Manisha Death Mystery: 'दोषी न पकड़े जाने तक नहीं करेंगे अंतिम संस्कार...', ग्रामीणों का बड़ा ऐलान
Manisha Death Mystery: हरियाणा के भिवानी जिले की महिला शिक्षक मनीषा की संदिग्ध मौत को लेकर मामला अब और गंभीर होता जा रहा है। ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि जब तक दोषी पकड़े नहीं जाते, वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। गांव में गुस्सा और दुख दोनों गहराते जा रहे हैं।
Manisha Death Mystery: ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार से किया इनकार
गांव ढाणी लक्ष्मण की पंचायत ने मंगलवार को ऐलान किया कि मनीषा का अंतिम संस्कार तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता। इसके लिए गांव में "पक्का मोर्चा" शुरू कर दिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक न्याय नहीं मिलता।

पिता ने प्रशासन पर दबाव डालने का लगाया आरोप
सोमवार देर रात प्रशासन के साथ हुई बातचीत के बाद खबर आई थी कि परिवार अंतिम संस्कार के लिए राजी हो गया है। लेकिन मंगलवार सुबह मनीषा के पिता संजय का वीडियो सामने आया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने धरना कमेटी के ज़रिए उन पर दबाव बनाया और सहमति ली। संजय ने कहा, "मेरी बेटी आत्महत्या नहीं कर सकती, ये हत्या है।"
ग्रामीणों का बड़ा ऐलान
सुबह जब यह बात सामने आई, तो गांव में फिर से पंचायत बुलाई गई। पंचायत में यह तय किया गया कि मनीषा के साथ न्याय मिलने तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। ग्रामीणों ने संजय को भी समझाया कि वे किसी के दबाव में न आएं, पूरा गांव उनके साथ है।

रास्ता बंद, महिलाएं और युवा मोर्चे पर
गांव के मुख्य रास्ते को ग्रामीणों ने पूरी तरह से बंद कर दिया है। महिलाएं और युवा बड़ी संख्या में गांव के एंट्री पॉइंट पर धरना दे रहे हैं। सभी की मांग है कि इस केस की जांच सीबीआई से कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। वहीं मनीषा की डेड बॉडी अभी तक भिवानी के सिविल अस्पताल में ही रखी हुई है। शव को तब तक नहीं लिया जाएगा जब तक सरकार और प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठाते।
इंटरनेट सेवाएं बंद, माहौल तनावपूर्ण
स्थिति को देखते हुए भिवानी और चरखी दादरी जिलों में इंटरनेट सेवाएं 19 अगस्त सुबह 11 बजे से 21 अगस्त सुबह 11 बजे तक बंद कर दी गई हैं। सरकार ने यह फैसला एहतियात के तौर पर लिया है ताकि कोई अफवाह न फैले और माहौल शांत बना रहे।
पंचायत का दो टूक फैसला
गांव की पंचायत ने यह भी तय किया है कि अब गांव की ओर से कोई भी कमेटी प्रशासन से मिलने नहीं जाएगी। बल्कि प्रशासन को ही गांव आकर बातचीत करनी होगी। इसके लिए 21 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई है जो गांव स्तर पर फैसले लेगी।