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जामा मस्जिद शाही इमाम से मिलने पहुंचे मौलाना अरशद मदनी का बयान

राष्ट्रीय ऐकता सम्मेलन में हिस्सा लेने पंजाब आए विश्व प्रसिद्ध संस्थान दारुल उलूम के शैख उल हदीस व जमीअत उलमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना

06:54 PM Dec 04, 2018 IST | Desk Team

राष्ट्रीय ऐकता सम्मेलन में हिस्सा लेने पंजाब आए विश्व प्रसिद्ध संस्थान दारुल उलूम के शैख उल हदीस व जमीअत उलमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना

लुधियाना : राष्ट्रीय ऐकता सम्मेलन में हिस्सा लेने पंजाब आए विश्व प्रसिद्ध संस्थान दारुल उलूम के शैख उल हदीस व जमीअत उलमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी फील्ड गंज चौक स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद भी पहुंचे,जहां उन्होंने पंजाब के शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी से विशेष मुलाकात की और अपने बचपन के दोस्त मरहूम मुफ्ती मुहम्मद अहमद रहमानी ( शाही इमाम के पिता जी) को याद करते हुए कुछ यादगार बातें बताई।

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मौलाना मदनी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में लुधियाना के हबीब परिवार की कुर्बानियों को भुलाया नहीं जा सकता, उलमा के इस परिवार ने अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ 1857 से 1947 तक लगातार अपने जवानों को पेश किया है। उन्होंने ने कहा कि मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी प्रथम को जंगे आजादी का महानायक कहा जाता था अंग्रेजी सरकार हमेशा उनसे खौफ खाती रही, गांधी जी, नेहरू, और बोस जैसे महान लीडर मौलाना लुधियानवी के साथी रहे हैं।

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मौलाना मदनी ने कहा की विश्व भर के मुसलमानों में भी यह परिवार हजऱत मुहम्मद सल्ललाहू अलैहिवस्लम के ताजे खात्मे नवुब्बत की सब से पहले रक्षा करने की वजह से सम्मान से देखा जाता है। इस अवसर पर शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने हजऱत मौलाना अरशद मदनी साहिब का स्वागत करते हुए कहा कि आज पंजाब के सभी लोगों के लिए सम्मान की बात है कि हजऱत यहां तशरीफ लाए हैं।

उन्होंने कहा कि मदनी खानदान से उलमे लुधियाना का संबंध 100 साल पुराना है और यह हमेशा कायम रहेगा। शाही इमाम ने कहा कि देश भर में नफरत को खत्म करने व आपसी भाईचारे को बढ़ाने के लिए जो काम मौलाना मदनी कर रहे हैं वह सराहनीय है। मदनी साहिब भारतीय मुसलमानों की आवाज हैं। इस अवसर पर नायब शाही इमाम पंजाब मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी द्वारा शहर के इतिहास पर लिखी गई पुस्तक -काफिला इलमो हुरियत- भी मौलाना मदनी साहिब को भेंट की गई। मौलाना अरशद मदनी साहिब ने इस ऐतिहासिक किताब को देख कर खुशी का इजहार किया।

– सुनीलराय कामरेड

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