मानसून की फुहार लाएगी अर्थव्यवस्था में बहार
देशभर में भीषण गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है। इस बीच मौसम विभाग ने बारिश…
देशभर में भीषण गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है। इस बीच मौसम विभाग ने बारिश को लेकर एक बड़ी घोषणा की है। मौसम विभाग ने इस बार मानसून में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना जताई है। इसके साथ ही मौसम विभाग ने अल नीनो की स्थिति बनने से भी इन्कार कर दिया है। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार देश में मानसून के दौरान अच्छी बारिश होगी। हालांकि मौसम विभाग ने जलवायु परिवर्तन को लेकर भी चिंता जताई है, जिसके तहत बारिश के दिनों की संख्या घट रही है जबकि भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं। भारत में चार महीने (जून से सितंबर) के मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है और कुल वर्षा 87 सेंटीमीटर के दीर्घावधि औसत का 105 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’’ इस बार मानसून के दौरान सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान देश के लिए एक बड़ी राहत है। हमारी खेती का बड़ा हिस्सा मानसूनी वर्षा पर ही निर्भर है। यानी खेती-किसानी को एक अच्छे मानसून की हर साल जरूरत पड़ती है। वहीं, देश की लगभग दो-तिहाई आबादी का जीवनयापन खेती से ही चलता है। यानी मानसून अब भी एक खुशहाल वर्ष के लिए निर्णायक कारक बना हुआ है। अतीत के अनुभवों से यह बात साबित होती रही है कि एक खराब मानसून लोगों को अकाल जैसी परिस्थितियों में रहने के लिए विवश कर सकता है। यह हमारे अन्न भंडार से लेकर उद्योग-धंधों तक को चौपट कर सकता है। शायद इसीलिए गांव से लेकर संसद तक और नुक्कड़ की दुकान से लेकर पांच सितारा होटल तक मानसून के आगमन और विदाई दोनों हमेशा चिंता और चर्चा का विषय बने रहते हैं।
इसे ऐसे समझ सकते हैं, हमारे देश की कुल खेती का लगभग 56 फीसदी क्षेत्र वर्षा आधारित है जो कि 44 फीसदी खाद्य उत्पादन के लिए जिम्मेदार है। वर्षा में कोई भी कमी फसल उत्पादन और पूरी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। भारत की खाद्य और जल सुरक्षा भी मानसून पर ही निर्भर है क्योंकि कृषि उत्पादन मिट्टी की नमी और भूजल भंडारण से प्रभावित होता है जिनका वर्षा से सीधा संबंध है। सामान्य से अच्छा मॉनसून खरीफ फसलों (जैसे धान, दालें, तिलहन, और मोटे अनाज) के प्रोडक्शन को बढ़ावा देगा। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और ग्रामीण मांग में सुधार होगा। बेहतर पैदावार खाद्य महंगाई को कंट्रोल करने में मदद करेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी हुई आय से उपभोक्ता वस्तुओं जैसे दोपहिया वाहन, ट्रैक्टर और एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ेगी। इसके अलावा ग्रामीण बाजारों में खपत बढ़ने से अर्थव्यवस्था में कैश फ्लो में सुधार होगा। अच्छा मॉनसून जलाशयों के जल स्तर को बढ़ाएगा जिससे सिंचाई में सुधार होगा। इससे बिजली की कमी कम होगी और इंडस्ट्रियल गतिविधियों को सपोर्ट मिलेगा। उर्वरक और कीटनाशक कंपनियाें को बेहतर मॉनसून के कारण मांग में बढ़ाैतरी से फायदा होगा। बीज कंपनियां भी लाभान्वित होंगी। ग्रामीण आय में बढ़ाैतरी से टू-व्हीलर और ट्रैक्टरों की बिक्री बढ़ेगी। बेहतर फसल पैदावार से किसानों की लोन चुकाने की क्षमता बढ़ेगी जिससे बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत होगी। व्यापार का संतुलन मॉनसून के अप्रत्याशित और निष्पक्ष परिवर्तनों पर भी निर्भर है क्योंकि अगर मॉनसून अनुकूल है तो व्यापार भी संतुलित होगा और अगर मॉनसून नहीं है तो व्यापार संतुलित नहीं होगा। मॉनसून की विफलता प्रतिकूल रूप से भारत के विदेशी व्यापार के संतुलन को प्रभावित करती है।
एक खराब मॉनसून न केवल तेज़ी से बढ़ते उपभोक्ता वस्तुओं की मांग को कमज़ोर करता है, बल्कि आवश्यक खाद्य वस्तुओं के आयात को भी बढ़ावा देता है और सरकार को कृषि ऋण छूट जैसे उपाय करने के लिये भी मज़बूर करता है जिससे सरकार पर वित्त का दबाव बढ़ जाता है जिससे राष्ट्रीय आय में गिरावट के चलते सरकार के राजस्व में तेजी से गिरावट आ सकती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि राज्य का राजस्व और आय हर साल मॉनसून पर निर्भर करती है। दूसरे शब्दों में यूं कहे की जिस प्रकार जीवन के अस्तित्व के लिए रक्त की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार मॉनसून भी भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है।
मौसम की स्ट्रीक भविष्यवाणी किसानों के लिए ही नहीं बल्कि हमारे दैनिक जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है। मूसलाधार वर्षा, बादलों के फटने, चक्रवात, समुद्री हलचलों आदि की पूर्व जानकारी मिल जाने से जीवन की सुरक्षा का प्रबंध किया जा सकता है। इससे जन, पशु और फसलों को बचाने के प्रयत्नों में सफलता मिलती है। सूखे और बाढ़ से निपटने में भी सहायता मिलती है। पिछले कुछ सालों में मौसम का पूर्वानुमान लगाने की सटीक जानकारी देने के मामले में भारतीय मौसम विभाग ने काफी तरक्की की है। मौसम के सटीक पूर्वानुमान ने किसानों का सफल रोपण, सिंचाई और उत्पादकता बढ़ाने तथा जलवायु परिवर्तनशीलता से जुड़े जोखिमों काे कम करने में सहायता मिली है।