मिशेल के बाद माल्या
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बहुचर्चित अगस्ता वेस्टलैंड हैलिकाप्टर घोटाले में बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाने में केन्द्र सरकार की बड़ी सफलता के बाद भगौड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण की लंदन की कोर्ट द्वारा अनुमति दिया जाना केन्द्र की मोदी सरकार की बड़ी सफलता माना जा रहा है लेकिन अभी माल्या के पास अपील करने के लिए 14 सप्ताह का समय है और वह निश्चित तौर पर ब्रिटेन की उच्च अदालत में अपील करेगा। संभव है कि माल्या कानूनी दावपेंच से अपने भारत प्रत्यर्पण में विलम्ब करा ले। यह भी हो सकता है कि वह हर कानूनी दावपेंच खेल कर अपने बचाव का कोई तरीका ढूंढ ले लेकिन लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने भारत के आरोपों को सही ठहराते हुए माल्या के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया, उससे देश की प्रमुख जांच एजैंसी सीबीआई की विवादों के कारण धूमिल हुई छवि को उज्ज्वल करने में मदद मिलेगी या नहीं, इसका फैसला तो तब होगा जब माल्या को भारत लाया जाएगा। अलबत्ता इस बात का श्रेय सीबीआई को जरूर दिया जा सकता है कि उसने माल्या के खिलाफ मुकद्दमा सही ढंग से लड़ा है।
मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद माल्या की बौखलाहट सामने आ गई थी, जब उसने कोर्ट का फैसला आने से पहले कर्ज का मूलधन लौटाने की पेशकश की थी और बैंकों से आग्रह किया था कि वह उसकी पेशकश स्वीकार कर लें। माल्या ही नहीं अन्य भगौड़ों की भी चिन्ता बढ़ गई होगी। नीरव मोदी और मेहुल चौकसे को भी लग रहा होगा कि उनकाे भी एक न एक दिन भारत लौटना ही होगा। आश्चर्य की बात तो यह है कि जो शख्स विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की राज्यसभा का दो बार सदस्य रहा हो, उसने देश से भाग कर कोई अच्छा काम नहीं किया। माल्या को भारत में बड़ा कारोबारी होने के नाते काफी सम्मान प्राप्त था। उसकी राजनीति में गहरी पैठ थी, उसके एक इशारे पर राजनीतिज्ञ उनके काम करा देते थे। अब स्थिति यह है कि 17 भारतीय बैंकों से लिया गया 9 हजार करोड़ का ऋण अब उन पर भारी पड़ गया है।
विजय माल्या के पिता विट्ठल माल्या कर्नाटक के जाने-माने बिजनेसमैन थे। जब विजय ने बहुत कम उम्र में उनका कारोबार संभाला तो उन्होंने इसे इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया कि वह भारतीय उद्योग जगत में मिसाल बन गए। उनकी सक्सेस स्टोरीज मीडिया में अक्सर आती थीं। इसी के साथ सुर्खियों में होती थी उनकी शानाे-शौकत से भरी लग्जरी लाइफ, जिसमें किसी भी चीज की कमी नहीं थी। उन्होंने वह जिन्दगी जी, जो भारत ही नहीं एशिया के शीर्ष कारोबारी कम ही जी पाते हैं, प्राइवेट जेट, प्राइवेट याट, दुनियाभर में आलीशान बंगले, पार्टियां, सुंदरियों के साथ गलबहियां, किंगफिशर कैलेंडर के माडल्स का मेला, रायल चैलेंजर्स बेंगलुरु नाम की आईपीएल टीम, एफ-1 में फोर्स वन के नाम से टीम, महंगी कलाकृतियां, उनके वैभव की कहानियां अब भी दुनियाभर में बिखरी हुई हैं।
