‘नक्शा’ आपकी भूमि की डिजिटल पहचान
जब भारत एक समावेशी और विकसित भविष्य की कल्पना करता है, तो इसका सबसे मज़बूत आधार-स्तंभ भूमि है। चाहे घर हो, खेत हो, दुकान हो या स्मार्ट सिटी का सपना हो- विकास का प्रत्येक रूप भूमि पर अवस्थित होता है। हालांकि, सच्चाई यह है कि वर्षों से हमारे भू-अभिलेख अधूरे, भ्रामक और अक्सर विवादों में उलझे रहे हैं। परिणामस्वरूप, आम नागरिकों को संपत्ति खरीदने, ज़मीन विरासत में प्राप्त करने, ऋण प्राप्त करने या सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इन दीर्घकालिक समस्याओं के समाधान के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में, ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत भूमि संसाधन विभाग ने "नक्शा" (राष्ट्रीय शहरी निवास-स्थल भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित भूमि सर्वेक्षण) कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह भारत में भूमि प्रबंधन, प्रशासन और भूमि-रिकॉर्ड रख-रखाव में बदलाव लाने की एक पहल है। यह कार्यक्रम एक पारदर्शी, डिजिटल और सत्यापित भू-अभिलेख प्रणाली का निर्माण कर रहा है, जो न केवल नागरिकों के जीवन को आसान बनाएगी, बल्कि कस्बों और शहरों के विकास को भी गति प्रदान करेगी। भारत में, भूमि पंजीकरण लंबे समय से एक जटिल व दस्तावेज-आधारित प्रक्रिया रही है।
बिक्री विलेख, स्टाम्प शुल्क, पंजीकरण शुल्क, पटवारी सत्यापन और तहसील स्तर पर प्रस्तुतियां– ये सभी नागरिकों के लिए पूरी प्रणाली को बोझिल बना देती थीं। पुराने रजिस्टर और फाइलों में न केवल त्रुटियां मौजूद थीं, यही कारण है कि लाखों भारतीयों के लिए, सुरक्षा के स्रोत के रूप में भूमि का महत्त्व कम होता गया और यह जोखिम का प्रमुख स्रोत बन गई। नक्शा कार्यक्रम, सटीक और डिजिटल भू-रिकॉर्ड तैयार करने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण, जीएनएसएस मानचित्रण और जीआईएस उपकरण जैसी उन्नत तकनीकों का लाभ उठाता है। इस पहल के तहत, नागरिकों को ‘योरप्रो’ (शहरी संपत्ति स्वामित्व रिकॉर्ड) कार्ड मिलता है, जो स्वामित्व का एक डिजिटल प्रमाण है और संपत्ति के लेन-देन को आसान बनाता है। सरकार ‘योरप्रो’ कार्यक्रम को समर्थन दे रही है। नक्शा के साथ, लोगों को अब स्वामित्व की पुष्टि के लिए दस्तावेजों या बिचौलियों पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है। नागरिक आसानी से ऑनलाइन प्रारूप मानचित्र देख सकते हैं और आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं, जिससे इस प्रक्रिया में जनता की भागीदारी सुनिश्चित होती है। यह डिजिटल प्रणाली कराधान को अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बनाती है।
नक्शा कार्यक्रम का प्रभाव व्यक्तिगत स्वामित्व और प्रशासनिक दक्षता से कहीं आगे तक फैला हुआ है और यह आपदा प्रबंधन और शहरी नीति-निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में उभर रहा है। सत्यापित डिजिटल स्वामित्व रिकॉर्ड यह भी सुनिश्चित करते हैं कि मुआवजा और सहायता सही लाभार्थियों तक शीघ्रता से पहुँचे। इससे आपदा के बाद,पूर्वस्थिति को बहाल करने की प्रक्रिया अधिक कुशल हो जाती है। इसके अलावा, नक्शा संतुलित और सतत अवसंरचना विकास को बढ़ावा देकर दीर्घकालिक शहरी सुदृढ़ता का समर्थन करता है।
भारतीय इतिहास में, भूमि विवादों ने अक्सर असमानता, संघर्ष और विलंब को जन्म दिया है—लेकिन नक्शा कार्यक्रम भूमि प्रशासन प्रणाली को पारदर्शी, कुशल और नागरिक-केंद्रित बनाकर इस विरासत को बदल रहा है। स्मार्ट शहर, पीएम गति शक्ति और पीएम स्वनिधि जैसे राष्ट्रीय मिशनों के साथ एकीकरण के जरिये, नक्शा भारत के विकास-केंद्रित भविष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन रहा है। सुरक्षित, सत्यापित डिजिटल भूमि रिकॉर्ड के साथ, अब नागरिकों के पास सचमुच अपने सपनों की कुंजी है—जो भारत को एक अधिक न्यायसंगत, पारदर्शी और विकसित भविष्य की ओर ले जा रही है।