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विधायकों ने दिखायी एकजुटता, विधानसभा में असहज योगी सरकार

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ जब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य ने नौकरशाहों पर उपेक्षापूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया

02:25 PM Dec 17, 2019 IST | Shera Rajput

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ जब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य ने नौकरशाहों पर उपेक्षापूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ जब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य ने नौकरशाहों पर उपेक्षापूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया जिसके समर्थन में विपक्ष के साथ साथ सत्ता पक्ष के कई सदस्य धरने पर बैठ गये। 
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दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सदन में चर्चा कर केन्द, को प्रस्ताव भेजे जाने पर अड़ विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया कि इस बीच गाजियाबाद में लोनी के विधायक नंद किशोर गुर्जर अपनी जगह खड़ हो गये और अधिकारियो की उत्पीड़नात्मक कार्यवाही को लेकर कहने की अनुमति मांगने लगे। 
श्री दीक्षित ने इससे इंकार करते हुये उनसे बैठ जाने को कहा लेकिन विधायक उनकी बात को अनसुना करते हुये अपनी खड़ रहे। इस दौरान सदन में वापस लौटे विपक्षी सदस्यों की नजर गुर्जर पर पड़ और वे उनके समर्थन में लामबंद हो गये। 
इस बीच संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने भी विधायक को इशारे से बैठ जाने को कहा लेकिन हाथ में एक पर्चा थामे विधायक बोलने की अनुमति मांगते रहे। इस दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य वेल पर आकर विधायक के समर्थन में नारेबाजी करने लगे। 
उनका कहना था कि सदन में जब सत्ता पक्ष के सदस्य को ही कुछ कहने की अनुमति नही है तो विपक्ष की क्या सुनी जायेगी। विपक्षी ‘सदस्य को न्याय दो’ के नारे लगा रहे थे। अन्य सदस्यों की गुजारिश पर आखिरकार श्री गुर्जर बैठ गये और विपक्षी अपनी सीट पर चले गये लेकिन कुछ देर बाद लोनी के विधायक संसदीय कार्यमंत्री के हाथों में एक पर्चा थमा कर सदन से बाहर चले गये। 
गुर्जर ने कहा कि उन्हें गाजियाबाद पुलिस ने प्रताड़त किया है। वह विधानसभा में अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन सदन के अंदर उन्हें बोलने नहीं दिया गया। इस बात से नाराज होकर वह विधानसभा के अंदर धरने पर बैठ गए। 
इस बीच सत्ता पक्ष के कई सदस्य गुर्जर के समर्थन पर आगे आ गये और अधिकारियों पर मनमानी पूर्ण रवैया अपनाने एवं जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाते हुये शोरशराबा करने लगे। सदस्यों के शोरशराबे के बीच विधानसभा की कार्यवाही पहले आधे घंटे और फिर 15-15 मिनट के लिये दो बार स्थगित की गयी। बाद में सत्ता पक्ष के करीब 50 सदस्य और विपक्ष के अधिकांश सदस्य धरने पर बैठ गये। 
विधानसभा के इतिहास के संभवत: पहली बार ऐसी स्थिति की नजाकत को भांपते हुये संसदीय दल के नेता सुरेश खन्ना सदस्यों को मनाने पहुंचे लेकिन बात नहीं बनी जिसके बाद उप मुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा भी सदस्यों की मान मनौव्वल करने के लिये आये हालांकि सदस्यों ने उल्टे ही उन्हे सदस्यो की बात को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप सहना पडा। 
सदस्यों के अड़यिल रूख को देखते हुये आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। 
गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी से मारपीट के मामले में नामजद भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर को पिछली एक दिसम्बर को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था और सात दिन के भीतर जवाब मांगा था। गुर्जर का कहना था कि भाजपा में उनके खिलाफ साजिश हो रही हैं। नौकरशाहों के आगे उनके पक्ष को नहीं सुना गया।
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