansari, Malegaon blast victims' lawyer, says, "... I am hopeful that justice will be served... Terror has no religion. The accused of the blact must be… pic.twitter.com/222CRBvvsi
— ANI (@ANI) July 31, 2025
Malegaon Blast Case कब हुआ
महाराष्ट्र में 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में रमजान के महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले विस्फोट किया गया था। इस धमाकेदार विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए 323 गवाहों से पूछताछ की गई, जिनमें से 34 गवाह अपने बयान से पलट गए।

NIA कर रही है जांच
Malegaon Blast Case की जिम्मेदारी महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) को सौंपी गई थी और वर्ष 2011 में NIA को जांच सौंप दी गई। बता दें कि 2016 में एनआईए ने सबूतों पूरे ना होने का हवाला देते हुए प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कई अन्य आरोपियों को बरी करते हुए एक आरोप पत्र दाखिल किया। अब घटना के लगभग 17 साल बाद आज फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है और इसके महत्वपूर्ण कानूनी और राजनीतिक परिणाम होने की संभावना है।
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