मोदी-जिनपिंग भाई, भाई !
जिस प्रकार से भारत ने अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में ट्रंप के नहले पर दहला मारा है, वह इस बात की खुली दलील है कि बदले हुए वर्ल्ड ऑर्डर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पैठ बिठा दी है। दुनिया का ध्यान अब पुतिन, मोदी और जिनपिंग की तिकड़ी पर टिक गया है और अमेरिका परेशान है। इसका मुख्य कारण यह है कि अमेरिका की दादागिरी हदें पार कर चुकी थी। हां, पाकिस्तान के आजकल तोते उड़े हुए हैं, कि चीन अब उसके हाथ से निकल सकता है। वैसे भी सी पैक को लेकर चीन और पाकिस्तान में आपस में लगी हुई है। चीन के तियानजिन में एससीओ समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के साथ मुलाकात देखकर अमेरिकी सरकार खासा टेंशन में आ गई है। भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर नई दिल्ली पर हमला बोला है। नवारो ने इस बार चीन के साथ भारत के मेलजोल पर रोना रोया है। यह एक क़ुदरती बात थी कि तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भेंट दुनिया के लिए एक बड़ा इवेंट था, क्योंकि दोनों सात वर्षों के लंबे अंतराल के बाद मिले थे।
चीन में भारत ने अपनी कूटनीतिक चाल चलते हुए अमेरिका को जवाब दे दिया। यहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ पीएम मोदी ने मुलाकात की। इन तीनों वैश्विक नेताओं की मुलाकात ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी हैं। इस बीच अब अमेरिका को अपनी गलती का एहसास भी होने लगा है। भारत में अमेरिकी दूतावास की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट की गई है, जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि अब अमेरिका को भारत पर लगाए गए टैरिफ वाली गलती का एहसास हो रहा है और अब अमेरिका अपनी तरफ से डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में जुट गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा ऐतिहासिक रहा। तियानजिन में हुए एससीओ समिट में उन्होंने आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाया और भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट किया। पीएम मोदी ने पुतिन संग गहन बातचीत कर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया, जबकि शी जिनपिंग से मुलाकात में ट्रेड और बॉर्डर मुद्दों पर चर्चा की। यह दौरा भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करता दिखा। चीन के तियानजिन में एससीओ समिट के दौरान पीएम मोदी की व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के साथ मुलाकात से अमेरिका की टेंशन साफ दिखने लगी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने इसे लेकर जो बयान दिया है, उससे उनकी बौखलाहट साफ झलकती है। मुलाकात में ट्रेड और बॉर्डर मुद्दों पर चर्चा की। यह दौरा भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करता दिखा। शिखर सम्मेलन ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी है। तिआनजिन में आयोजित इस समिट में पीएम मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात ने दुनिया का ध्यान खींचा। तीनों नेताओं की गर्मजोशी और एकजुटता ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों को करारा जवाब दिया।
भारत में अमेरिकी दूतावास की ओर से एक्स पर की गई पोस्ट में लिखा है, "संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है, जो 21वीं सदी का एक निर्णायक रिश्ता है। इस महीने, हम उन लोगों, प्रगति और संभावनाओं पर प्रकाश डाल रहे हैं जो हमें आगे बढ़ा रहे हैं। नवाचार और उद्यमिता से लेकर रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों तक, यह हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच की स्थायी मित्रता ही है जो इस यात्रा को ऊर्जा प्रदान करती है।" मोदी जी ने जिस प्रकार से भारत को शीर्ष स्थान पर आज पहुंचा दिया है, उसका लोहा दुनिया ने माना है।