For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

MSP : क्या होता है MSP?

04:45 PM Feb 24, 2024 IST | Beauty Roy
msp   क्या होता है msp
MSP

MSP :संयुक्त किसान मोर्चा लगातार सरकार से अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है इसी बीच सरकार ने किसानों से एमएसपी (MSP) को लेकर बातचीत की है लेकिन किसान नेताओं ने सरकार के इस प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया है। इसी बीच आम लोगो में जो सबसे बड़ा सवाल और कन्फ्यूजन है, वो है एमएसपी आखिर एमएसपी है क्या।

MSP क्या है?

MSP
MSP

एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) किसी भी फसल के लिये वह ‘न्यूनतम मूल्य’ है, जिसके माध्यम से सरकार किसानों का ‘समर्थन’ करती है यानी आसान भाषा में समझे तो एमएसपी तय होने के बाद अगर बाजार में फसलों की कीमत घटती है तो भी सरकार किसानों से तय कीमत पर ही फसलें खरीदती है। जिसका उद्देश्य है की अगर किसी वजह से फसल की कीमत में उतार-चढ़ाव होता है तो किसानों को नुकसान से बचने के लिए सरकार MSP तय करती है।

सबसे पहले कब लागू हुई थी MSP?

MSP
MSP

बता दें कि पहली बार एमएसपी (MSP) केंद्र द्वारा साल 1966 में पेश किया गया था। तब आजादी के समय भारत को अनाज उत्पादन में घाटे का सामना करना पड़ा था। उसके बाद साल 2014 और 2015 में लगातार दो बार सूखे की घटना के कारण किसानों को बहुत नुक्सान हुआ था। जिसको देखते हुए सरकार ने 14 खरीफ फसलों पर एमएसपी तय किया था।

वर्तमान में बन गई ये स्थिति

MSP
MSP

वर्त्तमान में कृषि अर्थव्यवस्था के जानकारों के अनुसार भारत अपने किसानों से जरूरत से ज्यादा अनाज खरीद रहा है। साल 2022 में सरकार ने करीब 600 लाख टन चावल खरीदा था लेकिन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 350 लाख टन चावल की खरीद ही काफी थी। फिलहाल भारत में इतने अनाज की भंडारण व्यवस्था नहीं है लिहाजा भारी मात्रा में अनाज खराब हो जाता है। जानकारों के मुताबिक़ इस प्रक्रिया में देश का अहम संसाधन बरबाद हो रहा हैं।

किसान कर रहे गारंटी की मांग

MSP
MSP

आंदोलनकारी किसान अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में बताए गए फॉर्मूले को लागू करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि इस फॉर्मूले के अनुसार किसानों को फसलों की लागत का डेढ़ गुना कीमत मिलनी चाहिए लेकिन सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव में एमएसपी पर गारंटी देने का वादा नहीं किया गया है। सरकार ने किसानो को सिर्फ धान और गेहूं के बजाय तिलहन, दलहन की खेती करने का सुझाव दिया है जिससे खेती, जलवायु और मिटटी की उर्वरता में सुधार होगा और दालों के लिए भारत की आयात पर निर्भरता कम होगी।

पीयूष गोयल ने किसानो के सामने रखा प्रस्ताव

MSP
MSP

किसानों और मंत्रियों की बैठक के बाद पीयूष गोयल ने बताया कि किसान नेताओं ने कहा है कि किसान मक्का, दलहन और कपास जैसी फसलें पैदा करने में हिचकिचाते हैं। किसानों को लगता है कि इससे उन्हें भारी घाटा हो सकता है क्योंकि ये फसलें एमएसपी पर नहीं खरीदी जाती हैं। इसी चिंता को देखते हुए मंत्रियों की कमेटी ने प्रस्ताव दिया कि अगर किसान मक्का या दलहन उगाएंगे तो नेशनल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया और नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया, उनके साथ पांच साल का कॉन्ट्रेक्ट करेगी।

किसानो ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकराते हुए क्या कहा

MSP
MSP

किसानो का कहना है कि पहले भी किसान एग्री-कमडिटी कंपनियों के कहने पर आलू, टमाटर और बासमती धान की खेती कर चुके हैं लेकिन ये कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट तोड़ देती हैं और किसानों को घाटा उठाना पड़ता है।

सवाल जो बने हुए हैं बड़ा मुद्दा

MSP
MSP

आखिर कब तक सरकार और किसानो के बीच एमएसपी (MSP) को लेकर संग्राम चलता रहेगा? सरकार इसके लिए क्या कदम उठाती है? आखिर एमएसपी (MSP) को लेकर किसान और सरकार के बिच कब तक ये घमासान चलता रहेगा? क्या कोई बीच का रास्ता निकाला जाएगा जिससे सरकार और किसान के बिच समन्वय स्थापित हो सके?

 

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

 

Advertisement
Advertisement
Author Image

Beauty Roy

View all posts

Advertisement
×