मोदी की ‘धन-धान्य स्कीम’
विभिन्न क्षेत्रों में तरक्की करने के बावजूद भारत अभी भी कृषि प्रधान देश है। इसका कारण यह है कि आज भी कृषि क्षेत्र में देश के साठ प्रतिशत से भी अधिक लोग लगे हुए हैं और रोजगार पाते हैं। आर्थिक विकास का जो मोटा पैमाना होता है उसके अनुसार जिस देश में जितने ज्यादा लोग खेती में लगे होंगे वह देश उतना ही गरीब होगा। इस लिहाज से देखा जाये तो भारत को इस क्षेत्र में अभी और विकास करना है जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि हो सके और भारत विकसित देश होने की तरफ तेजी से बढ़ सके। दरअसल जिस देश का किसान जितना खुशहाल होगा वह उतनी ही तरक्की करता जायेगा। इसे ही ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने गांवों व कृषि क्षेत्र का विकास करने के लिए ‘प्रधानमन्त्री धन-धान्य कृषि योजना’ शुरू की है। इस योजना के तहत पूरे देश से एेसे 100 जिले चुने जायेंगे जिनमें कृषि फसलें अपेक्षाकृत कम होती हैं और उनकी पैदावार भी कम है। इन जिलों में कृषि फसलों का विविधीकरण करते हुए उनकी पैदावार बढ़ाई जायेगी और किसानों को आधुनिकतम कृषि तकनीकें अपनाने की व्यवस्था होगी। यह कार्य ब्लाॅक स्तर से लेकर जिला स्तर पर होगा और जिले से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक धन-धान्य समितियों का गठन होगा।
जिला स्तर पर जो समिति होगी उसका नेतृत्व जिलाधीश करेंगे जिसमें जिले के प्रगतिशील किसानों को सदस्य बनाया जायेगा। यह समिति अपने जिले की कृषि उपज के अलावा इस क्षेत्र की कृषि आधारित उत्पादन इकाइयों को विकसित करने के साथ ही उनकी उत्पादकता बढ़ाने का काम करेगी और उनसे उत्पादित होने वाले माल की मूल्यवृद्धि की तरफ भी ध्यान देगी। मोदी सरकार ने 11 विभागों की 36 से अधिक ग्राम व कृषि स्कीमों को जोड़ कर राज्य सरकारों की ग्रामीण व कृषि विकास योजनाओं को भी समेकित कर दिया है जिससे अधिक से अधिक किसानों को लाभ मिल सके। जो 100 जिले चुने जायेंगे उनमें प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिला जरूर होगा। यह योजना छह साल तक चलेगी जो वर्तमान कृषि वर्ष से शुरू होगी। इसका लाभ एक करोड़ 70 लाख किसानों को होगा। वास्तव में देश के अभी तक के किसान नेताओं में हुए सबसे बड़े नेता भारत रत्न स्व. चौधरी चरण सिंह का यही कहना रहता था कि भारत की असली तरक्की तभी होगी जब यहां का किसान खुशहाल होगा और खेतों की पैदावार बढे़गी। वह मानते थे कि किसान जब खुशहाल होगा तो उसके बेटा-बेटी उच्च शिक्षा प्राप्त करने लायक होंगे और वे भी दूसरे समाज की तर्ज पर अपनी सन्तानों को अफसर से लेकर वैज्ञानिक व संभ्रान्त समझे जाने वाले पेशों जैसे इंजीनियर, डाक्टर, प्रोफेसर व चार्टर्ड अकाऊंटेंट आदि बना सकेंगे।
मोदी सरकार ने उन्ही की राह पर चलते हुए यह धन-धान्य कृषि योजना शुरू की है जिस पर 24 हजार करोड़ रुपया खर्च होगा। चौधरी चरण सिंह कुछ महीनों के लिए देश के प्रधानमन्त्री भी रहे। उन्होंने इस दौरान 15 अगस्त, 1979 को देशवासियों को लालकिले से भी सम्बोधित किया था। अपने भाषण में चौधरी साहब ने कृषि क्षेत्र के विकास पर सबसे ज्यादा जोर दिया था और कहा था कि इजराइल की गाय जब 40 लीटर दूध देती है तो भारत में भी एेसा क्यों नहीं हो सकता? जाहिर है अब 2025 चल रहा है और डेयरी उद्योग में भारत ने भरपूर तरक्की की है। मोदी सरकार की कोशिश रहती है कि कृषि क्षेत्र को हर नजरिये से इतना विकसित किया जाये कि किसानों की आमदनी में भी भरपूर इजाफा हो। हालांकि वित्तमन्त्री श्रीमती सीतारमण ने इस साल के अपने बजट भाषण में धन-धान्य योजना का मोटा खाका पेश कर दिया था और कहा था कि सरकार की 2018 में शुरू की गई ‘आकांक्षी कृषि जिला स्कीम’ के शुभ परिणाम आये हैं जिसे देखते हुए सरकार इस दिशा में आगे बढे़गी। इसी तर्ज पर मोदी सरकार ने धन-धान्य योजना की शुरूआत करने का फैसला लिया लगता है। चौधरी साहब एक बात और कहा करते थे कि भारत में खेती की जमीन लगातार कम होती जा रही है और छोटी -छोटी काश्तों में बंटती जा रही है (जिसका कारण पारिवारिक है) और पैदावार भी नहीं बढ़ रही है। इसलिए सरकारों का ध्यान कृषि पैदावार बढ़ाने व इस क्षेत्र के विविधीकरण पर होना चाहिए।
मोदी सरकार यही कर रही है। यह भारत के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। धन-धान्य स्कीम के तहत 100 जिलों में से प्रत्येक का एक मास्टर प्लान तैयार किया जायेगा जिससे निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति हो सके। वैसे कृषि क्षेत्र में हमने पिछले वर्षों में काफी तरक्की भी की है । अब अमेरिका में प्रति हैक्टेयर उत्पादकता और भारत के खेतों की उत्पादकता में विशेष अन्तर नहीं रह गया है। यह सब हमारे किसानों की लगन व श्रम का ही परिणाम है। भारत का लक्ष्य 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का है। इस लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब हम अपने किसानों के खलिहानों को अनाज या अन्य कृषि जन्य उत्पादों से भर दें। अतः इस स्कीम के तहत आये प्रत्येक जिले को उपज रखने के गोदामों से भी सुसज्जित करना पड़ेगा और खेतों की सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा। जिलावार गठित धन-धान्य समिति इस तरफ भी ध्यान देगी और निजी क्षेत्र के सहयोग से ग्रामीण आधार भूत कृषि ढांचा तैयार करेगी। धन-धान्य स्कीम या योजना के अनुसार यदि किसान खेतों से अधिक फसलें लेकर और उत्पादन बढ़ाकर सम्पन्नता की ओर बढ़ते हैं तो इसका असर समूचे भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। आज अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर देश माना जाता है और उसके यहां केवल 13 प्रतिशत के लगभग लोग ही खेती में लगे हुए हैं, मगर उनकी पैदावार दुनिया में सबसे ऊंची आंकी जाती है। भारत भी यह काम कर सकता है। आखिरकार हमारे किसानों के माध्यम से ही हरित क्रान्ति व श्वेत क्रान्ति ( दूध उत्पादन आदि) पिछले दशकों में हुई है। मोदी सरकार के इस कदम से कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव आने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है।