For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

'परिवार बनाने के लिए शादी जरूरी नहीं...', मद्रास हाईकोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी?

समलैंगिक विवाह को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

04:30 AM Jun 05, 2025 IST | Amit Kumar

समलैंगिक विवाह को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

 परिवार बनाने के लिए शादी जरूरी नहीं      मद्रास हाईकोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी

कोर्ट की यह टिप्पणी एक लेस्बियन कपल के मामले में आई, जहां परिवार के दबाव के चलते दोनों महिलाओं को एक-दूसरे से अलग कर दिया गया था. याचिका में कहा गया कि एक लड़की को उसके परिवार ने जबरन घर में बंद कर रखा है.

Madras High Court News: मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार ( 5 जून) को एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि भले ही भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के सदस्य परिवार नहीं बना सकते. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि परिवार की परिभाषा अब केवल शादी से जुड़ी नहीं रह गई है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट की यह टिप्पणी एक लेस्बियन कपल के मामले में आई, जहां परिवार के दबाव के चलते दोनों महिलाओं को एक-दूसरे से अलग कर दिया गया था. याचिका में कहा गया कि एक लड़की को उसके परिवार ने जबरन घर में बंद कर रखा है.

पुलिस की भूमिका पर सवाल

इस मामले में जब कपल ने पुलिस से मदद मांगी, तो पुलिस ने सहायता करने के बजाय याचिकाकर्ता की पार्टनर को जबरन उसके परिवार के पास भेज दिया. आरोप है कि उसके साथ घर में मारपीट की गई और कुछ ऐसे अनुष्ठान किए गए ताकि वह ‘सामान्य’ हो सके.

मां के आरोप कोर्ट ने किए खारिज

वहीं लड़की की मां ने कोर्ट में दावा किया कि उसकी बेटी नशे की आदी है. हालांकि, जब कोर्ट ने खुद लड़की से बातचीत की, तो उसे ये आरोप निराधार लगे और कोर्ट ने मां के दावों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने माना कि लड़की ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह याचिकाकर्ता के साथ रहना चाहती है और उसने भी अपने परिवार पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

same-sex marriage

कौन हैं पिनाकी मिश्रा? जिनके साथ शादी के बंधन में बंधी महुआ मोइत्रा

सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का उल्लेख

कोर्ट ने सुप्रिया चक्रवर्ती बनाम भारत सरकार केस का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदाय के सदस्य भी परिवार की स्थापना कर सकते हैं, भले ही समलैंगिक विवाह को मान्यता न मिली हो. कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता यह बताने में झिझक रही थी कि वह उस लड़की के साथ रिश्ते में है, जिसे बंदी बनाया गया.

कोर्ट ने इसे समाज की रूढ़िवादी मानसिकता का नतीजा बताया. कोर्ट ने टिप्पणी की, ‘हर परिवार लीला सेठ नहीं हो सकता, जिन्होंने अपने बेटे के समलैंगिक होने को स्वीकार कर उसे पूरा समर्थन दिया. दुर्भाग्यवश लीला सेठ समलैंगिकता को अपराधमुक्त होते नहीं देख सकीं.”

Advertisement
Advertisement
Author Image

Amit Kumar

View all posts

Advertisement
×