CM गहलोत ने PM मोदी की तारीफ में पढ़े कसीदे, कहा-जिस देश में जाते हैं मिलता है सम्मान, क्योंकि...
बांसवाड़ा में मानगढ़ धाम की गौरव यात्रा के सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने हिस्सा लिया।
12:24 PM Nov 01, 2022 IST | Desk Team
Mangarh Dham Ki Gaurav Gatha : बहुत कम मौके होते हैं जब विपक्ष का कोई नेता या मंत्री, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए दिखाई दें। ऐसा ही मौका उस वक़्त देखने को मिला जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मानगढ़ धाम की गौरव गाथा कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए स्टेज पर पहुंचे।
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बांसवाड़ा में मानगढ़ धाम की गौरव यात्रा के सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री के साथ तीन राज्यों के मुख्यमंत्री एक स्टेज पर एक साथ नजर आए।
मानगढ़ धाम की गौरव यात्रा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री दुनिया के कई देश में जाते है तो बेहद सम्मान मिलता है और सम्मान क्यों मिलता है? क्योंकि नरेंद्र मोदी जी उस देश के प्रधानमंत्री है जो गांधी का देश है, जहां लोकतंत्र की जड़े मज़बूत है।
अशोक जी और मैंने CM रूप में साथ किया काम : PM
बांसवाड़ा में मानगढ़ धाम की गौरव गाथा में बोलते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अशोक जी (गहलोत) और मैंने सीएम के रूप में साथ काम किया था। वह हमारे बहुत से मुख्यमंत्रियों में सबसे वरिष्ठ थे। अशोक जी अभी भी मंच पर बैठे लोगों में सबसे वरिष्ठ सीएम में से एक हैं।
गुजरात CM ने मोरबी हादसे पर जताया दुख
मानगढ़ की गौरव गाथा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुजरात CM भूपेंद्र पटेल ने मोरबी हादसे पर दुख जताया।उन्होंने कहा कि गुजरात के मोरबी में हुए हादसे में मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं,मैं PM का आभार व्यक्त करता हूं कि वे संकट की इस घड़ी में हमारे साथ खड़े रहे। साथ ही NDRF,सेना , एयर फोर्स,आपदा प्रबंधन ने लगातार काम किया।
क्या है मानगढ़ धाम?
राजस्थान व गुजरात की सीमा पर बांसवाड़ा जिले की आनंदपुरी पंचायत समिति क्षेत्र की पहाड़ी पर मानगढ़ धाम स्थित हैं। 17 नवंबर 1913 में गोविन्द गुरु के नेतृत्व में अंग्रेजों से स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए करीब 1500 आदिवासी शहीद हुए थे। माना जाता है कि यह घटनाक्रम जलियावाला बाग से भी बड़ा था।
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