मंगोलिया में खसरे से हाहाकार, कुल मामले चार हजार के पार
खसरे के मामलों में उछाल, टीकाकरण की अपील
मंगोलिया में खसरे के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जहां कुल संक्रमितों की संख्या 4,274 हो चुकी है। ज्यादातर मामले 10-14 वर्ष के बच्चों में देखे जा रहे हैं, जिन्हें केवल एक खुराक दी गई थी। एनसीसीडी ने माता-पिता को बच्चों को दो बार टीका लगवाने की सलाह दी है।
मंगोलिया में बीते 24 घंटों में खसरे के संक्रमण के 335 नए मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे देश में कुल मामलों की संख्या 4,274 हो गई है। यह जानकारी शुक्रवार को देश के राष्ट्रीय संचारी रोग केंद्र (एनसीसीडी) ने दी।एनसीसीडी के एक बयान के अनुसार, इस बीच, मंगोलिया में 114 और खसरे के मरीज ठीक हो गए हैं, जिससे ठीक होने वालों की कुल संख्या 2,793 हो गई है।समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने मंगोलिया के डॉक्टरों के हवाले से बताया कि खसरे के नए संक्रमण के ज्यादातर मामले 10-14 साल के बच्चों में देखे गए, जिन्हें खसरे के टीके की केवल एक खुराक दी गई थी।
इस संबंध में, एनसीसीडी ने बच्चों के माता-पिता को सलाह दी कि वे अपने बच्चों को खसरे जैसी गंभीर बीमारी से बचाने के लिए उन्हें दो बार टीका जरूर लगवाएं।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, खसरा अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है। यह संक्रमित व्यक्ति के सांस लेने, खांसने या छींकने से आसानी से फैलती है। इससे गंभीर बीमारी, अन्य परेशानियां और कभी-कभी मौत भी हो सकती है। खसरा किसी को भी हो सकता है, लेकिन यह बच्चों में सबसे आम है।
खसरा सबसे पहले सांस लेने वाली नली को प्रभावित करता है, फिर यह शरीर के बाकी हिस्सों में फैल जाता है। इस बीमारी के लक्षणों में तेज बुखार, खांसी, नाक बहना और पूरे शरीर पर चकते होना शामिल है।खसरे से बचने का सबसे अच्छा तरीका टीका लगवाना है। टीका लगने से आप बीमारी से सुरक्षित हो सकते हैं। टीका वायरस से लड़ने में आपके शरीर की मदद करता है। वर्ष 1963 में खसरे के टीके आने से पहले, हर दो-तीन साल में बड़ी महामारी आती थी। उस वक्त हर साल लगभग 26 लाख लोग खसरे की वजह से मर जाते थे। टीके आने के बाद इस बीमारी पर काफी नियंत्रण पाया गया है।
अनुमान है कि साल 2023 में करीब 1,07,500 लोग खसरे की वजह से मर गए, जिनमें ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के छोटे बच्चे थे। टीके के बावजूद बहुत से लोग इस बीमारी से मर रहे हैं। खसरे की बीमारी से सुरक्षा पाने और बीमारी को रोकने के लिए टीके की दो खुराकें देने की सलाह दी जाती है, क्योंकि हर बच्चे में पहली खुराक से प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती।
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