Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

मोदी की यूक्रेन यात्रा

03:52 AM Aug 21, 2024 IST | Aditya Chopra

भारत ने भू-राजनीति के चक्रव्यूह में व्यावहारिक राजनीति के जरिये आगे बढ़ने की कोशिश की है। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत ने तटस्थ भूमिका निभाने का हर सम्भव प्रयास किया है। एक तरफ हमने रूस से रक्षा एवं व्यापार संबंधों को बनाए रखा है तो दूसरी तरफ युद्ध के प्रति अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। भारत ने सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का आह्वान किया है और वार्ता की मेज पर युद्ध समाप्त करने का बार-बार आग्रह किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने न सिर्फ यूरोप को बल्कि पूरी दुनिया को धक्का पहुंचाया है। नई दिल्ली और मास्को की दोस्ती जगजाहिर है। इस मैत्री से ही भारत के हित जुड़े हुए हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है और दुनिया को यह दिखा दिया है कि भारत की ​िवदेश नी​ित पूरी तरह से स्वतंत्र है और वह किसी के दबाव में नहीं आता। यूक्रेन में रूस के एक्शन की सार्वजनिक रूप से निंदा करने से भारत परहेज करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन से संबंधित ज्यादातर प्रस्तावों के खिलाफ भारत ने मतदान किया है या फिर वो मतदान से अनुपस्थित रहा है। भारत का यही कहना है कि रूस-यूक्रेन में बातचीत और कूटनीति ही आगे बढ़नी चाहिए, युद्ध से कोई समाधान नहीं निकलने वाला।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को स्पष्ट कह चुके हैं कि यह समय युद्ध का नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 अगस्त से यूक्रेन और पोलैंड की यात्रा पर जा रहे हैं। यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूक्रेन का दौरा करेगा। भारत-यूक्रेन राजनयिक संबंधों की स्थापना के 30 वर्षों में भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा होगी। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यूक्रेन आने का निमंत्रण दिया था। यह सही है कि भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध का संदेश दिया है। प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र में जबरदस्त घुसपैठ की हुई है और वहां महत्वपूर्ण पुलों को उड़ा दिया है। यूक्रेन के हमले से रूसी सप्लाई मार्ग अवरुद्ध हो गया है और रूसी सेनाएं कुर्स्क से यूक्रेन के जवानों को खदेड़ने के ​िलए लगातार हमले कर रही हैं। यूक्रेन चाहता है कि भारत रूस-यूक्रेन में युद्ध रुकवाने के ​िलए मध्यस्थता करे लेकिन भारत ने मध्यस्थता से साफ इंकार कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूक्रेन यात्रा को लेकर दो तरह से विचार सामने आए हैं। इस यात्रा को लेकर कड़ी प्रतिक्रियाएं भी सामने आ सकती हैं। कूटनीतिक विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री अमेरिका के दबाव में यूक्रेन जा रहे हैं। युद्ध छिड़ने के बाद प्रधानमंत्री ने जब मास्को का दौरा किया था तब अमेरिका ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। कूटनीतिक क्षेत्र आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा को लेकर रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी अपने सख्त तेवर दिखा सकते हैं। रूस और चीन के संबंध इस समय काफी मधुर हैं। दूसरा पहलू यह भी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कूटनीति को भलीभांति समझते हैं और वह सूूझबूझ से काम लेंगे और कोई न कोई समाधान निकाल ही लेंगे।
रूस भारत का ऐ​ितहासिक साझेदार और परखा हुआ मित्र है। ऐसे में भारत के ​लिए आसान नहीं होगा कि वह कोई बड़ी भूमिका निभा पाए। यूक्रेन इस समय अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। इस युद्ध ने भारत के पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों को जटिल बना दिया है। जहां तक अमेरिका का सवाल है उसकी फिलहाल युद्ध समाप्त कराने में कोई रुचि दिखाई नहीं दे रही। अमेरिका और पश्चिमी देश केवल अपने हथियार बेच रहे हैं। अमेरिका के नेतृत्व में एटलांटिक पार की शक्तियों ने रूस के खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़ रखा है। भारत और दुनिया के ​अधिकांश दक्षिणी देश इससे अलग रहे हैं। भारत जी-20 शंघाई सहयोग संगठन का अध्यक्ष है। इसके चलते भारत पर युद्ध को खत्म कराने के लिए बड़ी भूमिका निभाने का दबाव भी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पोलैंड भी जाएंगे। भारत और पोलैंड राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
प्रधानमंत्री की य​ात्राएं वैश्विक समुदाय को एक शक्तिशाली संकेत भेजेंगी कि भारत शांति संवाद, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और राष्ट्रों की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खड़ा है। भारत और यूक्रेन के ​िरश्ते काफी पुराने हैं। भारत यूक्रेन से कई चीजों का खरीदार रहा है। यूक्रेन भारत को एक शक्तिशाली अन्तर्राष्ट्रीय आवाज के साथ ही एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में देखता है। हालांकि यूक्रेन ने प्रतिबंधों के बावजूद रूसी तेल की निरंतर खरीद जारी रखने के लिए भारत की कड़ी आलोचना की थी आैर यह कहा था कि रूसी कच्चे तेल के हर बैरल में यूक्रेनी खून का एक अच्छा खासा हिस्सा है। देखना होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जेलेंस्की से बातचीत के दौरान क्या पक्ष लेते हैं। भारत का कहना है कि रूस और यूक्रेन दोनों के साथ हमारे स्वायत्त संबंध हैं। इन संबंधों में नफे-नुक्सान का कोई खेल नहीं है। भारत-रूस के साथ संबंधों को बरकरार रखते हुए अन्य देशों से संबंध मजबूत बनाना चाहता है। दोनों देशों में आपसी व्यापार से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी किए जा सकते हैं। जहां तक युद्ध रुकवाने का सवाल है, देखना होगा कि क्या कोई कूटनीतिक समाधान का मार्ग प्रशस्त होता है या नहीं?

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Advertisement
Next Article