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मोदी और शाह की खेल जगत की पारी

04:00 AM Nov 12, 2025 IST | Firoj Bakht Ahmed

कम ही लोगों को पता है कि न जाने कितनी पिचों पर खेलते हैं नरेंद्र मोदी और अमित शाह! ऐसा विश्वास किया जाता है कि अगर किसी भी देश का सर्वांगीण विकास देखना है तो यह देखो कि क्रीड़ा जगत में उसका क्या स्थान देखो।
पिछले दस वर्ष में भारत ने जिस प्रकार से खेल-कूद के मैदान में अपना वर्चस्व बनाया है, उसे देख दुनिया हैरान है तो कुछ ईर्ष्यालु हो उठे! नरेंद्र मोदी और अमित शाह का खेलों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
पिछले दस वर्षों में भारत ने विभिन्न खेलों में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है और खास तौर से महिलाओं द्वारा, चाहे बन निखत ज़रीन और मैरी कौम बॉक्सिंग में हों, मल्लेश्वरी या मीराबाई चानू भारोत्तोलन में हों, या क्रिकेट की पारियां हों, जिन सब से देश का गौरव बढ़ा है। जब भी कोई खिलाड़ी किसी भी प्रतिस्पर्द्धा में पदक या पोजीशन लाता है तो प्रधानमंत्री मोदी उसे अपने निवास पर बुलाकर उसे पूर्ण मान-सम्मान देते हैं। जब पिछले ओलंपिक्स में भारत ने सबसे अधिक पदक बंटोरे तो एक बहुत बढ़िया पार्टी उन्होंने अपने घर पर दी। उनसे पूर्व प्रधानमंत्री भी यशस्वी खिलाड़ियों का स्वागत करते रहे हैं, मगर उस प्रकार से नहीं, जैसे मोदी जी दिल-ओ-जान से किया करते हैं। उनका तो स्टाईल ही सुपर-डूपर होता है। भारत में एक क्रिकेट प्रतियोगिता हारने पर राहुल गांधी ने जब उनके लिए "पनौती" का घृणात्मक शब्द प्रयुक्त किया तो उसी समय मोदी ने प्रण कर लिया था कि वे भारत को शिखर तक पहुंचाएंगे और देश ने दो वर्ल्ड कप अपनी झोली में डाल लिए।
एक दौर था जब 1976 में भारतीय महिला क्रिकेट के प्रारंभ में शांता रंगास्वामी, डायना इडोलजी, झूलन गोस्वामी, शुभांगी कुलकर्णी, सुधा शाह, श्रीरूपा बोस आदि अटल संघर्ष कर रही थीं और आज 49 वर्ष के उपरांत 2025 में भारतीय महिला क्रिकेट अपने चरम बिंदु पर पहुंची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खिलाड़ियों की सहायता और प्रोत्साहन के लिए कई स्तरों पर लगातार प्रयास करते रहे हैं। उन्होंने न केवल सरकारी योजनाओं के माध्यम से, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी भारतीय खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया है। नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी (मणिपुर) खेल शिक्षा, रिसर्च और प्रशिक्षण के लिए स्थापित की गई जिसका ब्लू प्रिंट प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में साकार हुआ।
प्रधानमंत्री मोदी ने खिलाड़ियों की मदद के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय खिलाड़ी कल्याण कोष की स्थापना की है, जो खिलाड़ियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इस कोष के तहत खिलाड़ियों को खेल सामग्री और प्रशिक्षण के लिए सहायता प्रदान की जाती है। हारने वाले खिलाड़ियों को भी हिम्मत देते हैं और जीतने वालों को सम्मानित करते हैं। खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति (5 लाख प्रति वर्ष तक) और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग दी जाती है। प्रधानमंत्री मोदी बड़े खेल आयोजनों (जैसे ओलंपिक, पैरालंपिक, एशियन गेम्स, कॉमनवैल्थ गेम्स) के पहले और बाद में खिलाड़ियों से सीधा संवाद करते हैं।
मोदी सरकार ने खेलों को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं, जैसे कि खेलो इंडिया कार्यक्रम, जो युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान करता है। इसके अलावा, सरकार ने खेल बुनियादी ढांचे में भी निवेश किया है जिससे खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। प्रधानमंत्री मोदी ने पी.वी. सिंधु, मीरा बाई चानू, नीरज चोपड़ा, फोगाट सिस्टर्स, रानी रामपाल, सायना नेहवाल आदि की भी मदद की है।
अमित शाह ने भी खेलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, खासकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ मिलकर काम करके। उनके नेतृत्व में बीसीसीआई ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं जो भारतीय क्रिकेट के विकास में सहायक रहे हैं। जब शाह के सुपुत्र, जय शाह ने भारतीय क्रिकेट टीम की कमान संभाली तो न जाने उनके विरुद्ध, विपक्षियों द्वारा क्या कुछ नहीं कहा गया कि गृहमंत्री के बेटे होने का लाभ उठा रहे हैं, घपला हो रहा है आदि, मगर वह ख़ामोशी के साथ भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए आसानियां प्रदान करते रहे, जिसके चलते महिला व पुरुष, दोनों ही वर्गों में हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना, दीप्ति, शुभमन गिल, तिलक वर्मा, रिंकू सिंह, अभिषेक शर्मा, मुहम्मद सिराज आदि खिलाड़ी सामने आए।
इन प्रयासों का परिणाम यह है कि भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर नाम रोशन किया है। वह दिन दूर नहीं, जब भारत अपने यहां ओलंपिक्स का आयोजन करेगा और एक बार फिर पहले की तुलना में कई गुणा अधिक पदक प्राप्त करेगा।

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