
इस समय त्यौहारों का सीजन है और बाजार में चहल-पहल है। कंपनियां डिस्काउंट और नए फीचर्स से ग्राहकों को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासिचव दत्तात्रेय होसबाले ने महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठाया है। जिसे स्ताधारी दल के नेता कहने से परहेज कर रहे हैं लेकिन आंकड़ों पर नजर डालें तो महंगाई ने घर की थाली के बजट से रसोई गैंस घर की ईएमआई जैसी जरूरी चीजों का बजट खराब कर दिया है। जिसका सीधा असर मध्यम वर्ग पर पड़ रहा है।
पेट्रोल-डीजल-एलपीजी पर नहीं मिल रही राहत
सबसे पहले बात करते हैं पेट्रोल-डीजल की, जो हमारी अर्थव्यवस्था को गति देने में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन मई 2019 से अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है. मई 2019 से 3 अक्टूबर 2022 तक डीजल के दाम में करीब 27 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह इस दौरान पेट्रोल के दाम में करीब 29 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
पेट्रोल-डीजल की तरह घरेलू गैस सिलेंडर की भी हालत है। मई 2019 से अक्टूबर (4 अक्टूबर) 2022 तक रसोई गैस की कीमत में भी लगभग 332 रुपये की वृद्धि हुई है। मई 2019 में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 712.50 रुपये थी। जो अब 1,053.00 रुपये पर पहुंच गया है।
पेट्रोलियम उत्पाद खपत (अगस्त) 3 साल में कितने बढ़े दाम (रुपये)
पेट्रोल 2394,000 MT 29
डीजल 3005,000 MT 27
LPG 6338,000 MT 332
सब्जियों से लेकर कपड़े तक महंगे
ऐसा ही हाल खाने-पीने की वस्तुओं के दाम से लेकर कपड़े तक का है। सितंबर 2022 में जारी रिटेल महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में महंगाई दर 7.0 फीसदी रही है। जबकि इस दौरान खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 7.62 फीसदी रही है। इसमें भी परेशान करने वाली बात यह है कि अनाज की महंगाई दर करीब दो अंकों में पहुंच गई है। वहीं सब्जियों मसालों के दार दहाई अंक को भी पार कर गए हैं।
वस्तुएं अगस्त में महंगाई दर (फीसदी में)
अनाज और अन्य उत्पाद 9.57
सब्जियां 13.23
मसाले 14.90
कपड़े 9.59
फुटवियर 11.85
ईंधन और बिजली 10.78
पर्सनल केयर 7.00
होम लोन ग्राहकों पर बढ़ा बोझ
महंगाई पर लगाम लगाने के लिए आरबीआई के बार-बार कर्ज को महंगा करने के कदमों का असर होम लोन, कार लोन और अन्य लोन ग्राहकों पर पड़ रहा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले 5 बार रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की है। जो 3 साल के उच्चतम 5.90 प्रतिशत पर पहुंच गया है। रेपो रेट में बढ़ोतरी का पहला झटका उन लोगों पर पड़ रहा है जो पहले से ही कर्ज लेकर ईएमआई चुका रहे हैं। इस तरह से समझा जा सकता है कि अगर किसी व्यक्ति ने 20 साल के लिए 25 लाख रुपये का कर्ज लिया है तो उसकी ईएमआई महज 5 महीने में करीब 3000 रुपये बढ़ गई है।
त्योहारों के दौरान कर्ज लेने की क्षमता में कमी
रेपो रेट में लगातार बढ़ोतरी ने न केवल पहले से कर्ज लेने वाले ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर दिया है। बल्कि जो ग्राहक कर्ज लेने की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें अब ज्यादा भुगतान करना होगा। इसका सीधा असर कर्ज लेने की क्षमता पर पड़ेगा। क्योंकि बैंक कर्ज देते समय ग्राहक की उधार देने की क्षमता को देखते हैं। और यह उसकी आय से निर्धारित होता है। जो कर्ज के महंगे होने के साथ घटती जाती है। साफ है कि जो लोग त्योहारी सीजन में होम लोन लेने की योजना बना रहे हैं, उन्हें कम कर्ज मिलेगा।