जलवायु परिवर्तन के खिलाफ Microsoft की अनोखी पहल! मानव मल के साथ...
टेक्नोलॉजी की दुनिया में जलवायु परिवर्तन से लड़ने के प्रयासों को नया मोड़ मिला है। Microsoft ने अमेरिका की एक स्टार्टअप कंपनी Vaulted Deep के साथ 1.7 अरब डॉलर की बड़ी डील साइन की है। इस डील का उद्देश्य है इंसानी मल-मूत्र और जैविक कचरे को जमीन की सतह से करीब 5000 फीट नीचे दफन करना, जिससे वातावरण में कार्बन गैसों का उत्सर्जन कम किया जा सके।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, Vaulted Deep की इस तकनीक के अनुसार, जब भी कोई व्यक्ति वॉशरूम का इस्तेमाल करता है, तो उसका जैविक कचरा जमीन के भीतर स्थायी रूप से दबा दिया जाएगा। ऐसा करने से ये कचरा खुली हवा में सड़ने से बचेगा और हानिकारक गैसें जैसे मीथेन बाहर नहीं निकलेंगी। बता दें, कि मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड से चार गुना ज्यादा खतरनाक ग्रीनहाउस गैस मानी जाती है।
जैविक कचरे को सतह से हटाकर जमीन में भेजना
Vaulted Deep के CEO जूलिया रीचेलस्टीन का कहना है कि, “हम इस सतही गंदगी को धरती के नीचे स्थायी रूप से दबा रहे हैं ताकि यह पर्यावरण को नुकसान न पहुंचा सके।” यह तकनीक सिर्फ ग्रीनहाउस गैस को कम नहीं करती, बल्कि इससे PFAS जैसे 'फॉरेवर केमिकल्स' को भी वातावरण में फैलने से रोका जा सकता है, जो परंपरागत खाद या खाद्य अपशिष्ट प्रबंधन से नहीं रुकते।
Microsoft की कार्बन फुटप्रिंट की चुनौती
Microsoft की AI और डेटा सेंटर से जुड़ी गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं, जिससे कंपनी का कार्बन फुटप्रिंट भी तेजी से बढ़ा है। कंपनी ने 2023 में कुल 75.5 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जित किया था, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा 'Scope 3 emissions' का था। ये वे उत्सर्जन हैं जो कंपनी की सप्लाई चेन, निर्माण सामग्री और सर्वर निर्माण से होते हैं, न कि सीधे ऊर्जा उपयोग से।
2030 तक कार्बन नेगेटिव बनने का लक्ष्य
Microsoft ने यह लक्ष्य तय किया है कि वह 2030 तक कार्बन नेगेटिव बनेगी, यानी वातावरण से ज्यादा कार्बन हटाएगी जितना उत्सर्जित करेगी। साथ ही कंपनी का यह भी इरादा है कि वह 2050 तक अपने शुरू होने से अब तक के सभी कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह हटाएगी।कंपनी अब तक 83 मिलियन टन से ज्यादा कार्बन क्रेडिट्स खरीद चुकी है, जिसमें 2023 में खरीदे गए 59 मिलियन टन शामिल हैं।
नई तकनीक, नई उम्मीद
Vaulted Deep के साथ यह डील न केवल तकनीकी रूप से नई है, बल्कि यह एक नई सोच को भी जन्म देती है कि इंसानी गंदगी भी जलवायु समाधान का हिस्सा बन सकती है। इस तकनीक से भविष्य में हर कोई वॉशरूम इस्तेमाल करते वक्त यह सोच सकता है कि उसका एक छोटा सा कदम धरती को बचाने में मदद कर रहा है। Microsoft की यह योजना सिर्फ एक पर्यावरणीय पहल नहीं, बल्कि आने वाले समय में क्लाइमेट टेक के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति की शुरुआत हो सकती है।
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एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की इंटरनेट सेवा स्टारलिंक को भारत में एक बड़ा regulatory अप्रूवल मिल गया है. भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने स्टारलिंक को सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा शुरू करने की अनुमति दे दी है. यह मंजूरी मिलने के बाद कंपनी को अब भारत में अपनी कमर्शियल सेवाएं शुरू करने में कोई बड़ी रुकावट नहीं है.
IN-SPACe भारत का स्पेस रेगुलेटर है, जो निजी कंपनियों को अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने के लिए मंजूरी देता है. IN-SPACe की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, अब स्टारलिंक को सरकार से केवल कुछ और तकनीकी और कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करनी हैं, जैसे स्पेक्ट्रम हासिल करना और ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना.
ट्रायल स्पेक्ट्रम और सुरक्षा जांच
दूरसंचार विभाग (DoT) पहले ही स्टारलिंक को ट्रायल के लिए स्पेक्ट्रम देने की योजना पर काम कर रहा है. इसके तहत कंपनी को कुछ सीमित क्षेत्र में परीक्षण के तौर पर अपनी सेवा शुरू करने का मौका मिलेगा, ताकि सभी सुरक्षा और तकनीकी पहलुओं की जांच की जा सके. केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में कहा था कि भारत में स्टारलिंक के प्रवेश के लिए सभी जरूरी जांचें पूरी हो चुकी हैं.