विजय माल्या की पढ़ाई-लिखाई ला मार्टिनियर कोलकाता आैर फिर सेंट जेवियर कालेज कोलकाता में हुई। वहां से उन्होंने कामर्स में डिग्री ली। 1983 में जब माल्या 28 साल के थे, तब उनके पिता की मौत हो गई, उनके बाद पिता के कारोबार को संभालने की जिम्मेदारी उन पर आ गई। वह ‘यूनाइटेड ब्रेवरीज समूह’ के अध्यक्ष बन गए। तब से अब तक यह समूह 60 से भी अधिक कंपनियों के साथ एक बहुराष्ट्रीय संगठन के रूप में उभरा। इसका कारोबार 15 प्रतिशत से 64 प्रतिशत तक बढ़ गया। बाद के वर्षों में माल्या ने कई सारी कंपनियों को खरीदा। एक जमाने में माल्या की यूनाइटेड स्प्रिट्स दुनिया की दूसरे नंबर की शराब निर्माता कंपनी बन गई थी लेकिन फिर उन्होंने इसे ग्लोबल स्प्रिट दिग्गज डिएगो को बेच दिया, हालांकि इस कंपनी में उनकी हल्की-फुल्की हिस्सेदारी अब भी है लेकिन इसे छोड़कर यूनाइटेड ब्रेवरीज समूह पर उन्हीं का नियंत्रण है, वह इसके चेयरमैन के रूप में बरकरार हैं।
विजय माल्या की मुश्किलें किंगफिशर एयरलाइंस के नाकाम होते जाने के साथ बढ़ती चली गईं। वह घाटे में डूबती जा रही इस एयरलाइंस को बंद करना चाहते थे लेकिन वर्ष 2010 में उन्होंने इसे नई जिन्दगी देने का फैसला किया और इसके लिए बैंकों से मोटा लोन लेना शुरू किया जिसने उन्हें वहां पर लाकर खड़ा कर दिया, जहां आज वह हैं। किंगफिशर आखिरकार 2012 में बंद हो गई लेकिन इस एयरलाइंस ने आठ सालों में कभी फायदा नहीं दिया। एयरलाइंस के कर्मचारियों को वेतन तक के लाले पड़ गए। एक जमाने में यह भारत की दूसरी बड़ी एयरलाइंस थी, विदेशों में इसकी उड़ानें हुआ करती थीं, लेकिन मार्च 2013 तक इसका कुल घाटा 16,023 करोड़ तक पहुंच गया। इसके बाद जब एयरपोर्ट, बैंकों के ड्यूज बढ़ने लगे और इसका फ्लाइंग लाइसैंस खत्म हो गया तो यह एयरलाइंस बैठ गई। शुरू में तो पेरेंट यूबी ग्रुप ने उसमें फंडिंग की लेकिन फिर बाद में यह रुक गया। दरअसल वर्ष 2011 से ही किंगफिशर और माल्या को बैंकों से दिए गए लोन पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। इसके बाद एक समय तो वह आया कि वह रातोंरात काफी ज्यादा सामान और परिवार के साथ लंदन कूच कर गए। अदालत ने उन्हें भगौड़ा घोषित कर दिया।
देर रात की पार्टियां और किंगफिशर कैलेंडर की खूबसूरत माडलों के फोटो शूट कराने और जीवन की रंगीनियों में हर वक्त रहने वाले माल्या को बैंक आंख मूंद कर ऋण देते रहे। माल्या ऋण लेकर घी पीते रहे और अंततः उन्होंने भाग कर खुद को बचाने का प्रयास किया। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत की सियासत में उनके काफी सैल थे और वह आसानी से भाग भी गए। उनके भारत प्रत्यर्पण के लिए भारतीय एजैंसियों को अपने घोड़े खोलने पड़े। देखना है कि एजैंसी को उसे वापिस लाने के लिए क्या-क्या आैर पापड़ बेलने होंगे। आर्थिक घोटालों को लेकर सियासत गर्म है जिसका प्रभाव 2019 के आम चुनावों पर भी पड़ेगा। यदि अगस्ता वेस्टलैंड हैलिकाप्टर सौदे में बिचौलिये मिशेल से पूछताछ के दौरान कुछ ठोस बातें सामने आईं तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पूरे प्रकरण में क्या सच्चाई है, वह सामने आनी ही चाहिए। मिशेल के प्रत्यर्पण की तरह माल्या समेत अन्य सभी आर्थिक भगौड़ों का प्रत्यर्पण होना ही चाहिए।