'अब नहीं रहेंगे मिस्टर नाइस गाइ...', आखिर क्यों चीन पर भड़क उठे डोनाल्ड ट्रंप?
डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों जताई चीन पर नाराजगी?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि वह अब ‘मिस्टर नाइस गाइ’ नहीं बने रहेंगे। ट्रंप ने चीन पर आरोप लगाया कि उसने अमेरिका के साथ हुआ समझौता तोड़ दिया है। हालांकि, उन्होंने शी जिनपिंग से बात करने की उम्मीद जताई। यह बयान अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है।
Trump on China: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिन शुक्रवार को चीन को लताड़ लगाई है. ट्रंप ने चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों पर सख्त तेवर अपनाते हुए कहा कि वह अब ‘मिस्टर नाइस गाइ’ नहीं बने रहेंगे. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर चीन पर आरोप लगाया कि उसने अमेरिका के साथ हुआ समझौता तोड़ दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, उन्होंने ओवल ऑफिस में कहा कि वह शी जिनपिंग से बात करेंगे और उम्मीद है कि दोनों देश मिलकर समाधान निकालेंगे. बावजूद इसके, ट्रंप इस बात पर अडिग रहे कि चीन ने समझौते का उल्लंघन किया है.
आखिर कौन सा समझौता टूटा?
ट्रंप ने जिस समझौते की बात की, उसका स्पष्ट उल्लेख नहीं किया. यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में अमेरिका ने चीन से आने वाले उत्पादों पर लगे 145 प्रतिशत टैरिफ को घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया था. जवाब में, चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए करों को 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किया था. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘दुर्भाग्य से, चीन ने हमारे साथ हुए समझौते का पूरी तरह से उल्लंघन किया है.’
उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ में की गई छूट से चीन की अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक स्थिरता मिली, लेकिन यह राहत अमेरिकी कंपनियों के लिए भी फायदेमंद रही. यह बयान अमेरिका और चीन, दोनों प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है, क्योंकि ट्रंप यह दिखाने के लिए उत्सुक हैं कि उनके टैरिफ अमेरिकी कारखाने की नौकरियों और बढ़े हुए घरेलू निवेश के रूप में सार्थक नतीजे दे सकते हैं.
चीनी छात्रों के वीजा होंगे रद्द
बता दें कि इस हफ्ते ट्रंप प्रशासन ने और सख्ती दिखाते हुए यह घोषणा की कि अमेरिका में पढ़ रहे कुछ चीनी छात्रों के वीजा रद्द किए जाएंगे. यह कदम अमेरिका-चीन टकराव को और गहरा करता है.
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ट्रंप की रणनीति और कानूनी विवाद
ट्रंप की बातचीत की शैली आमतौर पर धमकी और समाधान के वादों के बीच झूलती रही है, जिससे शेयर बाजारों में अनिश्चितता बनी रहती है. हाल ही में एक कोर्ट ने यह फैसला दिया कि ट्रंप ने टैरिफ लगाने के अधिकार का अतिक्रमण किया. यह फैसला फेंटेनाइल तस्करी और लिबरेशन डे टैरिफ जैसे मामलों से जुड़ा था.
वहीं गुरुवार को एक संघीय अपील कोर्ट ने ट्रंप को आपातकालीन शक्तियों के तहत अस्थायी रूप से टैरिफ वसूलने की अनुमति दी, जब तक कि वह पहले के कोर्ट फैसले के खिलाफ अपील करते हैं.
चीन की प्रतिक्रिया
वाशिंगटन में स्थित चीनी दूतावास ने कहा कि दोनों देशों ने जिनेवा में हुई बैठक के बाद लगातार संपर्क बनाए रखा है. चीन ने अमेरिका द्वारा कंप्यूटर चिप जैसे क्षेत्रों में किए जा रहे निर्यात नियंत्रण को लेकर अपनी चिंता दोहराई है. अमेरिका और चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों में अग्रणी बनने की दौड़ में हैं.
अमेरिका चीन की अत्याधुनिक चिप तकनीकों तक उसकी पहुंच को सीमित करना चाहता है. चीन ने अमेरिका से अपील की है कि वह भेदभावपूर्ण नीतियों को खत्म करे और जिनेवा में बनी सहमति का पालन करे.
‘चीन को दबाने का प्रयास’
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह व्यापार को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा के बहाने चीन को दबा रहा है. उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण कदम बताया और कहा कि चीन अपने अधिकारों की रक्षा करेगा.
बातचीत फिलहाल रुकी
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने जानकारी दी कि फिलहाल चीन के साथ व्यापार वार्ता रुकी हुई है. उन्होंने कहा कि बातचीत की जटिलता को देखते हुए दोनों नेताओं को व्यक्तिगत रूप से चर्चा करनी होगी.
वहीं अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने बताया कि चीन ने गैर-टैरिफ बाधाएं हटाने का वादा निभाया नहीं. दिसंबर में चीन ने गैलियम, जर्मेनियम और एंटीमनी जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद अप्रैल में और सख्त नियंत्रण लागू किए गए.