Narak Chaturdashi 2025: 19 या 20 अक्टूबर, कब है नरक चतुर्दशी? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Narak Chaturdashi 2025: हिंदू धर्म में दिवाली का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पूरा भारत एक साथ मिलकर दिवाली का त्योहार मनाता है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि माता लक्ष्मी की पूजा पूरी आस्था और भक्ति के साथ करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है और घर में धन की कमी नहीं होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं, इसी महीने में नरक चतुर्दशी भी मनाई जाती है।
हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसमें भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर भगवान कृष्णा की पूरे भक्ति भाव से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान कृष्णा की पूजा करने से जीवन में कभी भी आर्थिक दंगी और सुखों की कमी नहीं होती है।
Narak Chaturdashi 2025 Date and Time: नरक चतुर्दशी पूजा विधि व समय

कार्तिक के महीने में बहुत से त्योहार आते हैं, क्योंकि यह महीना बेहद ही खास होता है। यह महीना जगत के पालन हार भगवान कृष्णा और माता लक्ष्मी जी को समर्पित होता है। इस महीने में बहुत से ऐसे त्योहार आते हैं, जिसमें व्रत और पूजा करना काफी महत्वपूर्ण होता है। इस महीने में धनतेरस, नरक चतुर्दशी, छठ पूजा, दीवाली, देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह आदि प्रमुख त्योहार हैं। नरक चतुर्दशी हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। जानिए इस साल नरक चतुर्दशी कब है।
इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इससे एक दिन पहले यानी 19 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को होती है। इस साल चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 19 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 51 मिनट पर होगी और इसका समापन 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगा.।
Narak Chaturdashi Puja Vidhi: नरक चतुर्दशी व सामग्री

नरक चतुर्दशी के दिन मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और महानारकासुर पर विजय के लिए उनकी पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन काली माता, यमराज और घर की संपत्ति, धन और सुरक्षा के लिए पूजा जाता है।
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले हल्के गर्म तेल में स्नान करें। इसे “नरक मुक्ति स्नान” कहा जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। पूजा से पहले घर के सभी कोने और आंगन को साफ करें, तुलसी के पौधे और घर के दरवाजे पर हल्दी-कुमकुम से रंगोली बनाकर सजाएं। इसके बाद
घर में छोटे दीपक जलाकर अंधकार और बुराई से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना करें। इस दिन प्रसाद के रूप में मिठाई, फल और पंचामृत तैयार करें, पूजा के बाद ज़रूरतमंदों को दान करें।
- दीपक और घी या तेल
- हल्दी, कुमकुम और रोली
- पुष्प और अक्षत (चावल)
- जल पात्र, मिठाई, फल और पंचामृत
- भगवान कृष्ण या काली माता की मूर्ति या तस्वीर
- अगरबत्ती कलश
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