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मथुरा विवाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी

मथुरा विवाद पर हाई कोर्ट की अगली सुनवाई की तारीख तय

09:09 AM May 23, 2025 IST | IANS

मथुरा विवाद पर हाई कोर्ट की अगली सुनवाई की तारीख तय

मथुरा विवाद  इलाहाबाद हाई कोर्ट की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी

मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई 4 जुलाई 2025 को तय की है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद की जमीन भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है। याचिका में इसे विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की गई है।

उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह से जुड़ी सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में पूरी हो गई है। मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई 2025 को होगी। मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद की इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी हुई। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच ने सुनवाई की अगली तारीख 4 जुलाई 2025 तय की है। हाई कोर्ट में 18 याचिकाएं दायर की गई हैं। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद की ढाई एकड़ जमीन भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान यानी गर्भगृह है और उस पर हिंदुओं का अधिकार है। याचिका में इसे विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग की गई है।

ज्ञानवापी और मथुरा के शाही ईदगाह पर दावों के बीच, Ayodhya विवाद के समय कांग्रेस ने बनाया था नियम

हिंदू पक्ष ने इस मामले में राधा रानी को पक्षकार बनाए जाने की मांग की थी और आवेदन दिया था। हिंदू पक्ष का मानना है कि राधा रानी को पक्षकार बनाए बिना मामले की सुनवाई अधूरी है।यह विवाद मथुरा में मुगल बादशाह औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित मंदिर को तोड़कर बनाया गया था।

वहीं, मुस्लिम पक्ष शाही ईदगाह की जमीन को एक वैध धार्मिक स्थल बताता है। मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद का मामला बेशक इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रहा है लेकिन पिछले दिनों एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। याचिका में हिंदू पक्ष को अपनी याचिका में संशोधन करने और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को मामले में पक्षकार के रूप में जोड़ने की अनुमति दी गई थी। पीठ ने कहा था कि हिंदू पक्ष की तरफ से मूल याचिका में संशोधन की अनुमति दी जानी चाहिए। हिंदू पक्ष ने हाई कोर्ट का रुख करते हुए कहा था कि विवादित ढांचा एएसआई के तहत एक संरक्षित स्मारक है और पूजा स्थल संरक्षण अधिनियम भी ऐसे स्मारक पर लागू नहीं होगा।

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