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Parliament Monsoon Session: 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा मॉनसून सत्र, राष्ट्रपति मुर्मू ने दी मंज़ूरी, जानें ! इस बार क्या रहेगा खास

01:45 AM Jul 03, 2025 IST | Shera Rajput

संसद का आगामी मानसून सत्र अब 21 जुलाई से आरंभ होकर 21 अगस्त तक चलेगा। यह सत्र पहले से निर्धारित कार्यक्रम की तुलना में एक सप्ताह अधिक लंबा होगा, जिससे संकेत मिलता है कि इस बार संसद में अधिक कामकाज होने की संभावना है।

राष्ट्रपति की मंजूरी और अवकाश की जानकारी

संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 21 जुलाई से 21 अगस्त तक सत्र आयोजित करने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
रीजीजू ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए बताया कि स्वतंत्रता दिवस समारोहों के कारण 13 और 14 अगस्त को संसद की कोई बैठक नहीं होगी।

सत्र की अवधि में बदलाव

इससे पहले मानसून सत्र 12 अगस्त को समाप्त होने वाला था, लेकिन अब इसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है। सत्र की अवधि में विस्तार ऐसे समय किया गया है जब सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों को संसद में लाने की योजना बना रही है।

परमाणु क्षेत्र में सुधारों की तैयारी

सरकार की योजना है कि परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए सिविल दायित्व अधिनियम, 2010 और परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। यह कदम केन्द्रीय बजट में किए गए ऐलान के अनुरूप है।

विपक्ष की मांग: ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा

विपक्ष, विशेष रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बहस की मांग कर रहा है। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों पर किए गए हमले से जुड़ा है।

अमेरिका की मध्यस्थता पर सरकार से सवाल

विपक्षी दलों ने संसद में यह भी मुद्दा उठाया है कि भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा की गई मध्यस्थता की पेशकश पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया रही।
हालांकि, सरकार ने ट्रंप के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत ने कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है और न ही भविष्य में करेगा।

पाकिस्तान के अनुरोध पर रोकी गई थी सैन्य कार्रवाई

मोदी ने ट्रंप को यह भी बताया कि भारतीय सेना द्वारा कार्रवाई रोकने का निर्णय पाकिस्तान के अनुरोध पर लिया गया था, न कि किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के कारण।

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