Manoj Kumar की फिल्मों ने जगाई देशभक्ति की भावना
मनोज कुमार की फिल्मों से उमड़ा देशप्रेम का जज्बा
मनोज कुमार, जिन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाता है, ने भारतीय सिनेमा में देशभक्ति की अलख जगाई। उनके अभिनय और फिल्मों ने करोड़ों भारतीयों के दिलों में देशप्रेम की भावना को मजबूत किया।
एक ऐसे दिग्गज अभिनेता, निर्देशक और लेखक को याद कर रहे हैं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा में देशभक्ति की अलख जगाई। वह शख्सियत, जिन्होंने अपने अभिनय और फिल्मों के जरिए करोड़ों भारतीयों के दिलों में देशप्रेम की भावना को और मजबूत किया। हम बात कर रहे हैं महान अभिनेता मनोज कुमार की, जिन्हें पूरे देश ने ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना और सराहा।
मनोज कुमार: एक नाम, एक पहचान
मनोज कुमार का असली नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था। लेकिन यह नाम फिल्मों में आने के बाद बदल गया और वह पूरे देश के लिए मनोज कुमार बन गए। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने यह नाम दिलीप कुमार की फिल्म शबनम के एक किरदार से प्रेरित होकर रखा था। जहां एक तरफ 60 और 70 के दशक में लोग रोमांटिक हीरोज को पसंद कर रहे थे, वहीं मनोज कुमार ने अलग राह चुनी। उन्होंने देशभक्ति को अपनी पहचान बनाया। उनकी ज्यादातर फिल्मों में उनके किरदार का नाम ‘भारत’ होता था, और यही वजह थी कि दर्शकों ने उन्हें ‘भारत कुमार’ कहना शुरू कर दिया। उन्होंने पूरब और पश्चिम, रोटी, कपड़ा और मकान, क्रांति, शहीद और उपकार जैसी बेहतरीन देशभक्ति फिल्मों में न केवल अभिनय किया, बल्कि इन फिल्मों का निर्देशन भी किया।
सफलता की सीढ़ियां और सिनेमा में योगदान
1957 में फिल्म ‘फैशन’ से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा। हालांकि, असली पहचान मिली 1965 में आई फिल्म ‘शहीद’ से, जो भगत सिंह के जीवन पर आधारित थी। इसके बाद उन्होंने ‘उपकार’ बनाई, जिसे खुद प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने बनाने के लिए प्रेरित किया था। ‘उपकार’ के जरिए उन्होंने एक किसान और एक जवान की कहानी को बड़े पर्दे पर दिखाया। इस फिल्म का गाना “मेरे देश की धरती सोना उगले” आज भी हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की भावना भर देता है।
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जब शाहरुख से हुए थे नाराज
मनोज कुमार का नाम विवादों से दूर ही रहा, लेकिन एक बार शाहरुख खान की फिल्म ओम शांति ओम के एक सीन में उनके किरदार की नकल दिखाई गई, जिससे वे नाराज हो गए थे। हालांकि, शाहरुख खान ने उनसे माफी मांगी और मनोज कुमार ने बड़े दिल से उन्हें माफ भी कर दिया।
सिनेमा को बड़ी क्षति
आज, जब मनोज कुमार हमारे बीच नहीं हैं, तो सिनेमा जगत में एक खालीपन सा महसूस हो रहा है। लेकिन उनकी फिल्मों के जरिए वह हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे। उनके द्वारा गाया और पर्दे पर निभाया गया गाना – “है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं।”मनोज कुमार केवल एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा थे, एक प्रेरणा थे। उन्होंने यह साबित किया कि देशभक्ति फिल्मों से भी बड़ी सफलता पाई जा सकती है। उनका जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा अमर रहेगी। हम सब उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी यादों को संजोकर रखते हैं।