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मुनव्वर राणा का विवादों से रहा है लंबा नाता, केंद्र और यूपी सरकार से हुआ था आमना - सामना

04:51 PM Jan 15, 2024 IST | Deepak Kumar

शायरों और लेखकों के विषय में कई बार बहुत कुछ लिखा गया है। कई दफा लेखकों की कलम ने सत्ता की कमर तक तोड़ दी है। मुंशी प्रेमचंद , रामधारी दिनकर और भी बहुत से बड़े लेखक हुए है जिनकी कलम से क्रांति की मशाल जली। आज़ादी के बाद का माहौल देश में अलग हो चला था। लखको और कवियों की पहुंच आम लोगों से दूर होती जा रही थी। जिसके पीछे की वजह मनोरंजन का जरिया लोगो का बदल चुका था। अधिकतर व्यक्तियों ने सिनेमा को मनोरंज का साधन बना लिया था। कुछ साहित्य के सिपाहियों ने लेखनी की अलख को निरंतर जलाए रखा। समय बदला लेखनी के तरीके में बदलाव आए डिजिटल युग में फिर एक बार शायर और लेखक छाए। अपनी कलम की स्याही से सरकारों की तक़दीर तक लिख देने वाले लेखकों और साहित्यकारों को भारत सरकार ने भी सम्मान दे कर नवाज़ा। भारत की भूमि पर जन्मे साहित्यकार मुन्नवर राणा की विभिन्न मुद्दों अलग राय रही जिसके चलते उनके साथ कई विवाद जुड़े। कई बार मुन्नवर के बयानों में सरकार निशाने पर रही। जिसके चलते उन्हें सरकार समर्थित लोगों की कड़ी आलोचनाओं का भी समाना करना पड़ा।

2022 का उत्तर प्रदेश चुनाव
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2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान ने प्रदेश की योगी सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर योगी आदित्यनाथ और भाजपा सरकार दोबारा आएगी तो मैं उत्तर प्रदेश से पलायन कर जाऊंगा।
हालंकि सरकार बनने के पश्चात मुन्नवर ने इस विषय में कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी।

लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन


मशहूर शायर मुनव्वर राणा का लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन हो गया। मुनव्वर राणा देश के मशहूर शायर थे तो वहीं उनका विवादों से भी लगातार गहरा नाता रहा। अपने बयानों को लेकर मुनव्वर राणा हमेशा विवादों से घिरे रहे। मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा जब राजनीति में आईं, उसके बाद से मुनव्वर राणा विवादों से गिरते चले गए। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए सीएए और NRC कानून को लेकर लखनऊ में प्रदर्शन हुआ तो मुनव्वर की बेटी सुमैया राणा भी इस प्रदर्शन में शामिल हुई थी और प्रदर्शन को सही ठहराया था। उनकी बेटी के खिलाफ एफआईआर भी हुई। तब उन्होंने कई सवाल खड़े किए थे।

किसान आंदोलन में दिया था बयान

किसान आंदोलन के दौरान मुनव्वर राणा का एक विवादित बयान काफी चर्चा में रहा था। उन्होंने कहा था, संसद को गिराकर खेत बना दो, इस मुल्क के कुछ लोगों को रोटी तो मिलेगी। अब ऐसे ही बदलेगा किसानों का मुकद्दर, सेठों के बनाए हुए गोदाम जला दो, मैं झूठ के दरबार में सच बोल रहा हूं, गर्दन को उड़ाओ या मुझे जिंदा जला दो, इस शेर के बाद कई बड़े नेताओं और कवियों ने इसकी निंदा की थी। विवाद बढ़ते देख राणा ने यह ट्वीट डिलीट कर दिया था।

फ्रांस कार्टून विवाद

2020 में फ्रांस के कार्टून विवाद में एक महिला टीचर की गला दबाकर हत्या की गई थी। इसको भी राणा ने सही ठहराया था और कहा था कि आपका मजहब आपकी मां की तरह होता है, मुसलमान को निशाना बनाकर चिढ़ाने के लिए ऐसा कार्टून बनाया गया है। यह तर्क देते हुए मुनव्वर ने कहा था कि किसी को इतना भी मजबूर नहीं करना चाहिए कि वह कत्ल करने पर मजबूर हो जाए। हालांकि बयान के बाद उन्होंने अपनी सफाई भी पेश की थी।

उत्तर प्रदेश सरकार पर दिया था बयान

इसी प्रकार 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर योगी आदित्यनाथ और भाजपा सरकार दोबारा आएगी तो मैं उत्तर प्रदेश से पलायन कर जाऊंगा। हालांकि, सरकार बनने के बाद मुनव्वर राणा शांत रहे।

NRC पर बयान देकर घिरे थे राणा


देश में 2020-21 में जब एनआरसी को लेकर देश भर में आंदोलन चल रहा था तब भी मुनव्वर राणा बयान देने से पीछे नहीं रहे। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को टारगेट करते हुए कहा था कि आप उत्तर प्रदेश में डर लगने लगा है। उन्होंने कहा भाजपा पूरे देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है।

सुप्रीम कोर्ट पर की थी टिप्पणी

मुनव्वर राणा यही नहीं रुके, देश की सर्वोच्च अदालत पर भी अंगुली उठाई. राणा अयोध्या राम मंदिर को लेकर आये फैसले पर सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उस वक्त भी राणा ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर भी आरोप लगा दिए थे। उन्होंने कहा था कि अयोध्या की विवादित जमीन पर फैसला सुनाए जाने में हिंदुओं का पक्ष लिया गया है। वह लगातार विवादों में भी बने रहते थे।

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