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नागरिकता संशोधन कानून में मुसलमानों को भी किए जाना चाहिए था शामिल - जत्थेदार अकाल तख्त साहिब

देश की सडक़ों पर मुसलमान और दिल्ली की जामियां मिल्लियां इस्लामिक विश्वविद्यालय में दिल्ली पुलिस के हाथों पिटे विद्यार्थियों का मामला लगातार गर्माता जा रहा है।

04:32 PM Dec 17, 2019 IST | Shera Rajput

देश की सडक़ों पर मुसलमान और दिल्ली की जामियां मिल्लियां इस्लामिक विश्वविद्यालय में दिल्ली पुलिस के हाथों पिटे विद्यार्थियों का मामला लगातार गर्माता जा रहा है।

नागरिकता संशोधन कानून में मुसलमानों को भी किए जाना चाहिए था शामिल   जत्थेदार अकाल तख्त साहिब
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लुधियाना-तलवंडी साबो :  देश की सडक़ों पर मुसलमान और दिल्ली की जामियां मिल्लियां इस्लामिक विश्वविद्यालय में दिल्ली पुलिस के हाथों पिटे विद्यार्थियों का मामला लगातार गर्माता जा रहा है। विद्यार्थी और मुसलमान भारत सरकार द्वारा लागू किए गए नए कानून का पुरजोर विरोध कर रहे है।
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ऐसे में नागरिकता संशोधन बिल में मुसलमानों को भी शामिल किए जाने का समर्थन करते हुए सिखों के सर्वोच्च स्थल श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने हिमायत करते हुए कहा कि इस संशोधन बिल में मुसलमानों को भी शामिल किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा हालांकि दिल्ली में रह रहे अफगानी सिखों के साथ-साथ अल्प संख्यक कौमों को भी इस संशोधन बिल से फायदा होगा।
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श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने तलवंडी साबों में पत्रकारों से बातचीत करते कहा कि सरकार को मोजूदा वक्त में मुसलमानों के दिलों में पड़े सहम और डर को कम करने के यत्न किए जाने चाहिए। सिंह साहिब ने यह भी कहा कि पड़ोसी मुलक पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हिंदु, सिख और अल्प संख्यक कौम के सदस्यों के साथ वक्त-वक्त पर घटित रही घटनाओं में अल्प संख्यक विरोधी कार्यवाही के कारण डर के माहौल में रह रहे है।
परंतु हिंदुस्तान का संविधान सभी को बराबर के अधिकार देता है और प्रत्येक धर्म के लोगों को बराबर के हक – हुकूक के साथ रहने की आज्ञा देता है, इसलिए जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान की अल्प संख्यक कौमों में सहम का माहौल है, वही हिंदुस्तान के अल्प संखकों में डर पैदा नही होना चाहिए और सरकार को भी चाहिए कि बिल के बाद देश के मुसलमानों में जो डर का माहौल है, उसको दूर करने के सार्थक यत्न करें , ताकि बिना किसी वैर-विरोध और समस्त अल्प संख्यक कौमें इस मुलक में अमन-अमान के साथ रह सकें।
– सुनीलराय कामरेड 
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Shera Rajput

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