UCC से मुस्लिम महिलाओं को मिली आजादी: CM Dhami
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता से सामाजिक बुराइयों का अंत
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को समान नागरिक संहिता के प्रभावी कार्यान्वयन की सराहना करते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाओं को “सामाजिक बुराइयों से मुक्त किया गया है।” मुख्यमंत्री हरिद्वार में समान नागरिक संहिता के प्रभावी कार्यान्वयन पर एक कार्यशाला में भाग ले रहे थे। सीएम धामी ने अपने भाषण के दौरान कहा, “समान नागरिक संहिता ने मुस्लिम बहनों को सामाजिक बुराइयों से मुक्त किया है। अब सभी महिलाओं को विरासत और संपत्ति के अधिकार में भी न्याय मिलेगा।” उन्होंने उल्लेख किया कि कई लोग समान नागरिक संहिता के बारे में “भ्रम” पैदा कर रहे हैं, लेकिन कानून किसी धर्म या संप्रदाय के खिलाफ नहीं है। वास्तव में यह कानून समाज की कुरीतियों को मिटाकर समानता में सद्भाव स्थापित करने का एक प्रयास है।
LIVE: हरिद्वार में समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड-2024 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु आयोजित कार्यशाला https://t.co/6deFC1jbq2
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) May 3, 2025
सीएम धामी ने कहा, “समान नागरिक संहिता किसी धर्म या संप्रदाय के खिलाफ नहीं है। इसे लेकर कई लोग भ्रम फैला रहे हैं। यह समाज की कुरीतियों को दूर कर समानता में समरसता स्थापित करने का प्रयास है। यह एक ऐसा आवश्यक सुधार है, जिससे पूरे समाज को लाभ मिलेगा।” उन्होंने राज्य के युवाओं से आगे आकर समान नागरिक संहिता के खिलाफ फैलाई जा रही अफवाहों को रोकने का आग्रह किया।
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उन्होंने कहा, “समान नागरिक संहिता को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों को रोकने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए। कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं कि समान नागरिक संहिता में पंजीकरण के बाद बाहरी लोगों को भी राज्य निवासी का दर्जा मिल जाएगा, यह दावा पूरी तरह से भ्रामक है।” नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों के बीच संतुलन होना चाहिए। “अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
एक जिम्मेदार नागरिक वह है जो दोनों के बीच संतुलन को समझता है और उसका पालन करता है। हम सभी को अपने नागरिक कर्तव्य का पालन करना होगा। सभी परिवारों को समान नागरिक संहिता में पंजीकृत होना चाहिए।” मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार ने इस साल 27 जनवरी को पूरे राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की थी। उत्तराखंड देश में यह कानून लागू करने वाला पहला राज्य है।