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Mumbai Serial Blasts: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामला, हाईकोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती

12:44 PM Jul 22, 2025 IST | Shivangi Shandilya
mumbai serial blasts  सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामला  हाईकोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती
सुप्रीम कोर्ट

Mumbai Serial Blasts: मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में 19 साल बाद 12 आरोपियों को बरी कर दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले ने देश की न्यायिक और राजनीतिक व्यवस्था में हलचल मचा दी है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

गुरुवार को होगी सुनवाई

सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की जरूरत है। (Mumbai Serial Blast) सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अपील का संज्ञान लेते हुए कहा है कि वह इस मामले में गुरुवार को सुनवाई करेगा। कोर्ट यह तय करेगा कि हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए या नहीं और मामले की आगे की सुनवाई किस दिशा में चलेगी। इसके अलावा, महाराष्ट्र सरकार की एंटी टेररिज्म स्कॉड (एटीएस) ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

साल 2006 की घटना

Mumbai Serial Blasts
Mumbai Serial Blasts

बता दें कि वर्ष 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। (Mumbai Serial Blast) इस मामले में 12 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट की ओर से इन्हें जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने विशेष टाडा न्यायालय की ओर से दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। इनमें से 5 को मृत्युदंड और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए उन्हें तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया है।

19 साल बाद आया फैसला

Mumbai Serial Blasts: यह फैसला 19 साल बाद आया है। न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस चांडक की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों में कोई ठोस आधार नहीं था। कोर्ट ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

हाई कोर्ट ने 12 आरोपियों को किया बरी

Mumbai Serial Blasts: यह मामला 11 जुलाई 2006 का है, जब मुंबई की लोकल ट्रेनों में शाम के समय मात्र 11 मिनट के अंदर सात अलग-अलग जगहों पर सीरियल बम धमाके हुए थे। इन धमाकों में 189 लोगों की जान चली गई थी और 827 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। नवंबर 2006 में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की गई थी। इसके बाद 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिसमें 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।

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Shivangi Shandilya

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