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जब राजा के पुण्य से पिता को मिला स्वर्ग! जानें मोक्षदा एकादशी की पावन व्रत कथा और पूजन विधि

12:11 PM Dec 01, 2025 IST | Khushi Srivastava
Mokshada Ekadashi ki Katha
Mokshada Ekadashi ki Katha: हिंदू पंचाग के अनुसार आज यानी 1 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का पावन पर्व है। सनातन धर्म में मोक्षदा एकादशी को बहुत खास माना जाता है। यह इस साल की सबसे पवित्र एकादशियों में से एक मानी गई है। मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए एकादशी तिथि को बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए पूजा करते समय पूरे विधि-विधान का पालन करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी जी अति प्रिय हैं। इसलिए इस दिन तुलसी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मानव के सभी पापों का नाश हो जाता है। मान्यता ये भी है कि इस दिन मोक्षदा एकादशी की व्रत कथा सुनने से ही पूजा संपन्न होती है।

Mokshada Ekadashi ki Katha: पितरों को मुक्ति और पापों से छुटकारा दिलाने वाली पावन कथा!

Mokshada Ekadashi ki Katha (Image: AI Generated)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार की बात है जब, गोकुल नामक राज्य पर राजा वैखानस शासन करते थे, राजा अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे। राजा के राज्य में वेदों के ज्ञानी ब्राह्मण निवास करते थे। एक रात राजा ने एक भयानक सपना देखा, उन्होंने देखा कि उनके पिता नरक में कष्ट भोग रहे हैं। राजा को अपने पिता का संदेश याद आया, जिसमें उन्होंने पुत्र से उन्हें नरक से मुक्त कराने की गुहार लगाई थी। इस स्वप्न से राजा बहुत व्यथित और बेचैन हो गए। उन्होंने विद्वान ब्राह्मणों से मिलकर अपनी चिंता व्यक्त की और उन्हें अपने पूरे सपने के बारे में बताया।
राजा ने ब्राह्मणों से अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि इस दुःख से उनका पूरा शरीर जल रहा है। उन्होंने विनम्रतापूर्वक कोई तपस्या, दान या व्रत जैसा कोई उपाय जानना चाहा जिससे उनके पिता को मुक्ति मिल सके। राजा का मानना था कि जो पुत्र अपने माता-पिता को उद्धार न करा सके, उसका जीवन व्यर्थ है। ब्राह्मणों ने उन्हें पर्वत ऋषि के आश्रम जाने की सलाह दी, जो त्रिकालदर्शी (भूत, भविष्य और वर्तमान के ज्ञाता) थे। राजा की समस्या का समाधान सिर्फ वही कर सकते थे।
राजा तुरंत ऋषि के आश्रम गए, उन्हें प्रणाम किया और अपना दुख बताया। पर्वत मुनि ने ध्यान लगाकर राजा के पिता के पूर्वजन्म के बुरे कर्मों को जाना। उन्होंने बताया कि कामवासना से ग्रस्त होने के कारण राजा के पिता ने एक पत्नी को प्रेम दिया, लेकिन सौत के बहकावे में आकर दूसरी पत्नी को उसका अधिकार मांगने पर भी नहीं दिया। इसी पाप कर्म के कारण उन्हें नरक भोगना पड़ रहा है।
तब ऋषि ने राजा को मार्गशीर्ष एकादशी यानी कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने और व्रत के पुण्य को अपने पिता को संकल्प के साथ समर्पित करने का उपाय बताया। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस पुण्य के प्रभाव से उनके पिता को नरक से मुक्ति मिल जाएगी। ऋषि की बात सुनकर राजा महल लौटे और परिवार सहित पूरी विधि-विधान से मोक्षदा एकादशी का व्रत किया। जब राजा ने उस उपवास का पुण्य अपने पिता को अर्पित किया, तो उनके पिता को तुरंत नरक से छुटकारा मिल गया। स्वर्ग की ओर जाते हुए पिता ने राजा को आशीर्वाद दिया और कहा, "हे पुत्र, तेरा कल्याण हो।"
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Mokshada Ekadashi Puja Niyam: ऐसे करें मोक्षदा एकादशी का व्रत

Mokshada Ekadashi Puja Niyam (Image: AI Generated)
  1. एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  2. इसके बाद स्वच्छ एवं सादे वस्त्र पहनें।
  3. अब भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और पूजा आरंभ करें।
  4. पूजा शुरू करते ही सबसे पहले विष्णु भगवान का जल एवं पंचामृत से अभिषेक करें।
  5. इसके बाद उन्हें फूल, माला, पीला चंदन, अक्षत आदि अर्पित करें।
  6. फल, मिठाई और भोग लगाने के बाद जल चढ़ाएं।
  7. अब घी का दीपक और धूप जलाकर श्री विष्णु मंत्र, चालीसा तथा मोक्षदा एकादशी व्रत कथा का विधिवत पाठ करें।
  8. अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें और किसी भी गलती के लिए क्षमा प्रार्थना मागें।
  9. पूरे दिन व्रत पालन करने के बाद अगले दिन स्नान कर पुनः विष्णु जी की पूजा करें और विधि-विधान से व्रत का पारण करें।

Mokshada Ekadashi Par Kya Na Kare: इस दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां

Mokshada Ekadashi ki Katha (Image: AI Generated)
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