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April की शुरुआत में Market sentiment होगा अहम, आर्थिक आंकड़ों पर नजर

संयुक्त राज्य अमेरिका के आर्थिक आंकड़ों पर बाजार की नजर

02:46 AM Apr 01, 2025 IST | IANS

संयुक्त राज्य अमेरिका के आर्थिक आंकड़ों पर बाजार की नजर

अप्रैल की शुरुआत ‘मार्केट सेंटीमेंट’ के लिए महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि प्रमुख आर्थिक आंकड़ों के जारी होने से ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग, रोजगार ट्रेंड और आर्थिक गतिविधि के बारे में जानकारी मिलेगी। सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। अप्रैल की शुरुआत में फोकस संयुक्त राज्य अमेरिका पर रहेगा, जहां एसएंडपी ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई कारोबारी धारणा (बिजनेस सेंटीमेंट) और औद्योगिक उत्पादन (इंडस्ट्रियल आउटपुट) को दर्शाएगा।

ऑटो कंपनियां भी मार्च महीने के लिए अपने आंकड़े जारी करेंगी। बजाज ब्रोकिंग रिसर्च ने एक नोट में कहा, “2 अप्रैल को भारत का एसएंडपी ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई ‘घरेलू विनिर्माण ट्रेंड’ को दर्शाएगा, जबकि टयूएस एडीपी गैर-कृषि रोजगार परिवर्तन रिपोर्ट’ आधिकारिक श्रम बाजार आंकड़ों से पहले निजी क्षेत्र की नौकरी वृद्धि को लेकर प्रीव्यू पेश करेगी। 31 मार्च को चीन का ‘चीनी कंपोजिट पीएमआई’ और मार्च के लिए ‘मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई’ देश की आर्थिक स्थिति, मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी और मांग ट्रेंड को लेकर जानकारी प्रदान करेगा, जो वैश्विक बाजारों, विशेष रूप से कमोडिटी और औद्योगिक क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।

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3 अप्रैल को, ‘यूएस इनिशियल जॉबलेस क्लेम’ रिपोर्ट को श्रम बाजार की मजबूती और फेडरल रिजर्व नीति के संभावित बदलावों को लेकर अहम होगी। सप्ताह का समापन 4 अप्रैल को यूएस नॉन-फार्म पेरोल और बेरोजगारी दर के आंकड़ों के साथ होगा। नोट में कहा गया है कि ये आंकड़े श्रम बाजार के लचीलेपन और मुद्रास्फीति के दबाव का आकलन करने में महत्वपूर्ण होंगे। बाजार पर भारत-अमेरिका टैरिफ पॉलिसी डेवलपमेंट, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 3 अप्रैल से प्रभावी- तैयार वाहन आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा और यूएस फेड चेयर पॉवेल के भाषण का असर दिखेगा।

इस बीच, विदेशी निवेशकों ने पिछले सप्ताह भी अपनी खरीदारी जारी रखी। 24 से 28 मार्च के बीच, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 17,426 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने इक्विटी में 6,797 करोड़ रुपये का निवेश किया। वर्तमान में सभी की निगाहें अमेरिका द्वारा संभावित टैरिफ प्रतिबंधों और आरबीआई द्वारा अपनी समीक्षा बैठक में संभावित ब्याज दरों में कटौती के बारे में की जाने वाली आगामी घोषणाओं पर टिकी हैं।

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