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DU के प्राध्यापकों ने राजीव गांधी पर मोदी की टिप्पणी की निंदा की

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के 200 से अधिक प्राध्यापकों ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर एक सार्वजनिक बयान जारी करके इसे

09:37 PM May 07, 2019 IST | Desk Team

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के 200 से अधिक प्राध्यापकों ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर एक सार्वजनिक बयान जारी करके इसे

du के प्राध्यापकों ने राजीव गांधी पर मोदी की टिप्पणी की निंदा की

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के 200 से अधिक प्राध्यापकों ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर एक सार्वजनिक बयान जारी करके इसे ‘‘अपमानजनक एवं असत्य’’ बताया है।

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मोदी ने यह बयान शनिवार को कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के राफेल मुद्दे पर निशाना बनाते हुये कहा था कि, ‘‘आपके पिता को उनके दरबारी ‘मिस्टर क्लीन’ कहते थे लेकिन उनके जीवन का अंत ‘भ्रष्टाचारी नम्बर वन’ के रूप में हुआ।’’

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डीयू के बयान में कहा गया है, ‘‘नरेंद्र मोदी ने दिवंगत राजीवजी के बारे में अपमानजनक एवं असत्य टिप्पणी करके प्रधानमंत्री पद की गरिमा को कम किया है, जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।’’ सोमवार रात जारी इस बयान पर 207 अध्यापकों के हस्ताक्षर हैं।

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इसमें कहा गया है कि कोई प्रधानमंत्री कभी भी इतने नीचे स्तर पर नहीं पहुंचा जितना मोदी अपने कार्यों से पहुंच चुके हैं। बयान में कहा गया है कि राष्ट्र पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की उपलब्धियों की प्रशंसा करता है।

इसमें करगिल हमले में बोफोर्स तोपों के इस्तेमाल के समय जवानों की प्रसन्नता एवं संचार क्रांति का उल्लेख करके इसका श्रेय राजीव गांधी को दिया गया है। इस बयान पर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के पूर्व अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्रा एवं अन्य लोगों के हस्ताक्षर हैं।

इस पर कांग्रेस नेता और गांधी परिवार के निकट सहयोगी सैम पित्रोदा ने ट्वीट करके इस कदम की प्रशंसा की और कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसे प्राध्यापकों का प्रशंसक हूं जो किसी चरित्र के लिए उठ खड़े हुये हैं..उन्होंने अपना एक पक्ष लिया है और ये साहसी लोग हैं और मैं उनके पक्ष लेने की सराहना करता हूं।’’

पित्रोदा ने कहा, ‘‘ये वे अध्यापक हैं जिन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है। वे उन्हें मूल्यों के बारे में पढ़ाना चाहते हैं। वे कह रहे हैं कि ये वे मूल्य नहीं हैं जिनसे भारत को जाना जाता है। ’’

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