For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

मध्य प्रदेश के निकाय चुनाव !

मध्य प्रदेश में जमीनी स्तर पर जो राजनीतिक युद्ध चल रहा है उसके परिणाम इस प्रदेश में अगले वर्ष नवम्बर महीने में होने वाले विधानसभा चुनावों पर निर्णायक प्रभाव डाले बिना नहीं रह सकते।

02:09 AM Jul 02, 2022 IST | Aditya Chopra

मध्य प्रदेश में जमीनी स्तर पर जो राजनीतिक युद्ध चल रहा है उसके परिणाम इस प्रदेश में अगले वर्ष नवम्बर महीने में होने वाले विधानसभा चुनावों पर निर्णायक प्रभाव डाले बिना नहीं रह सकते।

मध्य प्रदेश के निकाय चुनाव
मध्य प्रदेश में जमीनी स्तर पर जो राजनीतिक युद्ध चल रहा है उसके परिणाम इस प्रदेश में अगले वर्ष नवम्बर महीने में होने वाले विधानसभा चुनावों पर निर्णायक प्रभाव डाले बिना नहीं रह सकते। यही वजह है कि राज्य में चल रहे पंचायत व नगर निकायों के चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा व प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। राज्य में मुख्य रूप से इन दोनों पार्टियों के बीच ही संघर्ष रहता है इसलिए भाजपा की ओर से मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान व कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमन्त्री श्री कमलनाथ ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली हुई है और ये दोनों नेता राज्य के चप्पे-चप्पे पर जनसभाएं व रोड शो आदि करके मतदाताओं को अपने-अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं। स्थानीय निकाय चुनावों का भारतीय राजनीति में महत्व कम करके नहीं देखा जाना चाहिए । ये चुनाव दल गत आधार पर लड़े जाते हैं जिससे चुनाव लड़ने वाले दलों को यह अंदाजा हो जाता है कि वे कितने पानी में हैं। मगर सबसे आश्चर्यजनक यह है कि इन्दौर से लेकर भोपाल व उज्जैन आदि बड़े शहरों में भ्रष्टाचार एक मुद्दा बना हुआ है। इसके साथ ही शहरी विकास से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की दुर्दशा के मुद्दे भी केन्द्र में हैं।
Advertisement
इस मोर्चे पर मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद केवल 13 महीने ही मुख्यमन्त्री की कुर्सी पर रहने वाले श्री कमलनाथ ने राज्य के विकास और नागरिक सुविधाओं की कमी का ठीकरा शिवराज सिंह की सरकार पर फोड़ना शुरू कर दिया है क्योंकि पिछले 18 वर्षों में कुछ समय छोड़ कर वह ही राज्य के मुख्यमन्त्री रहे हैं। दूसरी तरफ शिवराज सिंह कमलनाथ को उनके संक्षिप्त शासनकाल में किये गये कार्यों के लिए निशाने पर ले रहे हैं और बता रहे हैं कि कांग्रेस शासन में भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं को रोक दिया गया था या पलट दिया गया था। शिवराज सिंह कोई जोखिम मोल नहीं चाहते और वह छतरपुर से लेकर पन्ना व श्री कमलनाथ के गृहक्षेत्र छिन्दवाड़ा तक का दौरा कर रहे हैं। लेकिन कमलनाथ भी पीछे नहीं हैं और वह सतना से लेकर जबलपुर समेत पिछड़े से पिछड़े कहे जाने वाले इलाकों का दौरा कर रहे हैं। वास्तव में इन स्थानीय निकाय चुनावों में शिवराज सिंह व कमलनाथ दोनों की ही प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। साथ ही भाजपा आला कमान भी इन चुनावों पर पैनी निगाह रख रहा है। इसकी वजह यह भी है कि इसी वर्ष के अंत में गुजरात व हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश ऐसा  राज्य है जिसकी सीमाएं महाराष्ट्र, राजस्थान व छत्तीसगढ़ से भी छूती हैं।
इन राज्यों में भी अगले साल चुनाव होने हैं। अतः श्री शिवराज सिंह का भविष्य भी इन चुनाव परिणामों पर टिका हुआ माना जा रहा है। लेकिन चुनाव प्रचार में कमलनाथ जिस प्रकार शहरी विकास को मुद्दा बना रहे हैं और लोगों को समझा रहे हैं कि उनके शहर की नगरपालिकाओं से लेकर नगर निगमों तक ने सिवाये कर बढ़ाने के दूसरा विकास का काम नहीं है उसकी काट ढूंढना सत्तारूढ पार्टी के लिए थोड़ा मुश्किल हो रहा है। सतना की जनसभा में कमलनाथ ने जहां यह कहा कि राज्य की औद्योगिक राजधानी समझे जाने वाले इस शहर में सिर्फ एक ‘ओवरब्रिज’ जाने से यह ‘स्मार्ट सिटी’  कहलाया जा सकता जबकि शहर में साफ-सफाई के नाम पर लीपापोती की जाती है। इन्दौर जैसे मध्य प्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी कहे जाने वाले शहर के महापौर के चुनाव में तो स्वच्छता व साफ-सफाई प्रमुख मुद्दा बन चुका है। शहरों की सड़कों की खस्ता हालत भी नागरिकों के लिए मुद्दा है। इसके साथ ही सरस्वती व कोन्ह नदियों की सफाई की समस्या भी मतदाताओं को नजर आ रही है। लेकिन शिवराज ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेले हैं और उन्होंने श्री कमलनाथ के चुनाव क्षेत्र छिन्दवाड़ा में ही पहुंच कर नगर की साफ-सफाई और अन्य नागरिक समस्याओं का सवाल खड़ा कर दिया। इन चुनावों की सबसे खास बात यह है कि ये किसी भी सूरत में विधानसभा चुनावों से कम नहीं लग रहे हैं क्योंकि बीच-बीच में दोनों ही नेता बड़ी राष्ट्रीय समस्याओं का जिक्र भी कर देते हैं। श्री चौहान जहां राष्ट्रीय स्तर कांग्रेस पार्टी के सन्दर्भहीन हो जाने को केन्द्र में रख देते हैं तो कमलनाथ बेरोजगारी व महंगाई का मुद्दा जोर-शोर से उठा देते हैं। राज्य में चुनाव आयोग भी इन चुनावों को हल्के में नहीं ले रहा है और चुनाव पर खर्च होने वाली धनराशि का पूरा विवरण प्रत्याशियों से मांग रहा है । स्टार प्रचारकों पर होने वाले खर्च को उसने प्रत्याशियों के खर्चे में जोड़ने का नियम बना दिया है। कुल मिला कर ये स्थानीय निकाय चुनाव व्यापक प्रभाव रखने वाले माने जा रहे हैं।
Advertisement
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×