Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

कैप्टन की सरकार में मालवा की बल्ले-बल्ले और दोआबा हुआ थल्ले थल्ले

NULL

08:33 PM Apr 21, 2018 IST | Desk Team

NULL

लुधियाना : पंजाब में राजा अमरेंद्र सिंह की सरकार के गठन का सवा साल पूरा होने के पश्चात आज अमरेंद्र सिंह समेत पंजाब की केबिनेट में डेढ़ दर्जन मंत्री हो गए है। इनमें अधिकांश का संबंध पंजाब के धनी आबादी और बड़े हिस्से मालवा से जुड़े सियासी कांग्रेसी दिगज है। जबकि सतलुज और ब्यास दरिया के बीच बसे दोआबा से सिर्फ एक मंत्री को जिम्मेदारी मिली है। हालाङ्क्षक इस विस्तार के दौरान जहां मंत्रीमंडल में बढ़ौतरी के खिलाफ हाई कोर्ट में एक रिट के जरिए पाटीशन दाखिल होते ही दंश झेलना पड़ा वही इस विस्तार के दौरान नाराज अमरगढ़ के विधायक सुरजीत सिंह धीमान, बलूआना से विधायक नत्थूराम और डॉ राजकुमार वेरका समेत नवतेज चीमा ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफे दे दिए। जबकि खन्ना के बेअंत सिंह परिवार से जुड़े विधायक गुरकीरत सिंह ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि वह कांग्रेस हाई कमान का विरोध नहीं करते किंतु टकसाली कांग्रेसी परिवारों की अनदेखी करना ठीक नहीं।

शनिवार की शाम को हुए केबिनेट विस्तार में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मंजूरी के उपरांत कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने 4 हिंदू चेहरों को स्थान दिया। जबकि पहले केवल ब्रहम महिंद्रा ही हिंदू चेहरा था, अब उनके साथ लुधियाना के 2 बार विधायक रहे भारत भूषण आशु, संगरूर से विजय इंद्र सिंगला, 5 बार विधायक रहे अमृतसर से ओपी सोनी समेत होशियारपुर से श्याम सुंदर अरोड़ा शामिल है।

कांग्रेस के सता इतिहास पर नजर डाले तो जिस दोआबा इलाके क ेबलबूते पर पंजाब कांग्रेस सत्ता सुख भुगतती रही है वहां अब की बार दलित सियासत का आधार निचले स्तर पर है। जालंधर जिले में कभी कैप्टन की पूर्व सरकार में 6-6 मंत्री रहे है। वही अब कांग्रेस ने विधायकों को नजर अंदाज किया है। दोआबा की 23 में से 15 सीटें कांग्रेस ने हासिल की। जबकि जालंधर की 9 में से 5 सीटें कांग्रेस की झोली में गई।

होशियारपुर से इकलौते चेहरे श्याम सुंदर अरोड़ा जो 2002 के विधानसभा चुनावों में बतौरे आजाद उम्मीदवार चुनाव लडक़र तीसरे स्थान पर रहे थे। इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हुए। 2012 और 2017 के चुनावों में लगातार जीत हासिल की। उन्होंने 2012 के चुनावों में भाजपा के तीक्षण सूद को 6000 से अधिक वोटो से हराया था और जबकि 2017 के चुनावों में उनकी जीत का आंकड़ा लगभग दुगना यानि 11233 हो गया। श्याम सुंदर अरोड़ा कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नजदीकी थे और उनको फायदा मिला जबकि मालवा क्षेत्र से जुड़े कैप्टन अमरेंद्र सिंह समेत 11 मंत्री शामिल है।

इसी क्रम में माझा के इलाके अमृतसर सेंट्रल से पुराने कांग्रेसी दिगगज ओपी सोनी है, जो दो दशकों से विधायक चले आ रहे है। हालांकि 1997 और 2002 में उन्होंने बतौरे आजाद उम्मीदवार चुनाव जीता था। जबकि 2012 के चुनावों में तरूण चुंग को साढ़े 12हजार से अधिक और फिर 2017 के चुनावों में तरूण चुंग को 21116 मतों से मात दी थी।

