Manikarnika Snan Kya Hota Hai: क्या सच में काशी के इस घाट पर स्नान करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति? जानिए इसका सच
Manikarnika Snan Kya Hota Hai: काशी करोड़ों हिंदुओं की आस्था और भक्ति का केंद्र है। यहां हर दिन अनगिनत लोग दर्शन करने और घूमने के लिए आते हैं। यहां कुल 84 घाट मौजूद हैं। जिसमें से एक घाट ऐसा भी है, जहां 24 घंटे चिताएं जलती रहती हैं। इस घाट का कुछ ऐसा रहस्य और बातें हैं, जिसे जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। जब भी लोग काशी घूमने आते हैं, तो इन घाटों पर ज़रूर घूमते हैं। माना जाता है कि अगर आप इन घाटों पर बैठकर थोड़ा समय बिताते हैं, तो आपको मृत्यु का मतलब समझ आता है। काशी एक बहुत ही खूबसूरत और न जाने कितनी साल पुरानी नगरी है।
Manikarnika Snan 2025: मणिकर्णिका स्नान

वाराणसी का मणिकर्णिका घाट, अस्सी घाट और गंगा आरती देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। काशी एक ऐसी जगह है, जहां गर्मी, सर्दी या बरसात हर समय लोगों का तांता लगा रहता है। काशी को शिव की नगरी कहा जाता है। यह जगह बहुत ही अद्भुत है, यहां पर हर कोने के पीछे एक कहानी है।
काशी के मणिकर्णिका घाट को मोक्ष प्राप्ति के लिए जाना जाता है। माना जाता है कि जिन लोगों की मृत्यु हो जाती है, अगर उनकी चिता इस घाट पर जलाई जाती है, तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इसे रहस्य मानते हैं। आइए जानते हैं, इस घाट पर स्नान करने का महत्व और सच
Manikarnika Snan ke Labh: मणिकर्णिका स्नान के लाभ

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को वैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। यह दिन हरि और हर यानी भगवान विष्णु और शिव जी के मिलन का प्रतीक भी माना गया है। इस शुभ अवसर पर मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने की परम्परा है। वैकुंठ चतुर्दशी के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस घाट पर डुबकी लगाते हैं और मोक्ष की कामना करते हैं। इस साल मणिकर्णिका स्नान 4 नवंबर 2025 दिन मंगलवार के दिन किया जाएगा।
वैकुंठ चतुर्दशी इसी दिन मनाई जाती है। हिंदू मान्यतों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने काशी के मणिकर्णिका घाट पर स्नान करके भगवन शिव की पूजा की थी। पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने विष्णु जी को आशीर्वाद दिया कि जो भी इस घाट पर स्नान करेगा, उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाएगी और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।
Manikarnika Snan Kya Hota Hai: मणिकर्णिका घाट स्नान का महत्व

मणिकर्णिका घाट का एक विशेष महत्व है इस घाट के बारे में एक कहानी काफी ज्यादा प्रचलित है। बताया जाता है कि इस जगह को माता पार्वती का श्राप लगा है, इसी कारण से यहां हमेशा चिताएं जलती रहती है। इसके पीछे की कहानी ये है कि माता पार्वती की कान की बाली यहां गिरी और उसे ढूंढने के बाद भी वो नहीं मिली। इसके बाद माता पार्वती ने क्रोध में आकर इस जगह को श्राप दे दिया कि अगर मेरे कान की बाली यहां नहीं मिली, तो यह जगह हमेशा जलती रहेगी। तब से लेकर आज तक इस जगह पर 24 घंटे चिताएं जलती रहती हैं। यहां की आग कभी नहीं बुझती है।
मणिकर्णिका घाट पर स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यहां स्नान करने से व्यक्ति को भगवान शिव और माता गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे उसके जीवन में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। वैकुंठ चतुर्दशी पर यह स्नान करना सबसे पुण्य का काम माना जाता है।
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