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मां ने मूंगफली बेचकर गेल को बनाया क्रिकेटर, पहले ही मैच में दिखा दिया अपना दम

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11:16 PM Apr 15, 2018 IST | Desk Team

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IPL 2018 की जंग शुरू हो चुकी है और सभी टीमें चैम्पियन बनने की जंग में भिड़ चुकी हैं। वर्ल्ड क्रिकेट के सबसे खतरनाक खिलाड़ी आईपीएल में नजर आ रहे हैं। उसी में है क्रिस गेल। जो किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से खेल रहे हैं। गेल ने चेन्नई के खिलाफ अपने पहले ही मैच में दिखा दिया है की उनमे अभी दम बाकी है, गेल ने तूफानी अंदाज में 33 गेंदों में 63 रन जड़े जिसमें उन्होंने 4 छक्के और 7 चौके जड़े।

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गेल के फैन्स सिर्फ वेस्टइंडीज में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में हैं। अपने कूल बिहेवियर और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से उन्होंने पहचान बनाई।वो पहले बल्लेबाजी हैं जिन्होंने टी-20 में शतक जड़ा था। आईपीएल में सबसे ज्यादा छक्के (269) लगाने वाले बल्लेबाज भी हैं।

गरीबी में बीता बचपन

जब भी वो आईपीएल में खेलने उतरते हैं तो इंडियन फैन्स भी उनको सपोर्ट करते हैं। गेल ने ये मुकाम बहुत संघर्षों के बाद पाया है। गेल का जन्म वेस्टइंडीज के जमैका के किंग्सटन में 21 सितंबर 1979 को हुआ। उनका बचपना काफी संघर्षों में बीता। उनका बचपन गरीबी में निकला। दो वक्त की रोटी भी खाना मुश्किल था। उनके पिता पुलिस में थे तो वहीं मां मूंगफली बेचा करती थीं। उस वक्त क्रिस गेल गली-महल्ले में ही क्रिकेट खेला करते थे। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो ग्राउंड पर क्रिकेट प्रेक्टिस कर सकें। बड़े होते ही वो जमैका का लुकास क्रिकेट क्लब में शामिल हो गए। उनकी बल्लेबाजी के चर्चे हर जगह थे। इसको देखते हुए 19 साल की उम्र में ही उनको फर्स्ट क्लास मैच खेलने का मौका मिल गया।

क्रिकेट खेलने का मौका

फर्स्ट क्लास में उन्होंने शानदार परफॉर्म किया और वेस्टइंडीज के लिए खेलने का मौका मिल गया। उन्होंने पहला वनडे भारत के खिलाफ 1998 में खेला था। जिसके बाद टेस्ट मैच में भी उन्हें मौका दिया गया। लेकिन वो इंटरनेशनल में ठीक परफॉर्म नहीं कर पाए। जिसकी वजह से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लेकिन अंदर आने के लिए गेल संघर्ष करते रहे और 2002 में उनको वेस्टइंडीज में फिर जगह मिल गई। उसी साल उन्होंने भारत के खिलाफ 3 सेंचुरी जड़ीं। जिसके बाद उनका नाम पूरे वर्ल्ड क्रिकेट में फेमस हो गया।

दिल में छेद

2005 में गेल जब साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेल रहे थे तो वो चक्कर खाकर ग्राउंड पर ही गिर गए थे। उनको सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच के दौरान पता चला कि उनके दिल में छेद है। जिसके बाद क्रिकेट छोड़ उन्होंने इलाज कराया। उसके बाद उन्होंने फैसला लिया कि वो लाइफ को खुलकर जीएंगे।

जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करना शुरू कर दिया। शानदार परफॉर्मेंस के लिए उन्हें 2006 में चैम्पियंस ट्रॉफी में प्लेयर ऑफ द मैच दिया गया। 2007 टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ शानदार 117 रन की पारी खेली। इसी के साथ वो टी-20 में पहला शतक बनाने वाले खिलाड़ी बन गए थे।

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