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इंसानियत की मिसाल! कोरोना से हुई मौत तो अपनों ने मोड़ा मुंह, रोजेदार मुस्लिम युवकों ने कराया अंतिम संस्कार

बलरामपुर जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां कोरोना से संक्रमित मरीज की मौत के बाद परिवार वालों ने मुंह मोड़ लिया तो रोजेदार मुस्लिम युवाओं ने इंसानियत का फर्ज निभाते हुए मृतक का अंतिम संस्कार किया।

04:39 PM May 04, 2021 IST | Desk Team

बलरामपुर जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां कोरोना से संक्रमित मरीज की मौत के बाद परिवार वालों ने मुंह मोड़ लिया तो रोजेदार मुस्लिम युवाओं ने इंसानियत का फर्ज निभाते हुए मृतक का अंतिम संस्कार किया।

देश में कोरोना से ऐसे हालात बने हुए है कि अपनों ने साथ छोड़ा तो परायों ने इंसानियत दिखाई। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां कोरोना से संक्रमित मरीज की मौत के बाद परिवार वालों ने मुंह मोड़ लिया तो रोजेदार मुस्लिम युवाओं ने इंसानियत का फर्ज निभाते हुए मृतक का अंतिम संस्कार किया।
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बलरामपुर नगर के पुरैनिया निवासी मुकुंद मोहन पांडेय (60) की तीन मई को कोरोना से मौत हो गयी। संक्रमण के डर से उनके परिवार के लोगों और पड़ोसियों ने अंतिम संस्कार करने से किनारा कर लिया। इस बात की जानकारी नगर पालिका परिषद के चेयरमैन के प्रतिनिधि शाबान अली को मिली तो उन्होंने अपने कुछ मित्रों को बुलाया। इन लोगों ने अर्थी और कफ़न तैयार कराया फिर उनके शव को श्मशान ले गए।
शाबान अली ने बताया कि मुकुंद पांडेय के बड़े भाई ललित पांडेय का 30 अप्रैल को कोरोना से निधन हो गया था और इस सदमे से परिजन उबर भी नहीं पाए थे कि दो दिन बाद मुकुंद की भी कोरोना से मौत हो गयी। उन्होंने बतायसा कि दो दिन में दो मौतों से पूरा परिवार दहशत में आ गया और कोई भी शव के पास जाने को तैयार नहीं था।
अली ने बताया कि इस बात की जानकारी मिलने पर उन्होंने अपने मित्रों तारिक, अनस, गुड्डू, शफीक तथा दो अन्य साथियों को बुलाया। वे सभी रोजेदार थे। उन्होंने पांडे के घर जाकर मुकुंद का कफ़न तैयार किया और उनके शव को गाड़ी से राप्ती नदी श्मशान घाट पर पहुंचाया। वहां चिता पर लिटा कर उनके बेटों को फोन करके बुलाया जिन्होंने आकर अपने पिता को मुखाग्नि दी। रोजेदार युवाओं द्वारा पेश की गई इंसानियत की मिसाल की क्षेत्र में खासी चर्चा हो रही है।
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