मालवा के औद्योगिक इलाके लुधियाना की वेस्ट सीट से विधायक भारत भूषण आशु 2 बार चुनाव बड़े आंकड़े से जीते है। 2012 के चुनावों में उन्होंने भाजपा के कदवार प्रत्याशी प्रो. राजिंद्र भंडारी को 35922 वोटों से हराया था जबकि 2017 के चुनावों में आम आदमी पार्टी के अहबाब सिंह ग्रेवाल को 36521 वोटो से हराकर विधानसभा में पहुंचे है। आशु का सियासी जीवन पार्षद से शुरू हुआ और हट्रिक बनाई। इसी प्रकार संगरूर से विधायक विजय इंद्र सिंगला को सियासत विरासत से मिली और उनके पिता संत राम सिंगला कांग्रेस के सांसद थे।

विजय इंद्र सिंगला ने सियासी सफर की शुरूआत 2002 में पंजाब यूथ कांग्रेस के जरिए शुरू की और फिर 2005 में कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार के वक्त वह पंजाब एनर्जी डवेलपमेंट के चेयरमैन बने। 2009 में लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने अकाली दिगगज सुखदेव सिंह ढींढसा को हराया था और अपने कार्यकाल के दौरान वह बेस्ट सांसद चुने गए। 2017 के चुनावों में उन्होंने आप के प्रत्याशी दिनेश बांसल को 30000 से अधिक मतों से हराया।

इसी प्रकार कैप्टन सरकार में मोहाली से शामिल हुए विधायक बलबीर सिंह सिद्धू ने भी जीत की हैट्रिक लगाते हुए मंत्री पद हासिल किया। वह 2007, 2012 और 2017 में लगातार विजय रहें। उन्होंने 2007 के चुनावों में जसजीत सिंह को 13,615 मतों से हराया जबकि 2012 के चुनावों में बलवंत सिंह रामूवालिया केा 16756 मतों से हराया था। हालांकि सिद्धू पहले आजाद उम्मीदवार के तौर पर हार का मजा चख चुके थे। सीमावर्ती जिले फिरोजपुर के इलाके गुरूहरसाय से हैट्रिक लगा चुके राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने लगातार 4 जीत अपने पक्ष में हासिल की।

2002, 2007, 2012 और 2017 के चुनावों में उन्होंने यह रिकार्ड बनाया है। इसी सिलसिले में जीत की हैट्रिक लगाने वाले गुरू की नगरी अमृतसर की विधानसभा राजासांसी के विधायक सुखविंद्र सिंह सरकारिया ने लगातार हैट्रिक बनाने के बावजूद अब सत्ता की हिस्सेदारी मिली है। उनका सियासी सफर आसान नहीं रहा। वह 1997 और 2002 के चुनाव में हार का मजा चख चुके थे। पहले चुनाव में निर्मल सिंह काहलो के हाथों साढ़े 5 हजार से अधिक मतों से वह हारें थे। 2002 में बतौरे आजाद उम्मीदवार के तौर पर उनकी हार का आंकड़ा साढ़े 7 हजार तक पहुंच गया और आखिर 2007 के चुनावों में उन्होंने वीर सिंह लोपोके को 8276 मतों से हराया था जबकि 2012 के चुनावों में एक बार फिर वीर सिंह को मुकाबले में मात दी और अब 2017 के चुनावों में 5727 मतों से जीत हासिल की।

डेरा बाबा नानक विधानसभा सीट से 2 बार 1997 और 2007 को हार का मजा चख चुके सुखविंद्र जीत सिंह रंधावा लंबे अंतराल के बाद मंत्री बने है। उन्होंने 2012 और 2017 के चुनावों में अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह को शिकस्त दी थी। केबिनेट में शामिल होने वाले रामपुरा फूल से विधायक गुरप्रीत सिंह कांगड़ को भी वरिष्ठता का इनाम मिला। वह 2012 का चुनाव अकालियों के वरिष्ठ नेता सिकंदर सिंह मलूका के हाथों 5000 से अधिक मतों के अंतराल से हार का मजा चखा था लेकिन 2017 के चुनावों में उन्होंने मलूका को दुगुने मतों से हराया। जबकि 2007 के चुनावों में भी कांगड़ ने सिकंदर सिंह मलूका को 2259 से हराया। कांग्रेस हाई कमान ने उन पर विश्वास जताया है।

– सुनीलराय कामरेड

अन्य विशेष खबरों के लिए पढ़िये पंजाब केसरी की अन्य रिपोर्ट।

Advertisement
Advertisement
Next Article