सदस्य बदलते मौसम मे रखें स्वास्थ्य का ध्यान
पहले पराली जलने से वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई थी।
05:52 AM Nov 30, 2022 IST | Kiran Chopra
पहले पराली जलने से वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गई थी। इसके अलावा अब शादियों का मौसम चल रहा है, ऐसे में भी प्रदूषण का खतरा और बढ़ गया क्योंकि शादी समारोह के दौरान चलने वाले पटाखों की धुआं भी बड़े-बुजुर्गों के लिए खतरा बन सकता है। साथ ही इस बदलते मौसम के साथ ही सुबह-शाम की हल्की ठंड भी शुरू हो गई है। ऐसे वक्त पर हम अक्सर कपड़े पहनने में लापरवाही बरतते हैं, क्योंकि कभी गर्मी और कभी ठंड का अहसास होता है। आयुर्वेद की माने तो दो ऋतुओं के बीच के समय जिसे ऋतु संधिकाल कहा गया है, विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसे में बदलती ऋतु के अनुसार आहार-विहार में भी बदलाव जरूरी है। मेरा मानना है कि इस बदलते मौसम में अक्सर सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार आदि की समस्या हो जाती है। ये लक्षण सामान्य फ्लू के हो सकते हैं और चंद दिनों में आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में हमें विशेष रूप से सावधानी बरतने की जरूरत है। सावधानी का अर्थ यह है कि आप नियमित रूप से बाहर जा रहे हैं तो पूरे कपड़े और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखें। साथ ही खान-पान में मौसम के अनुकूल परिवर्तन लाएं। अर्थात ग्रीष्म ऋतु में ली जा रही ठंडी तासीर वाले पदार्थों को अब धीरे-धीरे छोड़ दें। भोजन में गर्म तासीर वाले पदार्थ जैसे मूंगफली,बादाम, छुहारे निश्चित मात्रा में लें। मैं मानती हूं कि आप लोग उच्च रक्त चाप या मधुमेह से पीडि़त हैं। मधुमेह एवं उच्चरक्तचाप से पीडि़त बुजुर्गों को रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होने के कारण वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में वह ठंडे पानी के बजाए गुनगुने पानी से ही नहाएं।
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इस बदलते मौसम में बरतें सावधानी
-कपड़े इस तरह से पहनें कि उभरती हुई ठंड के एक्सपोजर से बचे रहें।
-भोजन में ताजे, फल, सब्जियों का सेवन करें।
-ऋतु संधिकाल में शुरू हुई ठंड में भी व्यायाम जारी रखें।
-अभी से लेकर पूरी ठंड गुनगुने पानी से नहाना।
-समय पर भोजन करना और समय पर सोना।
मौसम बदलाव के चलते शीत लहर का प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है। ऐसे में आवश्यकता है सदस्य सुबह उठते ही कुछ मिनट सरल आसन पर बैठकर परम पिता परमात्मा का धन्यवाद करें। फिर उसके बाद घर में रहकर ही आसन, व्यायाम आदि करें। सर्दियों केआने से शारीरिक तापमान में कमी आ जाती है। वृद्घास्था में तो इसकी बहुत ज्यादा ही शिकायत रहती है। इस लिए आप लोगों से मेरा विशेष अनुरोध है कि बदलते मौसम में अपने खानपान और वस्त्रों का ध्यान रखे। अपने आपको चुस्त-व्यस्त- मस्त रखें।
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