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मरियम नवाज़ ने की इमरान खान की आलोचना, कहा- संस्थानों को राजनीति में न घसीटे

पाकिस्तान के विपक्ष ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की अपमानजनक हार के बाद पाकिस्तानी सेना और देश की शक्तिशाली जासूसी एजेंसी (आईएसआई) के प्रमुखों से मुलाकात करने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान की आलोचना की।

07:26 PM Mar 06, 2021 IST | Desk Team

पाकिस्तान के विपक्ष ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की अपमानजनक हार के बाद पाकिस्तानी सेना और देश की शक्तिशाली जासूसी एजेंसी (आईएसआई) के प्रमुखों से मुलाकात करने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान की आलोचना की।

पाकिस्तान के विपक्ष ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की अपमानजनक हार के बाद पाकिस्तानी सेना और देश की शक्तिशाली जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुखों से मुलाकात करने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ‘‘संस्थानों’’ को स्वयं को संवैधानिक और कानूनी भूमिका तक सीमित रखनी चाहिए।
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एक अखबार की खबर के अनुसार, राष्ट्रीय मुद्दों पर असैन्य और सैन्य नेतृत्व के बीच बातचीत के तहत सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने प्रधानमंत्री खान से बृहस्पतिवार को मुलाकात की। आईएसआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामीद भी बैठक के दौरान मौजूद थे। बैठक आंतरिक और बाहरी स्थिति की समीक्षा करने के लिए आयोजित की गई थी। हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा कोई इस पर बयान जारी नहीं किया गया, जो आमतौर पर इस तरह की बैठकों पर प्रेस विज्ञप्ति जारी करता है। रिपोर्ट के अनुसार, सीनेट चुनाव के बाद लोग इस बैठक को देश के नवीनतम राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़कर देख रहे हैं।
मुख्य विपक्षी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने कहा कि सैन्य नेतृत्व को सीनेट के चुनाव के घटनाक्रम के बाद प्रधानमंत्री खान के साथ नहीं मिलना चाहिए था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने उसी दिन अपने आधिकारिक आवास के लॉन में संस्थानों के प्रमुखों को बुलाया और उनसे मुलाकात की जिस दिन उन्हें अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था। रिपोर्ट में उन्हें उद्धृत करते हुए कहा गया, क्या वह संस्थानों को राजनीति में नहीं घसीट रहे हैं? उन्होंने कहा कि इस स्थिति में इस बैठक से अच्छा संदेश नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, संस्थानों को प्रधानमंत्री खान का समर्थन करना बंद करना चाहिए, अगर उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है। उन्हें खुद को संवैधानिक और कानूनी भूमिका तक सीमित रखना चाहिए।
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