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अनंतनाग में शहीद हुए मेजर आशीष की मां ने कहा कि मेरा बेटा देश पर कुर्बान हुआ है, आज मै रोउंगी नहीं

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों के साथ एनकाउंटर में हमारे तीन जवान शहीद हो गए। उनमें एक नाम कंपनी कमांडर (मेजर) आशीष धौंचक का है

12:59 PM Sep 14, 2023 IST | Anuj Kumar Yadav

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों के साथ एनकाउंटर में हमारे तीन जवान शहीद हो गए। उनमें एक नाम कंपनी कमांडर (मेजर) आशीष धौंचक का है

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों के साथ एनकाउंटर में हमारे तीन जवान शहीद हो गए। उनमें एक नाम कंपनी कमांडर (मेजर) आशीष धौंचक का है। जो कि हरियाणा के पानीपत के रहने वाले थे। बुधवार को वो सुरक्षाबलों की एक टुकड़ी के साथ कोकेरनाग इलाके में सर्चिंग ऑपरेशन में शामिल थे। आशीष की शहादत के बाद परिवार में मातम का माहौल है। घर पर पड़ोसी और रिश्तेदार पहुंच गए हैं।
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कोकेरनाग इलाके में आतंकवादियों के मूवमेंट की जानकारी
बता दें कि यहां सभी लोग परिवार को ढांढस बंधा रहे हैं, इसके साथ ही यहां सुबह सेना को कोकेरनाग इलाके में आतंकवादियों के मूवमेंट की जानकारी मिली थी, जिसके आधार पर घेराबंदी का फुल प्रूफ प्लान बनाया गया। कर्नल मनप्रीत सिंह के नेतृत्व में सेना के जवान आगे बढ़े, तभी ऊंचाई पर पहले से छिपे बैठे 2-3 आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। कर्नल सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि आशीष और हुमायुं को गोलियां लगीं. उन्हें हवाई मार्ग से श्रीनगर के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। यह आतंकवादी लश्कर के प्रॉक्सी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) से जुड़े थे। 
आशीष धौंचक मूल रूप से पानीपत जिले के बिंझौल गांव के रहने वाले थे
शहीद हुए मेजर आशीष धौंचक मूल रूप से पानीपत जिले के बिंझौल गांव के रहने वाले थे। कुछ समय पहले मेजर आशीष का परिवार पानीपत के सेक्टर 7 में रहने लगा था। शहादत के बाद परिवार में मातम का माहौल है। घर पर पड़ोसी और रिश्तेदार पहुंच गए हैं। मेजर आशीष धौंचक तीन बहनों में इकलौते भाई थे। आशीष की 2 साल पहले ही मेरठ से जम्मू में पोस्टिंग हुई थी, और उनकी 2 साल की बेटी है। आशीष को इसी साल 15 अगस्त को वीरता के लिए सेना पदक से सम्मानित किया गया था। 
भतीजे को यादकर चाचा भावुक
वहीं भतीजे को यादकर चाचा भावुक हो गए। उन्होंने बताया, जम्मू में पोस्टिंग होने के बाद भी मेजर आशीष को किसी तरह का डर नहीं था। उन्होंने कहा कि भतीजे की शहादत के बाद भी जवानों के हौसले में कमी नहीं आएगी। आशीष अक्सर जम्मू के हालातों के बारे में जिक्र करता था। आशीष को 23 अक्टूबर को जन्मदिन पर घर आना था और पानीपत में नए घर में प्रवेश करना था. अभी तक उनका परिवार पानीपत में किराए के घर में रह रहा था। चाचा दिलावर ने बताया कि आशीष अभी डेढ़ महीने पहले ही घर आया. पिता लालचंद सदमे में हैं। 
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