'हम दो, हमारे तीन' हर परिवार में होने चाहिए 3 बच्चे', आखिर ऐसा क्यों बोले RSS चीफ Mohan Bhagwat?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. Mohan Bhagwat ने हाल ही में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित संघ की 100वीं वर्षगांठ कार्यक्रम के तीसरे दिन कई अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे। उन्होंने जनसंख्या नीति, शिक्षा प्रणाली और संघ-भाजपा के संबंधों पर खुलकर बात की।
Mohan Bhagwat: 'हम दो, हमारे तीन' की वकालत
Mohan Bhagwat ने जनसंख्या को लेकर कहा कि आज के दौर में जन्मदर कम होता जा रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि हर परिवार में कम से कम तीन संतानें होनी चाहिए। उनका मानना है कि जिन देशों की जन्मदर 3 से नीचे चली जाती है, वे धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 2.1 की जन्मदर का मतलब गणित में तो 2 होता है, लेकिन असल जीवन में इसका अर्थ 3 संतान होता है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि तीन बच्चों से न सिर्फ परिवार का संतुलन बना रहता है बल्कि बच्चे भी आपसी समझ और सहयोग सीखते हैं, जिससे भविष्य में परिवार में समस्याएं कम होती हैं। उन्होंने कहा कि तीन से ज्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए क्योंकि बच्चों की देखभाल और अच्छी परवरिश भी जरूरी है।

RSS Chief Mohan Bhagwat: नई शिक्षा नीति की जरूरत क्यों?
Mohan Bhagwat ने बताया कि भारत पर वर्षों तक विदेशी आक्रमणकारियों ने शासन किया, जिन्होंने हमारी शिक्षा व्यवस्था को अपने हित में ढाल दिया। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत के मूल्यों और सांस्कृतिक समझ को फिर से स्थापित करना है।
उनका कहना था कि गुरुकुल प्रणाली को फिर से बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि वह भारतीय परंपराओं से जुड़ी हुई है। उन्होंने फिनलैंड के शिक्षा मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां मातृभाषा में पढ़ाई होती है, और भारत को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।

Mohan Bhagwat News: संस्कृत और भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने की बात
Mohan Bhagwat ने कहा कि संस्कृत भाषा सीखना जरूरी है ताकि हम अपने प्राचीन ज्ञान के मूल स्रोतों को ठीक से समझ सकें। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा सीखने में कोई हानि नहीं है, लेकिन भारतीय लेखकों जैसे प्रेमचंद को भी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने खुद के अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने कई अंग्रेजी उपन्यास पढ़े हैं, लेकिन इससे उनके भारतीय संस्कारों पर कोई असर नहीं पड़ा।

संघ और भाजपा के रिश्तों पर सफाई
Mohan Bhagwat ने यह स्पष्ट किया कि आरएसएस भाजपा के निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करता। उन्होंने कहा कि अगर संघ ही भाजपा के फैसले लेता, तो अध्यक्ष चुनने में इतना समय नहीं लगता। उन्होंने बताया कि संघ सुझाव जरूर देता है, लेकिन अंतिम निर्णय भाजपा ही लेती है।
समाज के सभी हिस्सों में समन्वय की जरूरत
अंत में भागवत ने कहा कि श्रमिक संगठनों, छोटे उद्योगों, सरकार और समाज के बीच तालमेल जरूरी है। सभी को एक लक्ष्य के लिए काम करना चाहिए—देश और समाज की भलाई के लिए। उन्होंने बताया कि हमारी परंपराएं और मूल्य हमें संयम और विनम्रता सिखाते हैं, जो एक सभ्य समाज की पहचान है।
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