Naag Panchami Vrat Katha 2025: कब है नागपंचमी? जानें इसका महत्व और कथा
Naag Panchami Vrat Katha 2025: हिंदू धर्म में नाग पंचमी के त्योहार का बहुत खास महत्व होता है। श्रावण के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। वहीं, कुछ जगहों पर नाग पंचमी सावन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. इस अवसर पर लोग नाग देवता की पूजा पाठ करते हैं। नाग पंचमी पर लोग नाग पर दूध और धान का लावा भी चढ़ाते हैं। ऐसा करने से बेहद शुभ फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने से जीवन के दुखों से छुटकारा मिल सकती है। इसके साथ-साथ आर्थिक तंगी भी दूर हो सकती हैं।
Naag Panchami के शुभ योग
इस साल नाग पंचमी के दिन दो बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। जो इस दिन और भी अधिक ख़ास बना रहे हैं। कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नाग पंचमी पर सौभाग्य योग बन रहा है। वहीं, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नाग पंचमी पर शिव योग बन रहा है। ऐसे में नाग देवता और भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
Naag Panchami Shubh Muhurat 2025
हरियाली तीज सावन में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी 27 तारीख को मनाई जाती है। इसके अलावा, इस सावन में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 28 जुलाई को रात 11:25 बजे शुरू होगी और 29 तारीख को दोपहर 12:47 बजे समाप्त होगी। ऐसे में कुछ जगहों पर नाग पंचमी 29 तारीख को मनाई जाएगी।
Naag Panchami पौराणिक कथा
नाग पंचमी की कथा के अनुसार, पांडवों के अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने सांपों से बदला लेने और उनके वंश का नाश करने के लिए यज्ञ किया था। वह अपने पिता राजा परीक्षित की तक्षक नामक सांप के काटने से हुई मृत्यु का बदला सांपों से लेना चाहते थे। उनके यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रुकवाया और सांपों की रक्षा की। यह तिथि सावन की पंचमी मानी जाती है।
उन्होंने सांपों को ठंडक पहुंचाने के लिए उनके शरीर पर दूध की धारा डाली। तब सांपों ने आस्तिक मुनि से कहा कि जो भी पंचमी के दिन उनकी पूजा करेगा उसे कभी भी सर्पदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है।
Naag Panchami ka Mehtav?
सावन के महीने में सांप धरती के गर्भ से निकलकर धरती की सतह पर आ जाते हैं। मान्यता है कि सांप किसी भी व्यक्ति को नुकसान न पहुंचाएं, इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को बिहार, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान आदि जगहों पर नाग देवता की पूजा की जाती है। वहीं, देश के अन्य राज्यों में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है।
Naag Panchami Vrat Katha और पुराणों के अनुसार, पंचमी तिथि के स्वामी स्वयं नाग देवता हैं। ऐसे में इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन विधि-विधान से नाग देवता की पूजा करने से कुंडली में मौजूद राहु और केतु से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है। नाग देवता को पाताल लोक का स्वामी भी कहा जाता है। ऐसे में पंचमी तिथि के दिन भूलकर भी भूमि की खुदाई नहीं करनी चाहिए।
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